आज 21 सितंबर 2025 को सर्वपितृ अमावस्या है. इसे मोक्ष अमावस्या,
महालय अमावस्या या पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन
अमावस्या तिथि 21 सितंबर को दोपहर 12:16 बजे से शुरू होगी
और 22 सितंबर को दोपहर 1:23 बजे तक रहेगी
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कुछ टुकड़े गुलजार साहब की डायरी से
ना राज़ है ज़िन्दगी,
ना नाराज़ है ज़िन्दगी;
बस जो है, वो आज है, ज़िन्दगी!
जीवन की किताबों पर,
बेशक नया कवर चढ़ाइये;
पर बिखरे पन्नों को,
पहले प्यार से चिपकाइये !!
आगे भी देखिए ....
कुछ अलग सा
कहा जाता है कि उन्होंने अपने साथी सैनिक प्रीतम सिंह के सपने में आकर अपनी मौत की खबर दी और यह भी बताया कि उनका शरीर कहाँ मिलेगा। प्रीतम सिंह की बात पर पहले तो किसी ने भी विश्वास नहीं किया पर शव भी नहीं मिल पा रहा था सो बताए गए स्थान पर गहन खोज की गई और ठीक उसी जगह हरभजन सिंह का पार्थिव शरीर मिल गया। सेना ने सम्मान पूर्वक उनका अंतिम संस्कार किया !
इसके कुछ दिनों के बाद प्रीतम सिंह को एक बार फिर सपने में आ कर हरभजन जी ने अपनी समाधि बनाने की इच्छा व्यक्त की ! उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए सेना के उच्च अधिकारियों ने “छोक्या छो” नामक स्थान पर उनकी समाधि बनवा दी
सुरभि क्या बोलती? चुपचाप हथियार डालकर कमरे की और बढ़ गई।कमरे में आकर अशोक को फोन करना चाहा फिर फोन बेड पर फेंक दिया।"तुम यही चाह रहे थे अशोक..! सुरभि के गालों पर आँसू की बूँदें चमकने लगीं।तभी फोन की घंटी बजी तो देखा अशोक है। उसने पहले सोचा रिसीव करें? फिर कुछ सोचकर नंबर ब्लॉक कर दिया।
"सॉरी अशोक अब हमारे रास्ते और रिश्ते दोनों ही बदलने वाले हैं। तुमने बहुत देर कर दी। मैं अपने माँ पापा को तुम्हारे कारण और दुखी नहीं कर सकती..?सुरभि की आँसू पोंछ लिए।
"दी आप खुश नहीं हो..? "सुनिधि ने कमरे में आते ही पहला प्रश्न किया।
हाँ, यह संभव है
प्रेम में !
पर इसके लिए
रहना होगा शुद्ध वर्तमान में
जहाँ कोई विचार नहीं
स्मृति नहीं
चाह नहीं
प्रतिरोध नहीं
भीतर कोई गति नहीं
वहीं तो प्रेम ‘है’ !
शाम से रात होने को आई थी
सड़क पर केवल बारिश झर रही थी
तुम चिपक कर बैठी थी मुझसे
सर टिका लिया था कंधे पर
दो हाथ लिपटे थे जैसे कोई बरसाती बेल
अंधेरा ढक चुका था हमें
फरवरी की रात ताप बनकर
चढ़ रही थी हम दोनों पर
हमें इन्तजार था
पर किसका , हमें नहीं पता था
एक बार बच्चे ने अपनी मां से पूछ लिया कि मां पापा के जाने के बाद
कुछ देर तक दरवाजा क्यों खुला रखती हो??
तब मां ने बच्चे को वो गूढ़ बात बताई जो हमारी सांस्कृतिक विरासत है। उन्होंने बच्चे को कहा कि
किवाड़ की खुली सांकल किसी के लौटने की एक उम्मीद होती है। अगर कोई अपना
हमसे दूर जा रहा है तो हमे उसके लौटने की उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।
उसका इंतजार जीवन के आखिरी पल तक करना चाहिए!
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंवाकई बहुत अच्छी रचनाओं का गुलदस्ता
आभार
वंदन
बहुत सुंदर अंक 🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति!मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया।
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