शीर्षक पंक्ति: आदरणीय डॉ. सुशील कुमार जोशी जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पढ़िए पाँच पसंदीदा रचनाएँ-
राम को लिखते हैं खत बस एक डाकखाना
नहीं मिलता
रोज आते हैं अपने अपने रास्ते से यहां आदतन सभी
अपने रास्ते पर आने जाने का नाम और निशाना नहीं मिलता
वो खुदा में मसरूफ़ हैं इन्हें अल्लाह नहीं मिलता
ये राम को लिखते हैं खत बस एक डाकखाना नहीं मिलता
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1218 ग्राम्य जीवन की संवेदनाओं का रंगमंच: 'कुछ रंग' चोका-संग्रह
पैरों में पैरी
धूसर सी पत्तियां
हरा फुँदना
सिर पर बाँधके
दूल्हे के जैसा
खड़ा खेत में गन्ना
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कर्म संधान लक्ष्य पहुँचे, फिर बजे विजय शंख।
सार्थक हो काज तेरे, सकल लगाए अंक।।
Sharadakshara: पुस्तक
समीक्षा | शब्द-शब्द
संवाद करती कविताओं का इ...
'आचरण' में प्रकाशित पुस्तक समीक्षा पुस्तक समीक्षा शब्द-शब्द संवाद करती कविताओं का इन्द्रधनुष
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर वंदन
आपका हृदय से आभार सभी लिंक्स सुन्दर पठनीय. आप सभी को अभिवादन
जवाब देंहटाएंआभार रवीन्द्र जी
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंक 🙏
जवाब देंहटाएंसुप्रभात! मानसून जाने का नाम नहीं ले रहा इस बार, भीगी भीगी इस सुंदर सुबह में पढ़ने के लिए काफ़ी कुछ लाया है आज का अंक, आभार रवींद्र जी!
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