कभी कोई दिन ऐसा भी आयेगा;
आपकी, हम सब की
अति प्रिय यशोदा दी के लिए
शोक संदेश लिखना होगा।
टाइप करते उंगलियॉं कॉंप रही है,
यशोदा दी की पवित्र आत्मा
२० दिसम्बर को
परमात्मा में सदा के लिए लीन हो गयी।
हमारे पांच लिंक परिवार ने अपनी
जननी को हमेशा के लिए खो दिया।
आदरणीया यशोदा अग्रवाल जी
किसी परिचय का मोहताज़ नहीं।
पाँच लिंक का बीजारोपण करने वाली
स्नेही, सहृदय,पारखी दृष्टि और धैर्य की मूर्ति
हमारी यशोदा दी।
ब्लॉगजगत में साहित्यिक अभिरुचि रखने वाली, स्वयं का परिचय एक पाठक के रुप में देती,
सबसे चिरपरिचित चेहरा यशोदा दी।
कैंसर जैसी अत्यंत कष्टदायक
बीमारी से जूझते हुए,
जीवन के संघर्षों का जीवटता से सामना करती रही हैं।
साहित्य के सागर से बेशकीमती मोती चुनकर उनको
प्रोत्साहित करती हुई सच्ची साहित्य साधना में
लीन रहीं तमाम उम्र।
सुगढ़ प्रस्तुति में सदैव नया का प्रयास करती,
रचनाकारों का खुले हृदय से स्वागत करती हमारी
यशोदा दी अब सदा के लिए स्मृतियों की सुगंध
बन गयीं।
चिट्ठाजगत को जीवंत रखने वाली
यशोदा दी का जाना अपूर्णीय क्षति है।
चिट्ठाजगत उनका विशेष योगदान
कभी नहीं भुला पायेगा।
मन उद्विग्न है और क्या लिखे शेष फिर कभी।
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प्रिय यशोदा दी के लिए उनके कुछ साथियों ने
संदेश प्रेषित किया है।
आदरणीया पम्मी सिंह "तृप्ति"
यह जानकर मुझे बहुत दुख हो रहा है यशोदा अग्रवाल (दी) जी संसार को परित्याग कर पंचतत्व में विलीन हो गई।
उनके के जाने से ब्लोग जगत में जो रिक्तता बनी है, उसे शब्दों में व्यक्त करना कठिन है। दस सालो का साथ , हर दिन कुछ लिखने,प्रस्तुतिकरण लिए प्रेरित करते शब्द अनायास ही चुप हो गई। उनकी यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें और परिवार को धैर्य व संबल प्रदान करें।
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आदरणीय रवीन्द्र जी
इस दुख की घड़ी में मन से हमारे साथ हैं।
वे पारिवारिक शोक कार्य में है।
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आदरणीय सुशील सर
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आदरणीया संगीता स्वरूप दी
आज श्वेता के संदेश द्वारा दुखद समाचार मिला कि प्रिय यशोदा अब हमारे बीच नहीं रही । हंलांकि काफी समय से स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझ रही थी लेकिन अपनी इच्छाशक्ति से वक़्त को मात देने में सफल थी । जहाँ तक मैंने उसके बारे में जाना और समझा है वो बहुत मेहनती और लगन की पक्की थी । ये उसका ही प्रयास रहा जो हलचल का ब्लॉग पांच लिंकों का आनंद अभी तक आप तक पहुँचता रहा ।
ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे और परिवार को ये दुःख सहने की क्षमता दे । ॐ शांति ॐ । 🙏🏻🙏🏻
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आदरणीया विभा रानी श्रीवास्तव
क्रूर काल किसी को रहने नहीं देगा -लेकिन किसी को अकाल ले जाता है तो कुछ कहने योग्य नहीं छोड़ता है यशोदा दिग्विजय अग्रवाल (छोटी बहना) का कल रात छीन लेना तेरा क्रूरतम निर्णय रहा
