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सोमवार, 26 दिसंबर 2022

3619 / और फिर रात गुजर गई

 

नमस्कार  ! आज  , जब मैं प्रस्तुति बना रही हूँ तो सब   क्रिसमस  मना रहे हैं ...... भारतीयों की दृष्टि से देखें तो आज हमारे  दो महान नायकों का  जन्मदिन भी रहा है ........ महामना  मदन मोहन मालवीय  जी और अटल बिहारी वाजपेयी जी  का  . ..... यानि  कि आज का दिन अत्यंत महत्त्वपूर्ण है ........ क्रिसमस का त्यौहार अनेक देशों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है ...... इस पर विस्तृत जानकारी लेते हैं इस पोस्ट से ..... 

 हैप्पी क्रिसमिस

सयुंक्त राष्ट्रीय की  यूनीवर्सल   पोस्ट यूनियन के अनुसार "सांता क्लाज़ को ढेरों नन्हें मुन्ने बच्चों की  पाती मिलती हैं "सांता कितने लोकप्रिय हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगया जा सकता है कि कम से कम २० देशों के डाक विभाग सांता के नाम से आने वाली चिट्ठियों  को अलग करने और फ़िर उनका जवाब देने के लिए अलग से कर्मचारी भरती करते हैं ...


लीजिये , बच्चों के मनोविज्ञान को देख विशेष रूप से पत्र पढ़ने के लिए कर्मचारियों की न्युक्ति की जाती है लेकिन बूढ़े होते माँ बाप का मनोविज्ञान कौन समझ पायेगा ?  एक ऐसी ही मर्मस्पर्शी रचना .....

और फिर रात गुजर गई


क्यों जीसो गये क्या?'

'नहीं'

'अभी अमरीका में क्या बजा होगा?'

'अभी घड़ी कितना बजा रही है?'

'यहाँ तो १ बजा है रात का.'

'हाँतो वहाँ दोपहर का १ बजा होगा. समय १२ घंटे पीछे कर लिया करो.'

'अच्छासंजू दफ्तर में होगा अभी तो'


न जाने कितनों का सच होगा ये .....और कितने ही लोगों की रातें यूँ ही गुज़रती होंगी ..... चलिए ये तो परिवार की बात है ...... बच्चे इस गलाकाट  प्रतियोगिताओं में मशीन बन कर रह गए हैं .....  संवेदनाएँ मृत  हो चुकी हैं  लेकिन उन मृत संवेदनाओं का क्या जो अपने ही स्वार्थ में  संबंधों को  ही बदनाम कर दें .......  जब प्रगाढ़ सम्बन्ध दरकने लगें तो क्या उचित और क्या अनुचित है , इस पर रोशनी डाल रही है ये पोस्ट .....

कुछ इस तरह

मतलब साफ है कि वो रिश्ता सिर्फ़ उनके अहंकार को पुष्ट करने का मात्र जरिया भर था बाकी अन्दर भूसा ही भरा था। सारे कोमल  रेशमी धागे बुरी तरह उलझ जाते हैं ।वे जरा नहीं सोचते कि अपने पुराने संबंधों की कुछ तो मर्यादा रखें। मैं- मैं का गान खुद करेंगे औरों से भी करवाएंगे। 


पता नहीं लोग संबंधों को कैसे अनदेखा कर देते हैं और ज़रा सी दूरी आने पर बदले की भावना घर कर जाती है ....... जबकि होता यह है  कि भले ही कुछ पीछे छूट गया हो , जीवन नित आगे ही बढ़ता है ...... लेकिन यादें धरोहर होती हैं ....... इसी विषय पर एक प्यारी सी पोस्ट .... 

