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सोमवार, 8 सितंबर 2025

4505 ...उदित हुआ सूर्यवंश का मान हमारा राम

सादर अभिवादन


जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है
जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है
जो रवि के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा
जो जीवन की आग जला कर आग बना है
फ़ौलादी पंजे फैलाए नाग बना है
जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है
जो युग के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा
-केदारनाथ अग्रवाल

चलिए आगे बढ़ें ....




देह में उकेरे हुए ज़ंजीरों के निशान,
पुकारते हैं अदृश्य महामानव
आग्नेय शब्दों में विस्मृत
स्वाधीनता के गान,
भग्न देवालयों के गर्भ -
गृहों में आज भी प्रज्वलित हैं शाश्वत मशाल,
सम्प्रति युग में भी हैं सक्रिय वही बर्बर
कौरवों के सन्तान, इतिकथाओं
के पृष्ठों से उतरता है समय
देह में उकेरे हुए ज़ंजीरों के निशान ।




राम नवमी
आया हर्ष का पल
सुखी अयोध्या
 
राम सा पुत्र
गर्वित रघुकुल
धन्य कौशल्या
 
राम सा सुत
दशरथ विभोर
धन्य रानियाँ
 
उदित हुआ
सूर्यवंश का मान
हमारा राम




शायद उनकी किसी अतिप्रिय अध्यापिका का नाम क्रिस्तीना होगा, जो कि बच्चों की मनपसंद टीचर होगी! अनजाने ही उसके हिस्से का प्यार मुझे मिल गया। बच्चे ऐसी ऊर्जा का स्रोत होते हैं कि जो निष्प्राण में भी तत्काल प्राण फूंक देते हैं, बस उसी ऊर्जा के आलिंगन के बाद से मन अधिक खिला खिला सा है। शिक्षक दिवस पर इस तरह उपहार स्वरूप बच्चों का साथ मिलना सबसे बड़ा उपहार हो गया।  






आवाज़ ढूंढती  है मुझे 
और मरे कानों को 
मैं छिपता फिरता 
भागता जा पहुचता हूँ 
कोलाहल में कहीं . 
सुनना नहीं चाहता 
अब और सबकी 
आवाजें 




"अरे, यहां भी कोई ठंड पड़ती है !" - हंसमुख बोला - “आप तो 60 बसंत देख चुके हो अपने जीवन के। 
ठंड में कभी अपने यहां बर्फ गिरते देखी है ?”

अब किसनू ठहरा साधारण ग्रामीण। गांव से बाहर कभी कदम नहीं रखा। इसीलिए वो तो यही मानकर चल रहा था कि उनके गाँव में तो क्या पूरे भारत देश में कहीं बर्फ गिरने का कोई सवाल नहीं। तो तपाक से बोल उठा - “अरे भइया! यहां कहां बर्फ गिरने लगी ? और जब गिरती ही नहीं तो मैं भला कहां देखने लगा बर्फ को गिरते हुए ?”

“सही कहा। अब आप ही बताओ जब यहाँ बर्फ ही नहीं गिरती तो ठंड क्या खाक पड़ेगी!”

“भई, कहना क्या चाहते हो ?” - एक तीसरा ग्रामीण रमैया बोला।

“अरे, अमेरिका में सिर्फ ठंड ही नहीं पड़ती। बर्फ भी गिरती है।”

“बर्फ भी गिरती है!” - जमनालाल, किसनू और रमैया तीनों एक साथ चौंके।

साथियों पर अपनी बात का प्रभाव देखकर हंसमुख उनको और अधिक हैरान करते हुए बोला - “अरे! सिर्फ बर्फ ही नहीं गिरती, बहुत ज्यादा बर्फ गिरती है। पूरे दिन बर्फ ही गिरती रहती है।”

“तू हमारी फिरकी तो नहीं ले रहा है लड़के!” - किसनू ने संदेह भरी नजरों से देखते हुए कहा।



आज बस
सादर वंदन



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