कभी दीदी कभी माँ कह जाती थीं -बेहद प्यार सम्मान करती भी थीं-ब्लॉग जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है उनका उपकार साहित्य जगत सदैव याद रखेगा
ब्लॉगर संगी फेसबुक साथी
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आदरणीय विश्वमोहन जी
यशोदा जी नहीं रहीं। अंदर से कंपा देने वाला अत्यंत दुखद समाचार। हम भावनात्मक रूप से अपने को इतना सबल और सक्षम नहीं पा रहे कि कुछ बोल सकें। मन मलिन है। सर चकरा रहा है। आंखे निर्निमेष और आर्द्र हैं। दृष्टिपथ धूमिल है। विचार - तंत्रिकाएं सन्निपात- सी शिथिल हैं। हमें यश देनेवाली, यशोदा अब हमारी स्मृतियों की धरोहर बन गई। सुर धाम को वह अब शांति प्रदान करें और हमें आशीष! 🙏🏻🌹🙏🏻
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आदरणीया मीना भारद्वाज जी
ब्लॉग जगत ने एक संवेदनशील स्वर, एक मौन विचारक और एक सहज लेखिका को खो दिया है ।ब्लॉग जगत की प्रिय यशोदा दी नहीं रहीं ।
इस दुखद घटना जिस पर हृदय को यकीन ही नहीं है कि ऐसा कैसे संभव है ?लग रहा है अभी पाँच लिंकों का स्तंभ पर जाऊँगी और उनकी लगाई प्रस्तुति पढ़ने को मिलेगी । कोई पोस्ट अपने ब्लॉग पर पोस्ट करूँगी और उनका आमन्त्रण होगा -“आपकी यह रचना कल पाँच लिंकों का आनन्द में सम्मिलित की जाएगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं ।”
वे न केवल शब्दों की शिल्पी थी बल्कि मानवीय भावनाओं की मर्मज्ञ और कुशल चितेरी भी थीं ।उनका जाना, सिर्फ एक जीवन का अंत नहीं, बल्कि ब्लॉग जगत के एक युग के अनुभवों का विराम है।
मैं श्रद्धा और संवेदना के साथ उन्हें नमन करती हूँ और अश्रुपूरित हृदय से ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ कि ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान कर अपने श्रीचरणों में स्थान दें और परिजनों के साथ पाँच लिंकों का आनन्द परिवार को दुःख सहने की शक्ति दें 🙏
शब्द मौन हैं .., दुःखी हृदय से आदरणीया यशोदा जी को अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🙏
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आदरणीया रेणु दी
ये ह्रदय विदारक सन्देश मिला!
बहुत दुःख हुआ जिसको शब्दों में
लिखना सम्भव नहीं!
ये ब्लॉग जगत भी हमारा दूसरा
परिवार बन चूका है! प्रभु उनकी
आत्मा को शान्ति प्रदान करे!🙏
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आइए हम सब मिलकर
प्रार्थना करें।
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ह्रदय विदारक, नमन 🙏
जवाब देंहटाएंकुछ लोग धीरे बोलते हैं, धीरे मुस्कराते हैं और बहुत गहराई से मन में उतर जाते हैं। प्रिय यशोदा दीदी, आप भी उन्हीं में से थीं—जिनकी उपस्थिति शोर नहीं करती, बस साँसों को थोड़ा स्थिर कर देती है। आज शब्द आपके जाने की सूचना तक ही सिमट पाए हैं; उसके आगे बस नम आँखों का मौन है। आपका स्नेह, आपकी सहजता और आपकी मौन-सी करुणा स्मृतियों में दीप की तरह जलती रहेगी। आप देह से दूर चली गईं, पर मन के घर में आपका स्थान अडिग रहेगा। शांति आपको घेरे रहे, दीदी—और जो रह गए हैं, उन्हें आपकी स्मृति संभाले रखे। 🙏💐