स्मृतियाँ साथ चलती हैं

स्मृतियाँ चाहे अनचाहे मन की चौखट पर दस्तक दे ही देती हैं । अधिकार जताती हैं और हमारे समय और ऊर्जा को लेकर स्वयं को पोषित करती हैं । इन्हें तो हमारा दखल भी बर्दाश्त नहीं । जितना उपेक्षित करो उतनी ही दृढ़ता मन के द्वार खटखटाती हैं । यादों के आगे मन की विवशता भी देखते ही बनती है .


कुछ यादें साथ चलती हैं तो कुछ न जाने कहाँ गिर कर विलीन हो जाती हैं ........ आइये पढ़ते हैं कुछ यादों को लिए ये ग़ज़ल ....

उफ़ुक़ से रात की बूँदें गिरी हैं ...


इसे मत दर्द के आँसू समझना,
टपकती आँख से यादें गिरी हैं.


मिले तिनका तो फिर उठने लगेंगी,
हथेली से जो उम्मीदें गिरी हैं.



और ये आँख से टपकती  यादों  की बात है  , यूँ तो आँख से जो टपका वो दर्द ही होता है ....... . कुछ दर्द लिखे जाते हैं तो कुछ बस सोच कर रह जाते हैं ........ अब  लेखिकाएँ जो रच रही हैं उन पर एक नज़र देखिये ..... 

औरत की कहानी


हँसते होंठो के पीछे उदासी की परत ,
पनीली आँखों के सपनों की झलक ,
लहराती लटों में रातों की स्याही
कहीं जुल्फों पर जो, चाँदी थी उतर आई ,
रंगत आबनूसी, कहीं सुनहरी – रुपहली - आसमानी लिखी |

ये तो जो लिखा सो लिखा ...... लेकिन सच तो यह है कि स्वयं औरत ही अपना शोषण कराने पर आमदा हो जाती है ....इससे सम्बंधित एक बेहतरीन लघु कथा पढ़िए .....

 पीली  चिड़िया ....

इसका अंदाज़ा मुझे नहींतुझे होना चाहिए।“ प्रभा को रोशनदान की ओर से आव़ाज आती-सी लगी। उसने देखा वहाँ बैठी पीली चिड़िया ने पंख फड़फड़ाए और आसमान की ओर उड़ गयी थी। प्रभा ने दूसरे हाथ में पकड़ी किताब मच्छर के ऊपर पटक दी। अचानक हुए प्रहार से मच्छर वहीं ढेर हो गया।


कुछ ज्यादा ही गंभीर चिंतन हो गया ...... चलिए इस पर मनन  करते हुए  प्रकृति का भी आनंद लिया जाए ..... पहाड़ ,  नदी , झरने , सभी सबके मन को आनंदित करते हैं  तो किसी को  बादल  , रात , चंद्रमा   प्रभावित करते हैं ......... आइये इन्ही विषयों पर पढ़ते हैं कुछ रचनाएँ  जो अद्भुत सौन्दर्य को वर्णित कर रही हैं ..... 

शशधर

अहा इस रात का सौंदर्य वर्णन  कौन कर सकता।

कवित की कल्पना में भी न ऐसी रात ढल पाई।।

 

रजत के ताल बैठा शशि न जाने कब मचल जाए।

भ्रमित से स्नेह बंधन में जकड़ कर रात गहराई।। 

चंद्रमा  के अनेक नाम से सुसज्जित रचना पढ़ कहीं तो मन में  ये   पंक्तियाँ  गूँज गयीं  -  चारु चन्द्र की चंचल किरणे ......... खैर अब रात की बारी ........ 

निशा 

नित ले आती, निशा, नव कल्पना!

पंख पसारे,
ये विहग‌ आकाश निहारे,
विस्तृत आंचल के, दोनो छोर किनारे,
उन तारों से, न जाने कौन पुकारे,
हृदय के, गलियारों में,

जागे वेदना!
 

रात तो वेदना जगा रही लेकिन मेघ जो हैं सब कुछ कुर्बान करने को तत्पर रहते हैं , नीचे लिखी पंक्तियाँ लेखिका ने स्वयं के लिए कही हैं शायद .....

