आपसभी का हार्दिक अभिनन्दन।
रूखी,सर्द हवाओं से सहमी ,काली-भूरी और सड़क की धूल से धूसर पड़ी पत्तियों वाले उस पेड़ पर झूमते बैंगनी रंग के कचनार दिसंबर की उदासीनता पर हौले से थपकी देता हैं...
समय के नाजुक डोर से
मोती बेआवाज़ फिसल रहा हैं
जाने अनजाने गुज़रते लम्हों पर
आवरण इक धुंधला सा चढ़ रहा है
तारीखों के आख़िरी दरख़्त से
जर्द दिसंबर टूटने को मचल रहा है।
क्यारियों में खिलते गुलाब, गुलदाऊदी और गेंदे की फूटती खुशबू .... अदरक ,इलायची की तुर्श या मसाले वाली करारी चाय से उठती भाप और हथेलियों को आराम देते कप के गुनगुनेपन के बावजूद...
दिसंबर उदास करता है....
मुरादाबाद, गाज़ियाबाद—
इतना मत इतराओ,
तुम्हारा हश्र भी
एक दिन यही होना है।
संस्कारित नाम मिलते ही
तुम्हारा पुराना नाम
किसी फाइल में
धीरे से दबा दिया जाएगा।
बुझ गया अलाव
जल उठा नसीब !
आज भी ‘हल्कू’
बिताते सड़क पे
पूस की ठण्डी रात
प्रतिदिन के कार्यों में से कुछ वक्त निकालकर योग और ध्यान अवश्य करना चाहिए । आपकी बहुत सी अनसुलझी समस्याओं से छुटकारा पाने व तनाव चिंता से मुक्त होने में योगचिकित्सा सहायक सिध्द होती है । आज की तकनीकी भागम-भाग भरी जिंदगी में खुशहाल रहने एवं अपने चारों ओर एक पाॅजिटिविटी बनाए रखने में योग और ध्यान काफी असरकारक है ।
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मिलते हैं अगले अंक में।
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Wah
जवाब देंहटाएंसुन्दर