सादर अभिवादन
एक बार हिंदी के महान साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' जी रॉयल्टी के एक हजार रुपये लेकर, इक्के में बैठकर, इलाहाबाद की एक सड़क पर चले जा रहे थे।रास्ते में सड़क के किनारे एक बूढ़ी भिखारिन बैठी हुई थी। ढलती उम्र में भी वह हाथ पसार कर भीख मांग रही थी।उसे देखकर निराला जी ने इक्का रुकवाया और उनके पास गए, और पूछा - ' माई ! आज कितनी भीख मिली ?बुढ़िया ने जवाब दिया -' सुबह से आज कुछ नहीं मिला बेटा !'बुढ़िया के इस उत्तर को सुनकर निराला जी सोच में पड़ गए कि बेटे के रहते मां भीख मांग रही है।एक रुपैया बुढ़िया के हाथ पर रख कर बोले, ' मां अब कितने दिन भीख नहीं मांगोगी ?तीन दिन बेटा ।दस रुपये दे दूं तो…?बीस या पच्चीस दिन ।सौ रुपये दे दूं तो…?चार-पांच महीने तक !चिलचिलाती धूप में सड़क के किनारे मां मांगती गई, बेटा देता गया।इक्के वाला हक्का-बक्का रह गया।बेटे की जेब हल्की होती गई और मां के भीख न मांगने की अवधि बढ़ती चली गई।जब निराला जी ने रुपयों की अंतिम ढेरी भी बुढ़िया की झोली में डाल दी तो बुढ़िया खुशी से चीख उठी और कहने लगी, "अब कभी भी नहीं मांगूंगी बेटा, कभी नहीं।"निराला जी ने संतोष की सांस ली। बुढ़िया के पैर छुए । बुढ़िया ने उन्हें ढेरों आशीष और दुआएं दी ।निराला जी इक्के में बैठकर अपने घर की राह पर चल दिए। उनके चेहरे पर एक अजीब संतोष व फक्कड़ता का भाव था।
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नाम में बहुत कुछ रखा है
संयोगवश, कांग्रेस के प्रतिनिधित्व वाले इस इलाके में 9 और 11 दिसंबर को होने वाले केरल के पंचायत चुनावों में कांग्रेस के सबसे बड़े नेताओं में से एक श्रीमती सोनिया गाँधी का नामधारी, BJP का उम्मीदवार बन, सीधे कांग्रेस के ही उम्मीदवार से मुकाबला कर रहा है।
अब देखने वाली रोचक बात यह है कि क्या सोनिया गांधी का नाम BJP के लिए फायदेमंद साबित होगा या वोटरों को सिर्फ भ्रमित करेगा ! परिणाम जो भी हो पर इस चुनाव ने एक ऐसे नाटिका का मंचन कर दिया है जिसके रिजल्ट का सभी को इंतजार रहेगा !
चार किताबें पढ़ कर हम-तुम ,
क्या विरले हो जाएँगे
मिटा न पाए मन का अँधेरा,
तो क्या उजले हो जाएँगे
कितना अच्छा लगता है
जब वह कहती है
मैं बात नहीं कर सकती
मन तो बहुत करता है
पर कोई न कोई हमेशा साथ होता है
पहाड़ी ढलान पर से
सरकता सांझ का वक्त
गुलाबी लाल से सुरमाई बादल
सूरज का गोलाकार रुप
प्रत्यक्ष सीधे अब जाते - जाते
ज्यों आँखें मीचे गीत कोई
पहाड़ी गाता धुन वो जीवन
की सुनाता बंद तरानों
हमें नमो घाट जाना था।इसका निर्माण अभी हुआ है।गंगा के घाटों में नमो घाट सबसे नवीनतम है।करीब दो घंटे बाद हम नमो घाट पर थे। अद्भुत,अद्वितीय।
नमो घाट पर हर सुविधा मौजूद थीं।टैक्सी वाले भैया ने हमें बताया कि कुछ साल पहले यहां झुग्गी-झोपड़ी वालों का निवास था। गंगा मां के निर्मलीकरण और सौंदर्यीकरण के दौरान उनका पुनर्वास कहीं ओर कराया गया और अब यह स्थान सबसे सुंदर और खुला-खुला है। यहां गंगा मां को नमन करते हुए हाथ बने हैं।
आज बस
सादर वंदंन



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