जवाब देंहटाएंनिश्छल मुस्कान से सजी सरल सादगीपूर्ण छवि सदैव हम सबकी स्मृतियों में जीवित रहेंगी ।
जवाब देंहटाएंनमन
जवाब देंहटाएंअभी अचानक ये दुःखद समाचार पढ़ने मिला। कैसे हुआ ये सब? विश्वास ही नहीं हो रहा कि मेरी प्यारी ब्लॉगर सहेली अब इस दुनिया मे नहीं है। ईश्वर उनकी आत्मा को श्री चरणों मे स्थान दे। वे हमेशा हमारी यादों मे जीवित रहेगी।
जवाब देंहटाएंदमन वायु की निर्दयता ने,
जवाब देंहटाएंदीपशिखा का तोड़ा दम है।
सूखा दीपक, बुझ गयी बाती
अब तो पसरा गहरा तम है।
🙏🌹।। ॐ शांति।।🌹🙏
बहुत ही दुखद..... मन आहत है। नमन।
जवाब देंहटाएंविश्वास नहीं हो रहा ... आदरणीया यशोदा दी की प्रेरणा से लेखन शुरू हुआ, आ
जवाब देंहटाएंज यह दुखद समाचार.... असहनीय है।एक रिश्ता जुड़ गया था उनसे भले ही ना मिले हों कभी पर आज आंखें भीग गई...हृदय में कुछ टूट गया।यह कैसे....हे ईश्वर आप उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान देना और परिजनों को दुख सहने की शक्ति...यह लिखते हुए भी उंगलियां कांप रहीं हैं।अपूरणीय क्षति😢🙏
नमन और श्रद्धांजलि |
जवाब देंहटाएंआपका सरल स्वभाव,आपकी सहजता और आपकी मुस्कान हमेशा आपकी याद दिलाएगी।आप आज हमारे बीच नहीं पर हमारे दिलों में हमेशा यूँ ही मुस्कुराएंगी।ॐ शांति 🙏
जवाब देंहटाएंअश्रुपूरित श्रद्धांजलि 🙏 ॐ शान्ति 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत दुःखद समाचार है। आदरणीया यशोदा जी का नये-पुराने ब्लॉगों को रोज़ खंगालना और उन्हें नये पाठकों से जोड़ने का प्रयास बहुत प्रशंसनीय था। अब उनकी कमी सभी ब्लॉगरों को बहुत खलेगी।
जवाब देंहटाएंमैं वर्ष 2011 से ब्लॉगिंग से जुड़ा हूँ। तब से लेकर आज तक कई ब्लॉगर और ब्लॉग आए तथा कुछ समय बाद शांत हो गए। लेकिन यशोदा जी का निरंतर कर्मशील रहना, वह भी बिना किसी स्वार्थ के, अत्यंत प्रशंसनीय था। शायद अब उनके जैसा ब्लॉगर नहीं मिलेगा।
ईश्वर आपकी आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें।
स्तब्ध हूँ! विचलित हूँ!
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत की वो हस्ती जिसने कितने नये रचनाकारों को अपनी स्नेहिल प्रेरणा से सिंचित कर लेखन के लिए आगे बढ़ाया उनका जाना यूँ होगा सोचा न था! यूँ मिलने की न कोई आस हैं ना रास्ता फिर भी ब्लॉग से जुड़े कई लोग अनायास खास हो गए, उनमे से यशोदा जी भी एक थी!काफी दिन पांच लिंकों में प्रस्तुतिकार बनने हेतु उनके कई मेल आये पर समयाभावसे विनम्रता से उन्हें मना कर दिया! उन्होंने कभी बुरा ना माना और अपनी मंडली के स्थाई सदस्यों के साथ अटल ख़डी होकर पांच लिंकों में जुटी रही! पांच लिंक उनकी प्रेरणा का मूर्त रूप हैं जो समस्त ब्लॉग जगत के लिए साहित्यिक भाईचारे का अतुलनीय मंच बन गया! मेरे ब्लॉग की प्रथम रचना से लेकर लगभग सभी रचनाएँ पांच लिंकों से जुड़कर विशेष बनी! और उन्हें अनगिन पाठक मिले! उनके सुझाये उपक्रम ' हमकदम से ब्लॉगजगत को अनूठी रचनाएँ मिली! साहित्य की अमर रचनाओं को अपने ब्लॉग " धरोहर " पर संजोने वाली और खुद भी यदा - कदा अपनी भावनाओं को अपनी भावपूर्ण रचनाओं में सजाने वाली
यशोदा जी के बारे में इस दुखद समाचार ने निशब्द कर दिया हैं!
