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मंगलवार, 9 दिसंबर 2025

4596....कभी-कभी लगता है ...

मंगलवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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पंछी नदियाँ पवन के झोंके

कोई सरहद न इन्हें रोके...


 आसमान में बेफ्रिक, पंख पसारे उड़ते पंछियों को देखकर

 एक विशेष आकर्षण महसूस होता है। 

 मेरे घर के आँगन में अमरूद के पेड़ पर  गौरेया, मैना,कबूतर, कौआ, बुलबुल सामान्यतः भोर से ही कलरव करते कच्चे-पक्के अमरूद के फल कुतर-कुतर कर आँगन में गिराते रहते थे और मैं सर्दियों की गुनगुनी धूप में लेटी गिनती रहती नीली,हरी,पीली,भूरी या काली-सफेद,नन्हीं या थोड़ी बड़ी पंखों वाली कौन सी चिड़िया आयी। छुटपन की उन सारी चिड़ियों की तस्वीरें मन से आजतक ज़रा भी धुंधली नहीं हुई।

अब शहर में कहाँ वो छाँव और कहाँ वो पक्षी...।


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आज की रचनाऍं- 

पर कहाँ जानता है वह,  
धूप तो चारों ओर घिरी है  
सफेद परिधान वाले आखेटकों से—  
जो किरणों को जाल में कसकर  
अपने महलों की ठंडी दीवारों में  
कैद कर लेते हैं।  


धूप अब जलाने लगी है


कभी-कभी लगता है,
धरती अब बोलना चाहती है,
कहना चाहती है कि “बस करो,”
पर हम मीटिंग्स, डेडलाइन्स,
और प्रॉफिट ग्राफ़्स में इतने उलझे हैं
कि उसकी खामोशी भी
हमारे लिए बस background noise बन गई है



सन्देह के घेरे में जज्बात रहे
लम्हे अपने,अपने न रहे
फरियादी फरियाद करे किससे
जब कातिल ही जज की ......
कुर्सी पर आसीन  रहे.... 




शोभना के पास न तो नीले रंग की कोई साड़ी ही थी न कोई सूट ! उसने तय कर लिया कि वह पार्टी में नहीं जाएगी ! लेकिन उसका मन बहुत उदास था !
नीलेश ने उसका अनमनापन भाँप लिया, “क्या बात है शोभना कुछ परेशान सी हो !”
“नहीं तो ! ऐसी तो कोई बात नहीं है !” मुँह फेर कर शोभना ने बात टाल दी !




उनका पहला सुझाव है कि रात को जब हम सोते हैं, तो हमारा सात-आठ घंटों का व्रत अपनेआप हो जाता है। वह कहते हैं कि बजाय सुबह-सुबह नाश्ता करने के, हमें उसी व्रत को कुछ घंटे और बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिये। यानि आप सुबह नाश्ता करने की जगह पर दस-ग्यारह बजे नाश्ता कीजिये। उनके अनुसार, केवल इतने व्रत से शरीर की इन्सुलिन बेहतर काम करने लगती है और ब्लड शुगर कम होने लगती है। वह कहते हैं कि अगर आप को सुबह जल्दी चाय-कॉफी की आदत है और उसके बिना नहीं रह सकते तो आप उन्हें बिना चीनी और दूध के पीजिये।

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आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
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1 टिप्पणी:

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