शीर्षक पंक्ति: आदरणीय डॉ.अजित जी की
रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पढ़िए पाँच रचनाएँ-
एकदिन हम उस मिट्टी के नीचे दबेंगे
जो हमारे जूतों ने मसलते हुए निकाली
थी
भले उस दिन हम नंगे पैर रहे
मिट्टी हमारे पैर का जूता बना कर दम
लेगी.
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हिंदी दिवस की
हार्दिक शुभकामनाएं
सहज सरल भाषा यह
अनुपम अलंकृत शब्द इसके
सुन्दर अप्रतिम सीधे उतरते दिल में हमारे
यह मातृभाषा हमारी.है हमारा स्वाभिमान
कैसे करूँ यशगान हिंदी हमारी शान
सबसे निराली भाषा,समेटे स्वयं में
ज्ञान
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जै रघुनंदन तुमको वंदन तुम अविनाशी घट
घट वासी
सड़कों पर तैर रहीं मछली,सब वाहन तैर रहे जल में।
भयभीत हुआ जनमानस है ,कब बादल कोप फटे पल में।
अब नींद नहीं इन नैनन में,दुख दर्द मिले अब तो कल में।
घर बार छिने मन पीर उठे,अब जीवन सौख्य रसातल में।
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विवाहित बेटी
भी अनुकम्पा नियुक्ति की हक़दार -इलाहाबाद हाई कोर्ट
विवाह के पहलू पर विचार करते हुए, खंडपीठ ने निम्नलिखित निर्णय दिया:
"विवाह का पहचान से कोई निकट
संबंध नहीं है और न ही होना चाहिए। एक महिला के रूप में उसकी पहचान उसके वैवाहिक
संबंध के बाद भी और उसके बावजूद भी बनी रहती है। इसलिए, समय आ गया है कि न्यायालय इस
बात पर सकारात्मक रूप से ज़ोर दे कि यदि राज्य को संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 में निहित समानता के मूल
सिद्धांत के अनुरूप कार्य करना है, तो वह विवाहित पुत्रियों के साथ भेदभाव नहीं कर सकता, उन्हें क्षैतिज आरक्षण के लाभ
से वंचित कर सकता है, जो कि पुत्र को उसकी वैवाहिक स्थिति पर ध्यान दिए बिना उपलब्ध कराया जाता
है।"
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
वंदन
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
वंदन
बेहतरीन अंक, सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🙏 ऐसे ही लिखते रहें और सबको अनुमोदित करते रहें 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार ....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय
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