मुझे खालिद साहब का ये शेर याद आ गया!
"बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई
इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया! "
आज उनके जाने पर ये सन्नाटा आँखें नम कर रहा ! अपने स्नेह से सभी को वंचित क़र चली यशोदा दीदी! प्रभु आपको अपने श्री चरणों में जगह दे और समस्त परिवार को ये आघात सहने की शक्ति दे यहीं प्रार्थना है!
अलविदा और अश्रुपूरित नमन यशोदा दीदी 🙏😟😟😥😟
स्मरण है मुझे, संभवतः ही कोई लेखक के तौर पर मुझसे परिचित रहा होगा, उस समय यशोदा दीदी ने पहली बार इस ब्लॉग जगत से मेरा परिचय करवाया और पांच लिंको का आनंद परिवार में एक चर्चाकार के रूप में मुझे स्थान दिया। आज मेरा लेखन और मेरी लेखनी जिस मुकाम पर है, उसकी स्रोत कहीं न कहीं यशोदा दीदी ही हैं।
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि दीदी।
ब्लॉग जगत में आपका साहित्यिक योगदान सदैव स्मरण किया जाएगा। धुव्र सिंह
विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🏻🙏🏻
जवाब देंहटाएंसंगीता स्वरूप
यशोदा दी हमारे मन में हैं और हमेशा रहेंगी। उन्होंने ब्लॉग के माध्यम से एक नए विचार को जन्म दिया, जो उनसे जुड़े हर व्यक्ति के अंदर समाया है। उनका श्रम, उनके विचार हमेशा हमारा मार्गदर्शन करते आए हैं और मार्गदर्शन करते रहेंगे। बिना कुछ कहे अपनी राह चलते रहेंगे बिना रुके, बिना थके, शंकाओं से परे पूर्ण विश्वास के साथ एक सुंदर परिवार बनकर जिसमें हर साहित्यप्रेमी का स्वागत है। कोटि कोटि नमन दी 🙏
जवाब देंहटाएंअश्रुपूरित श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंआप हमेशा अपने चाहने वालों के दिलों में रहेंगी 🙏🙏
कुछ भी नहीं कह पा रही, मैं ब्लॉग पर लौटूँ लौटूँ ही करती रह गई और यशोदा दीदी निज धाम को लौट गईं !
जवाब देंहटाएंइसकी कल्पना भी अकल्पनीय है कि सुबह सुबह जब पाँच लिंकों का ब्लॉग खोलेंगे तो पहली टिप्पणी प्रिय यशोदा दीदी की वहाँ नहीं दिखेगी. किसी अनजान के लिए मैं क्यों रो रही हूँ ये मेरे परिवारजनों के लिए अजीब है ! कैसे बताऊँ कि यशोदा दी अनजान नहीं थी ! कैसे बताऊँ कि दिल से भी तो जान पहचान होती है !
आप जहाँ भी हों, वहाँ से हमें आशीर्वाद देती रहना दी, ईश्वर आपको अपने चरणों में चिरशांति दें और
परिवारजनों को यह क्षति सहने की हिम्मत !!!
नमन दी 🙏
लोग पुराने जब जाते हैं,
जवाब देंहटाएंकितनी यादें दे जाते हैं !
कसमें भी कुछ काम ना आतीं,
वादे भी सब रह जाते हैं !
पीपल के पत्तों के भी
पीले होने की रुत होती है,
पर मानव के साथी क्यूँकर
बेरुत छोड़ चले जाते हैं ?
लोग पुराने जब जाते हैं,
कितनी यादें दे जाते हैं !
यादें बरगद के मूलों सी
मीलों फैलें हृदय धरा में,
संग साथ के वे सीमित क्षण
बिछड़, अपरिमित हो जाते हैं !
लोग पुराने जब जाते हैं
कितनी यादें दे जाते हैं।
सूखी - सूखी नयन नदी पर
बरस पड़ें जब घन भावों के,
सजल, सघन, संचित बूँदों से
तब तट युग्म नमी पाते हैं।
लोग पुराने जब जाते हैं
कितनी यादें दे जाते हैं !
