सद्य प्रकाशित पसंदीदा रचनाओं के साथ।
फ़ितरत..... डॉ. जेन्नी शबनम
एक दूसरे को राहत देनी होती है
ज़रा-सा प्रेम, जरा-सा विश्वास चाहिए होता है
और वह हमने खो दिया था
जिंदगी को न जीने के लिए
हमने खुद मजबूर किया था,
सच है बीती बातें न भुलाई जा सकती हैं
न सीने में दफ़न हो सकती हैं
मुझे अचानक राम मिला है
खुशबू बांटो डूब प्यार में
तुझे सुमन जो नाम मिला है
वो के हवाले से उसकी सारी बात कह देते हैं महफिल में
ये तो शायरों की जुबान फिसलती है और क्या है
वो क्या है जिसका इस्तेमाल खाने में नहाने में लगाने में होता है
तन्हा इसका जवाब हल्दी है और क्या है
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी गुरूवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति...
आभार आपका..
सादर...
अच्छी प्रस्तुति। चुनिंदा और बेहतरीन लिंक्स। सादर।
जवाब देंहटाएंवाह!बेहतरीन प्रस्तुति रविन्द्र जी ।
जवाब देंहटाएंशानदार लिंक चयन शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
शानदार प्रस्तुति बहुत सुंदर!!
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाओं का चयन
सभी रचनाकारों को बधाई।