।।प्रातःवंदन।।
प्रस्तुतिकरण के क्रम को बढाते हुए...✍️
आधा दिसंबर गुज़र चुका है। ठंड धीरे-धीरे अपने तेवर दिखाने लगी है। कुहरे और सूरज दादा में जंग जारी है। कुछ लोग बर्फबारी का आनंद लेने के लिए पहाड़ी स्थानों की ओर रुख़ कर रहे हैं। पूरे NCR को प्रदूषण ने अपनी चपेट में ले रखा है। कुल मिलाकर शीत ऋतु का प्रभाव अलग-अलग ढंग से सबको प्रभावित कर रहा है।ठंड में अपना और अपनों का ध्यान रखते हुए आइए सर्दी वाले कुछ दोहों का आनंद लिया जाए 👇👇
दोहे सर्दी वाले
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माह दिसंबर आ गया,ठंड हुई विकराल।
ऊपर से करने लगा,सूरज भी हड़ताल।।
हाड़ कँपाती ठंड से,करके दो-दो हाथ।
स्वार्थ बिना देती रही,नित्य रजाई साथ।।
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इसकी कोई धुंधली तस्वीर जाने क्यों आज भी अक्सर अकेले में बातें करती हैं ll
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स्विमिंग पूल में हार का जश्न खेलावन काका की कलम से बिहार के लोग भी अजीब बिहारी हैं। सब तरह की खुमारी है और हर जगह मारा-मारी है। मारा-मारी मतलब लाठी-डंडा नहीं बाबू, कुर्सी की। यहाँ कुर्सी ऐसी चीज़ है कि जिसको मिल जाए, वह बैठता नहीं, जम जाता है। और जम गया तो फिर पीढ़ियाँ बदल जाएँ, कुर्सी नहीं..
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पब्लिक टॉयलेट की समस्या—
सबके फायदे की बात हो तो मैं लिखने से गुरेज़ नहीं करती, चाहे विषय थोड़ा संकोच वाला ही क्यों न हो, क्योंकि यह समस्या हर यात्रा करने वाली महिला की है।
सफ़र के दौरान—रेल, फ्लाइट, मॉल, ऑफिस, कहीं भी—पब्लिक टॉयलेट की साफ़-सफ़ाई सबसे बड़ी चुनौती बन जाती है।..
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।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह ' तृप्ति '..✍️
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