जीवन के प्रति सुख और दुख में श्रद्धावान बने रहना आपसे सीखा। अपनी संतान के प्रति कठोर और तरल समानांतर चलते हुए बने रहना सीखा। त्याग और परिश्रम से डरना नहीं। स्वाभिमान कायम रहे, विचारवान बने रहना सीखा। आपके आगे मेरा हर तर्क, हर शिकायत, हर अहं मौन हो जाता था और है। आप बच्चे जितनी सरल और विद्वानों जितनी कठोर थीं।
कंडाली रे कंडाली, अमृत का प्याला, , लेमन ग्रास तुलसी संग, ग्रीन टी निराला। पहाड़ी की शान है, गढ़वाल का गीत, कुमाऊँनी सिसूण संग, जुड़ता हर प्रीत। गर्मी में नाजुक है, पानी से सँभालो, बरसात में खिल उठे, बगिया को सँवारो।
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सुन्दर संयोजन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक 🙏
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