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शुक्रवार, 26 सितंबर 2025

4523...तुरपाई में उलझी माँ..

शुक्रवारीय अंक में 
आप सभी का हार्दिक अभिनंदन।
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ऋतुओं का संधिकाल सृष्टि के अनुशासनबद्ध परिवर्तन चक्र का प्रतिनिधित्व करता है।
आषाढ़ के साँवले बादल, लौटती बारिश की रिमझिम झड़ी क्वार (आश्विन) की पदचाप की धीमी-सी सुगबुगाहट  हरी धरा की माँग में कास के श्वेत पुष्षों का शृंगार  
अद्भुत स्वार्गिक अनुभूति है।
नरम भोर और मीठी साँझ के बीच में धान के कच्चे दानों सा दूधिया दिन धीमी आँच पर पकता रहता है।
शारदीय नवरात्र के उत्सव में आपने कभी देखा है नौजवान ढाकियों को अपने तासे में कास के फूल खोंसकर तन्मयता से  झूमते हुए? 
नव ऋतु की आहट महसूस करते हुए
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आइये पढ़ते हैं आज की रचनाएँ-


देख के क्यों लगता है तुरपाई में उलझी माँ,

रिश्तों के कच्चे धागों में बंधक होती है.


बचपन से ले कर जब तक रहती हमें ज़रूरत,

संपादक हो कर भी वो आलोचक होती है.





भीषण ठंड में 

पत्थर ढोती बालायें  

ढोते भारी बोझ 

टेढ़े अनगढ़ रास्तों पर 

घोड़े व खच्चर 

उन्हें चढ़ते-उतरते देख  

हम लौट आये हैं






 दीवारें चुप हैं, पर उनमें दरारें बहुत हैं,
चुप्पियों के पीछे पुकारें बहुत हैं।
हर मुस्कुराते चेहरे के पीछे जो छिपा है,
उस दर्द के समंदर के किनारे बहुत हैं।





कुछ नहीं तो 
बुन लेती हूँ अपनी आत्मा आकाश और पृथ्वी को थामे 
किसी महा स्तोत्र में घंटों 
मैं बीतती जा रही हूँ उस अलौकिकता में जिसमें 
तुम हो, मंत्र हैं 


पर इतिहास इस बात का भी गवाह रहा है कि यदि भौतिक बदलावों को छोड़ दें तो जो क्रांतियां, तानाशाही, भ्रष्टाचार, वंश, भाई-भतीजावाद के विरोध में की गईं वे तात्कालिक रूप से तो सफल रहीं, परंतु समय के साथ फिर उनके परिणामों में बदलाव आता चला जाता है ! फिर वही पुरानी बुजुर्वा ताकतें हावी होती चली जाती हैं ! 


ऐसे भी हमारी सनातन संस्कृति  में एक संतान का परिचय अपनी माँ के नाम से दिए जाने के अनेकों उदाहरण विद्यमान है। कौन्तेय,राधेय, देवकीनन्दन, गांधारी पुत्र, गंगा पुत्र आदि आदि। इन समस्त उद्धरणों और पौराणिक प्रकरणों के आलोक में छद्म पुरुष मानसिकता से ग्रसित आलोचकों की अमर्यादित आलोचनाएँ न सिर्फ़ बेमानी हैं, प्रत्युत उनके द्वारा आसमान में थूकने के समान है

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आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
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5 टिप्‍पणियां:

  1. ऋतु परिवर्तन के समय होने वाले परिवर्तन को अति मोहक और सुंदर शब्दों में प्रस्तुत करती भूमिका और पठनीय रचनाओं का चयन, बहुत बहुत बधाई और आभार श्वेता जी!

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर संकलन … आभार मेरी ग़ज़ल को शामिल करने के लिए

    जवाब देंहटाएं

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