अभी मै कुछ हूं नहीं,
अभी मेरा नाम बाकी है 
ये तो बादल है,

अभी तो बरसात होना बाकी है...❣️


ये बादल....


ये बादल....

कभी इन बादलों को गौर से देखो

कितनी आकृतियां बनाती हैं ये

मानो बादलों में अटखेलियां करती हैं . 

ये सब कल्पना की उड़ान में कवि  या कवयित्रियाँ  न जाने क्या क्या रच देती हैं ........ लेकिन  कभी कभी जीवन से  रु - ब - रु  हो कर भी बहुत कुछ लिखा जाता है ......  आइये इस हलचल की यात्रा समाप्त करने से पहले  इस यात्रा में शामिल हों ..... 

यात्रा

यात्रा के हैं अनगिन रूप
कभी छाँव मिले कभी धूप
प्रथम यात्रा परलोक से
इहलोक की
नौ महीने की विकट यात्रा
बन्द कूप में सिमटी हुई यात्रा

चलिए जी अब ये यात्रा तो सबने ही करनी है ....... सबके पास कन्फर्म  टिकट है  , लेकिन इस यात्रा की तारीख किसी को नहीं पता ....... बस जी चल पड़ेंगे जब हुकुम आएगा ....... तो तब तक पढ़िए आज की दी हुई सारी पोस्ट और अवगत करिए अपने विचारों से ...... 

जाते जाते ये साल कुछ खुशियाँ  लाया है । वरिष्ठ और प्रवासी  ब्लॉगर  शिखा वार्ष्णेय  के हिंदी के प्रति किये गए कार्यों  के लिए मध्य प्रदेश सरकार  ने निर्मल वर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार देने की घोषणा  की है । हम सभी ब्लॉगर परिवार की तरफ से उनको हार्दिक बधाई - 



अब मिलेंगे अगले साल ..... तब तक के लिए .......


नमस्कार 

संगीता स्वरुप . 


35 टिप्‍पणियां:

  1. एक -एक दिन करके साल गुज़र गया
    एक और शानदार प्रस्तुति
    आभार
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छे लिंक्स ... मुझे शामिल किया आभार |

    जवाब देंहटाएं
  3. रोचक और अच्छे लिंक संयोजन … आभार मुझे शामिल करने के लिए …

    जवाब देंहटाएं
  4. एक एक लिंक की मोती जोड़कर आपने माला में पिरो दिया...सुंदर प्रस्तुति...इसमें मुझे भी शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. आज की सार्थक विविधता से पूर्ण प्रस्तुति के लिए हृदय से साधुवाद आपको आदरणीय संगीता जी।
    बहुत सुंदर आकर्षक लिंक्स चयन‌,
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    मेरे शशधर को पाँच लिंको के अनुपम गगन पर सजाने के लिए हृदय से आभार आपका।
    सादर सस्नेह ‌

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. इस मंच रूपी गगन में आप लोगों द्वारा सहेजे चाँद तारे सजाते रहें यही कामना है ।

      हटाएं
  6. उत्तर
    1. शिखा जी आपको अशेष बधाईयाँ और शुभकामनाएँ।
      शिखा जी आपको सम्मान मिलना हम सभी के लिए गर्व का विषय है।
      आपको ऐसे अनेक सम्मान प्राप्त हों आप यशस्विनी हों यही कामना है।
      सस्नेह।
      सादर।

      हटाएं
    2. प्रिय शिखा ,
      तुम्हारी उपलब्धि से ब्लॉगर्स का मान बढ़ गया है । सम्मान के लिए सोच कर कोई काम नहीं करता , लेकिन जब किये गए काम के प्रति लोग नोटिस करते हैं तो आत्म संतुष्टि मिलती है । बहुत बधाई और शुभकामनाएँ । ऐसे ही अनेकों सम्मान तुम्हारी झोली में आयें।

