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रविवार, 28 सितंबर 2025

4524...जिस पर विश्वास नहीं किया वह पीछे छूट जाता है...

 शीर्षक पंक्ति: आदरणीया अनीता जी की रचना से। 

सादर अभिवादन। 

रविवारीय अंक में पढ़िए पाँच रचनाएँ-

कात्यायनी माता। मां दुर्गा का षष्ठम स्वरूप।

*****महिषासुरमर्दिनी

आते ही मुङ कर चाॅक उठाई

ब्लैक बोर्ड पर इक छवि बनाई 

विशाल शंख-सी आँखों वाली 

देवी माँ जिनकी सिंह सवारी

***** 

व्यतीत

कल, ये परछाईं भी संग छोड़ेगी,
हर पहलू मुंह मोड़ेगी,
सायों सा संग था, खनकता वो कल था,
सर्दीली राहों में, वो संबल था,
अब, प्रशीत हुआ जाता हूं!

अतीत बन, ढ़ला जाता हूं....
*****

भरोसा

जिस पर विश्वास नहीं किया 

वह पीछे छूट जाता है

किया जिस पर अंधविश्वास 

वह काम नहीं आता है !


व्यक्ति खड़ा रह जाता है 

मँझदार में 

अब प्रतीक्षा के सिवा 

कोई उपाय नहीं !

*****

128. ख़ुश रहें कि हम ज़िन्दा हैं

कोरोना के इस गम्भीर और अतार्किक समय में उचित और सटीक क्या हो, यह कोई नहीं बता सकता है। अनुमान, आकलन, अफ़वाहअसत्यअसंवेदनशीलताआरोप-प्रत्यारोप इत्यादि का चारों तरफ़ शोर है। इन प्रतिकूल परिस्थितियों में भी कुछ ऐसा है, जो मन को ख़ुशी दे जाता है। जब से कोरोना शुरू हुआ है, तभी से स्कूल, कॉलेज, ऑफ़िस, दुकानबाज़ार इत्यादि सभी कुछ बंद है। पूरा परिवार जो कभी एक साथ बैठने को तरसते थाआज सब एकत्र होकर न सिर्फ़ खाना खाते है; बल्कि एक दूसरे के साथ मिल-बाँटकर घर का काम भी निपटा रहे हैं। समय के इस काल ने जैसे सम्बन्धों की डोर को मज़बूती से बाँध दिया हो। जिनसे दूरी हो गई थी, वे भी अभी एक दूसरे का हाल-समाचार फ़ोन से ले रहे हैं। बच्चे हों या बुज़ुर्ग तकनीक का प्रयोग करना सीख गए हैं। घर से ही कार्यालय का कार्य हो रहा है जिससे काफ़ी पैसे बच रहे हैं। कम में जीने की आदत अब लोगों में पड़नी शुरू हो गई है। लोग जीवन की सच्चाई से वाक़िफ हो चुके हैं कि जीवन का भरोसा नहींकब बिना बुलाए कोरोना आ टपके और अपनों से सदा के लिए जुदा कर दे।

*****
फिर मिलेंगे। 
रवीन्द्र सिंह यादव 

6 टिप्‍पणियां:

  1. आप सभी को नवरात्रि की शुभकामनाएँ! पठनीय रचनाओं से सजी सुंदर प्रस्तुति, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. अभाव में भाव और जगद्धात्री की ऊर्जा का संवाद। रवीन्द्र जी, इस संकलन में स्थान देने के लिए हार्दिक आभार। सभी रचनाकारों को बधाई !

    जवाब देंहटाएं

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