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रविवार, 16 फ़रवरी 2020

1675....रिफाइंड तेल खाओ और जल्दी उपर जाओ...!!!

जय मां हाटेशवरी.....
प्यार नि:शब्द है। प्यार अव्यक्त है। प्रेम का गुणगान संत-महात्मा, विद्वान सभी ने किया है। मीरा ने तो प्रेम में हंसते-हंसते ज़हर भी पी लिया। प्यार सुगंध है
और प्यार में ही दुनिया के सारे रंग है।
सादर अभिवादन.....
देखिये मेरी पसंद.....


बेटी का सम्मान
बेटी से है करते इतनी नफरत,
क्या बेटी आपका परिवार नहीं?
बेटी से ही चलती दुनिया,
यहां बेटी का सम्मान नहीं,
बेटा घर की जान है,
तो क्या बेटी है अपमान,
बेटी-बेटा भेद कर,
बेटी का सम्मान
बेटी का सम्मान
बेटी का करते हैं तिरस्कार,
बेटी बिन बेटा कहां से लाएगा संसार ,




अंबर तले
डूबती शैय्या~
आहत परिजन
जन सैलाब!
रहे सोचते~
अब चलें या रुके
अंबर तले!

रिफाइंड तेल खाओ और जल्दी उपर जाओ...!!!
आम धारणा यहीं हैं कि शरीर के लिए तेल याने की चिकनाहट ख़राब होती हैं। लेकिन सच्चाई यह हैं कि शरीर के लिए अच्छी चिकनाहट जरुरी हैं। हां, दोस्तों, चिकनाहट दो
तरह की होती हैं, अच्छी और बुरी। हमारे घुटने मुडते हैं, हमारे हाथ की उंगलियाँ मुड़ती हैं, ये सब अच्छी चिकनाहट के कारण ही हो पाता हैं। तेल के माध्यम से जो
चिकनाहट हमें मिलनी चाहिए वो रिफाइंड तेल से नहीं मिलती हैं। यदि हम कोलेस्ट्रॉल चेक करवाते हैं तो रिपोर्ट देख कर डॉक्टर कहते हैं कि हमारा HDL (High Density
Lipoprotein) बढ़ना चाहिए और LDL (LOW Density Lipoprotein) कम होना चाहिए। सरल भाषा में HDL अर्थात अच्छी वाली चिकनाहट और LDL अर्थात बुरी वाली चिकनाहट जो heart
मे blockage करती हैं!

बिछड़े सभी बारी-बारी
कमलादेवी – तूने मेरी हिम्मत बढ़ा दी केसू ! इन्होंने मेरी कभी परवाह नहीं की. अब मैं ऐसे हरजाई की नहीं, बल्कि अपने दिल की मानूँगी.
चल केसू !  चलते हैं तेरे बेनी भैया के जुलूस में !
केसू और कमलादेवी एक साथ –



मोहब्बत की बात भले ही करता हो जमाना मगर प्यार आज भी माँ से शुरू होता है।
ये कहकर मंदिर से फल की पोटली चुरा ली माँ ने…. तुम्हे खिलाने वाले तो और बहुत आ जायगे गोपाल… मगर मैने ये चोरी का पाप ना किया तो भूख से मर जायेगा मेरा लाल
भूल जाता हूँ परेशानियां ज़िंदगी की सारी, माँ अपनी गोद में जब मेरा सर रख लेती है।
हालात बुरे थे मगर रखती थी अमीर बनाकर,,हम गरीब थे,ये बस हमारी माँ जानती थी।
नींद अपनी भुला कर सुलाया हमको आंसू अपने गिरा के हंसाया हमको दर्द कभी न देना उन हस्तियों को ऊपर वाले ने माॅ-बाप बनाया जिनको!!


जीवन
यही तो है
अपने जीवन का सार
इसी से उदय
इसी में अस्त
जीवन तो जीवन है
हर पल वो मस्त है
कभी उदय
तो कभी अस्त है।

पता ना अगले जनम में क्या बनूगा ?
दुनिया के भौतिक सुखों में लीन हो ,
भुला बैठा मैं सभी सदआचरण
नहीं है सद्कर्म संचित कोष में ,
पार बेतरणी भला  कैसे करूंगा
इस जनम में तो नहीं कुछ बन सका
पता ना अगले जनम में क्या बनूंगा

कुछ रिश्ते !!
कुछ रिश्ते
होते हैं सुबह की चाय जैसे
बिना उनकी आहट के
बिना उनके साथ के
मन में ताज़गी नहीं आती !!

बस आज इतना ही
धन्यवाद









9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी प्रस्तुति में एक विशेष आकर्षण होता है और ज्ञानवर्धक भूमिका के साथ..।
    मां विंध्यवासिनी आपके ज्ञानकोष से हम सभी को इसी तरह से लाभान्वित करती रहें।
    सुप्रभात एवं सभी रचनाकारों को मेरा प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  2. उव्वाहहहहह....
    बेहतरीन प्रस्तुति...
    आभार आपका..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  3. रीफाइंड आयल वाली पोस्ट कईयों का भला करने वाली है.
    बहुत खुबसुरत रचनाओं का संगम देखने को मिला.

    जवाब देंहटाएं
  4. बढ़िया रचनाएं। मेरी रचना को "पांच लिंकों का आनंद" में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कुलदीप भाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. इस सुंदर प्रस्तुति के मध्य मुझे भी स्थान देने हेतु आभारी हूँ आदरणीय ।
    सधन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

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