      हटाएं
    3. हार्दिक शुभकामनाएं
      सादर

      हटाएं
  7. उत्तर
    1. बहुत शुक्रिया समीर जी । उड़नतश्तरी आज यहाँ भी उतरी है 😄

      हटाएं
  8. प्रिय दी,
    और पाँच कदम फिर नये कैलेंडर वर्ष का तिलिस्मी द्वार खुल जायेगा । आइये हम सब भी नयी आशाओं ,नये सपनों, नये इरादों की टोकरी लटकाए सकारात्मक उत्साह से स्वागत करें जानी-पहचानी तिथियों की अनदेखे,अनजाने पलों का।
    सभी रचनाओं पर आपकी लिखी प्रतिक्रिया विशेष प्रभाव डाल रही है हमेशा की तरह।

    मन पर गहरी छाप छोड़ती "और फिर रात गुजर गयी"...बूढ़े माता-पिता का संवाद मन को गीला कर गया।

    क्या कहूँ रचनाओं पर-
    क्रिसमस के रोचक तथ्य
    प्रवासी पुत्र, माँ-बापू का सिसकता सत्य...।

    रेशमी धागों को उलझाते अहं की गाँठ
    स्मृतियाँ कभी हँसाती कभी देती आँसू आठ।

    उफ़ुक़ से रात की बूँदें गिरी हैं
    औरत की कहानी भावनाओं से भरी हैं।

    पीली चिड़िया के पंख पकड़कर उड़ जाओ
    स्त्री हो क्या अपने हक़ के लिए लड़ जाओ

    नभ पर शशधर की किरणों से अल्पना
    नित ले आती, निशा, नव कल्पना!

    बादलों में लिपटी मोतियों की लड़ियाँ
    जुड़ती रहती है नभ से धरा की यात्रा की कड़ियाँ...।
    -----
    सही कहा दी कन्फर्म टिकट तो है ही शाश्वत सत्य है।
    उस यात्रा का तो पता नहीं आपके सोमवारीय विशेषांक की यात्रा का आज का पड़ाव बहुत आनंददायक रहा।
    नये साल की अंक की प्रतीक्षा में-
    सप्रेम प्रणाम दी।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. श्वेता जी, आपकी प्रतिक्रिया का भी कोई जोड़ नहीं। कितने ही सुंदर तरीके से आपने हर लिंक की सराहना की है, जितने ही सुंदरता से संगीता जी ने हर लिंक का परिचय दिया है।
      आभार!!

      हटाएं
    2. प्रिय श्वेता ,
      नए वर्ष का तिलिस्मी द्वार खुल कर क्या कुछ नया होगा ये तो पता महीन , लेकिन फिर भी हर व्यक्ति यही सोचता है कि नया वर्ष शुभ हो ।
      मुझे अपनी प्रस्तुति पर ज़्यादा इंतज़ार रहता है तुम्हारी प्रतिक्रिया का । सारे लिंक्स जोड़ कर नई रचना बनती है वह बेजोड़ होती है । सुंदर और सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार सह स्नेह ।

      हटाएं
  9. वाह!!!!
    हमेशा की तरह एक और नायाब प्रस्तुति
    लिंक चयन देखकर आश्चर्य चकित हूँ सब एक से बढ़कर एक । विभिन्न लिंकों पर उनके विषयानुरूप समीक्षात्मक तारतम्यता...
    निःशब्द हूँ आपकी विलक्षणता से
    कोटिश नमन🙏🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  10. लाजवाब प्रस्तुति अपने चिर परिचित अन्दाज़ में।

    जवाब देंहटाएं
  11. स्तब्ध करती इस बेहतरीन प्रस्तुति की प्रशंसा करूं भी तो कैसे , शब्द जो कम पर गए हैं।।।।।
    आदरणीया श्वेता जी की शब्दों में प्रशंसा के सारे रंग समाहित हैं ।।