बहुत ही दुखद। दुखी मन से अश्रुपूरित श्रद्धांजलि 😢😢🙏🏻
जवाब देंहटाएंएक अदृश्य धागा था रेशम सा जिसने हमें जोड़ा था... आपने मेरी फाल्गुनी नाम से लिखी रचनाओं को सहेजा और ब्लॉग की दुनिया में ले आई... फिर जब भी बात हुई मैसेज से ही हुई... आप अस्वस्थ थीं यह बात आपने कभी जाहिर नहीं होने दी... आप विलक्षण थीं... अद्भुत... आपकी सेहत,आपका संघर्ष सब आपने आपके साहित्य प्रेम के समक्ष दरकिनार कर दिए... एक लगन के साथ सबको मोती की तरह पिरोती गई... बहुत अरमान थे आपसे मिलने के आप तक अपनी स्नेह सौगात भेजने के... कोशिश भी की पर कामयाब न हो सकी... जुलाई माह में माँ के जाने के बाद सोचा था अब कभी कोई स्मृति शेष नहीं लिखूँगी पर यशोदा दिग्विजय अग्रवाल यह नाम जिस तरह से आज सामने आया मैं बिखर गई और खुद को समेटने के लिए शब्दों का सहारा ले रहीं हूं... आप जहाँ भी रहें सुकून से रहें इस धरती पर जितनी खुशियां आपने बाँटी हैं वे सब ईश्वर के समीप जाकर आपको कई गुना मिले... आपकी फाल्गुनी के आंसू आपके लिए लिखी अंतिम कविता है...
जवाब देंहटाएंहो सके तो सपनों में आइए...
Love you खूब खूब सारा... 😞😞
उफ़ ! यह कैसा हृदय विदारक समाचार है ! भावनाएं आहत हैं, शब्द कुंठित हैं और चेतना स्तब्ध है ! नियति कैसे इतनी क्रूर और निर्मम हो सकती है ! यशोदा जी का यूँ चले जाना वज्रपात सा कर गया ! ईश्वर से प्रार्थना है वे उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें एवं हम सभी को शोक की इस घड़ी में धैर्य, संबल एवं साहस प्रदान करें ! आप हमेशा याद आएंगी यशोदा जी ! जहाँ भी हों अपना स्नेह ऐसे ही हम सब पर लुटाती रहना ! आपको हमारी अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि एवं सादर नमन !
जवाब देंहटाएंआज शाम को घर लौटने पर आदरणीया श्वेता मैम से समाचार मिला, पढ़ कर स्तब्ध रह गई हूं। कुछ बोलने या लिखने में सक्षम नहीं हूं। कभी भी नहीं सोचा था कि माँ जानकी उन्हें ऐसे अपने पास बुला लेंगी । मुझे आज bh याद है जब मैं पहली बार ब्लॉग जगत में आई थी और मेरी पहली रचना साझा हुई थी। उस दिन से ही आदरणीया यशोदा मैम सदैव ही मुझे अपना आशीष स्नेह देती रहीं। चाहे कितनी ही दी से पोस्ट साझा करूं या कितना ही लंबा अवकाश हो, वे सबसे पहले मेरे ब्लॉग पर आ कर अपना स्नेहाशीष दे जातीं। उनकी पूर्व सभी टिप्पणियां पढ़ कर आँखें भर आती हैं पर मुझे विश्वास है कि अपनी स्नेहमयी टिप्पणियों, सुखद स्मृतियों और सुंदर प्रस्तुतियों में वे सदैव हमारे साथ रहेंगी। मेरी माँ जानकी से प्रार्थना है कि वे हमारी यशोदा मैम को सुरक्षित अपने चरणों में स्थान दें और उनके परिजनों के साथ ही क्षण रहें। भावपूर्ण श्रद्धांजलि 😢🙏।
जवाब देंहटाएंस्तब्ध हूँ। इस समय कुछ कहा नहीं जा रहा। ईश्वर उन्हें शांति प्रदान करे।
जवाब देंहटाएंफ़िलहाल अवाक हूँ .. नतमस्तक हूँ ..
जवाब देंहटाएंहरि ॐ तत्सत ..