निवेदन।


फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 12 दिसंबर 2025

4599...हम सब टाइम ट्रेवलर हैं

शुक्रवारीय अंक में 
आप सभी का हार्दिक अभिनंदन।
--------------

आज की रचनाऍं- 


स्टेशन आया
लोग उतरे, लोग चढ़े,
और आइंस्टीन ने खिड़की से झाँककर कहा,
देखो… हम सब टाइम-ट्रैवलर हैं
फ़र्क बस इतना है कि
कोई अपने अतीत में अटका है,
कोई भविष्य की चिंता ढोता है,
और कोई वर्तमान को
दोनों मुट्ठियों में पकड़े
खड़ा रह जाता है।




अब जब वह नहीं है,
तो पता चला है 
कि वह थी,
पर उसे कभी पता नहीं चलेगा 
कि हमें पता चल गया है 
कि वह थी। 



ग़फ़लत में अधूरा रह गया इश्क़ का फ़साना,
हम समझते रहे, वो हमसे ख़फ़ा नहीं होता।।

जानकर दूरियाँ बढ़ा लीं होंगी उसने,
वरना यूँ ही तो वो जुदा नहीं होता।।


 ईश्वर का एक विशेषण । उ॰—प्रलख अरूप अबरन सो करता । वह सबसों सब वहि सों बरता ।-जायसी (शब्द॰) । मुहा॰—अलख जगाना=(१) पुकारकर परमात्मा का स्मरण करना या कराना । (२) परमात्माके नाम पर भिक्षा माँगना । यौ॰—अलखधारी । अलखनामी । अलखनिरंजन । अलखपुरुष= ईश्वर । अलखमंव=निर्गुण संत संप्रदाय में ईश्वर मंत्र ।


लोगों में अवॉर्ड्स और पुरस्कार पाने की होड़ जब देखती हूँ तो मन में हंसती हूँ।अपनी चालीस साल की जॉब को अच्छी तरह से निभा सकी। बहुत सम्मान और स्टुडेंट्स का प्यार पाया। अपने पढ़ाए बच्चों को अच्छी जगह सैटल्ड हुआ , अच्छा आर्टिस्ट बने देखती हूँ तो परम सन्तोष होता है। बच्चों की परवरिश पति , परिवार के सहयोग व ईश्वर कृपा से सन्तोषजनक रूप से पूरी कर सकी। उनके प्रति भी कर्तव्य पूरे कर मुक्त हुई। और असाध्य भीषण बीमारी को आस्था व विश्वास की उंगली थाम पार कर सकी , तो लगता है जैसे दुनियां के सारे अवॉर्ड्स मैंने जीत लिए हैं…सोते समय एक गहरी सन्तोष की साँस लेकर सोचती हूँ ….और क्या चाहिए ? 

-----------
आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
------

2 टिप्‍पणियां:

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...