    जवाब देंहटाएं
  12. प्रिय दीदी, विदा होते वर्ष की अत्यंत लाजवाब प्रस्तुति जिसकी सभी रचनाओं को पढ़ कर बहुत अच्छा लगा।सभी लेखों और लघुकथा के साथ दिगम्बर जी की रचना बहुत भाव-पूर्ण और मोहक लगी। और महामना मदन मोहन मालवीय जी और अटल जी की पुण्य स्मृति को कोटि कोटि प्रणाम।महामना का सबसे बड़ा सपना बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी बौद्धिकता और सुसंस्कृति का अनुपम इतिहास समेटे अनगिन ज्ञान पिपासुओं को आगे बढ़ा रहा है तो कविमना अटल बिहारी वाजपेयी जी की शालीनता से भरपूर राजनीति से भावी पीढ़ी बहुत प्रेरणा मिल्ती रहेगी आज की सम्मिलित रचनाओं के रचियताओं को सादर नमन।इस उम्दा प्रस्तुति के लिये आपको सादर आभार और प्रणाम ♥️♥️🙏

    समस्त ब्लॉग जगत को क्रिसमस और नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।सभी सपरिवार सानंद और सकुशल रहें यही कामना है 🌺🌺🌹🌹🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय रेणु ,
      खास जिनकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहता है जब उनकी टिप्पणी नहीं दिखती तो निराशा होने लगती है । अब आगे से स्पैम चैक करने के बाद निराश होऊँगी 😆😆😆😆
      मेरी प्रस्तुति के तकरीबन सभी मुख्य बिंदुओं को छू लिया है ।
      रचनाएँ पसंद करने के लिए हृदय तल से आभार ।

      हटाएं
  13. टिप्पणी शायद सपैम में चली गई 😞

    जवाब देंहटाएं
  14. उत्कृष्ट लिंको से सजी एक और लाजवाब प्रस्तुति हमेशा की तरह अद्भुत।
    प्रस्तुति मे प्रत्येक लिंक के साथ आपकी समीक्षात्मक तारतम्यता का तो क्या ही कहने....बस सादर नमन एवं साधुवाद🙏🙏आ. शिखा वार्ष्णेय जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय सुधा ,
      आज जल्दी पढ़ लिए लिंक्स आपने । सबको थोड़ा ज्यादा व्यस्त कर देती हूँ सोमवार को । अगली बार कोशिश रहेगी कि कुछ कम व्यस्त किया जाय 😄😄 ।
      सराहना हेतु हार्दिक धन्यवाद

      हटाएं
  15. बहुत सुन्दर विविधतापूर्ण प्रस्तुति । कुछ पढ़ लिए कुछ बारी हैं । शिखा वार्ष्णेय जी को बहुत बधाई व शुभकामनाएँ, वे विदेश में रह कर भी जिस तरह हिन्दी को बढ़ावा दे रही हैं वह वास्तव में हमारे लिए गर्व करने लायक है। इतनी शानदार प्रस्तुति में मेरा आलेख भी शामिल करने का बहुत शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उषा जी ,
      आप व्यस्तता के बीच भी जा कर कुछ रचनाएँ पढ़ पायीं इसके लिए बहुत शुक्रिया ।
      सराहना हेतु पुनः आभार ।

      हटाएं
  16. बहुत ही सुंदर, रोचक और पठनीय रचनाओं से सज्जित अंक। शिखा वार्ष्णेय जी को इस सुंदर सम्मानीय पुरस्कार मिलने की हार्दिक बधाई। आपका हार्दिक आभार दीदी ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय जिज्ञासा ,
      प्रस्तुति को पसंद करने के लिए हार्दिक आभार ।
      लग रहा कि आज कल कहीं व्यस्त चल रही हो ।।

      हटाएं
  17. उम्दा प्रस्तुति

    सुजाता

    जवाब देंहटाएं

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