सादर अभिवादन
शुभ प्रभात
तो चलिए चलें
माता रानी राजित है आज से
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वर्ष का पहला दिन
2082 सिध्दार्थी संवत
होते हैं रचनाओं से रूबरू
बिच्छू की चाय .. आय हाय
( पढ़िए पूरी रिपोर्ट )
ये इक टूटा जाम है
ईंटों की धड़कनों में मगर और नाम है.
किराए की कोख

महिला ठठा कर हँस पड़ी, “हमारा शरीर तो है ही किराए की कोख बहू जी ! किरायेदारों से कैसा मोह ! यह कोई पहला बच्चा थोड़े ही है ! पहले भी तीन बच्चे पैदा करके सौंप चुके हैं उनके माँ बाप को ! हाँ किराया अच्छा देना पड़ता है ! सो तो तुम्हें बता ही दिया होगा मिश्रा मैडम ने !” वह नज़रों में प्रियांशी की औकात को तोल रही थी और प्रियांशी हतप्रभ सी उसे देख रही थी !
पल-पल बरसे वह चाहत है

महिमावान नहीं वह केवल
माधुर्य से ओतप्रोत है,
करुणावान नहीं दिल उसका
अतिशय स्नेह से युक्त भी है !
कहा गए है पद्य
छंदों से है हुआ विसर्जन
कविता सर्वोत्तम
सृजन से हर प्यास बुझी है
पद्य है सर्वोत्तम
कविता अब उन्मुक्त हुई
कवित हुआ गद्य
जोरो से खूब शोर हुआ
कहा गए है पद्य
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आज बस
सादर वंदन