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रविवार, 18 दिसंबर 2022

3611 ...जब इक आग सी लगी हो सीने में आठ पहर

सादर अभिवादन
आज गुरु घासीदास जयन्ती है
पू्रे छत्तीसगढ़ मे शासकीय अवकाश रहता है
चार रोज पहले से कार्यक्रम जारी है


सन १६७२ में वर्तमान हरियाणा के नारनौल नामक स्थान पर साध बीरभान और जोगीदास नामक दो भाइयों ने सतनामी साध मत का प्रचार किया था। सतनामी साध मत के अनुयायी किसी भी मनुष्य के सामने नहीं झुकने के सिद्धांत को मानते थे। वे सम्मान करते थे लेकिन किसी के सामने झुक कर नहीं। एक बार एक किसान ने तत्कालीन मुगल बादशाह औरंगजेब के कारिंदे को झुक कर सलाम नहीं किया तो उसने इसको अपना अपमान मानते हुए उस पर लाठी से प्रहार किया जिसके प्रत्युत्तर में उस सतनामी साध ने भी उस कारिन्दे को लाठी से पीट दिया। यह विवाद यहीं खत्म न होकर तूल पकडते गया और धीरे धीरे मुगल बादशाह औरंगजेब तक पहुँच गया कि सतनामियों ने बगावत कर दी है। यहीं से औरंगजेव और सतनामियों का ऐतिहासिक युद्ध हुआ था। जिसका नेतृत्व सतनामी साध बीरभान और साध जोगीदास ने किया था। यूद्ध कई दिनों तक चला जिसमें शाही फौज मार निहत्थे सतनामी समूह से मात खाती चली जा रही थी। शाही फौज में ये बात भी फैल गई कि सतनामी समूह कोई जादू टोना करके शाही फौज को हरा रहे हैं। इसके लिये औरंगजेब ने अपने फौजियों को कुरान की आयतें लिखे तावीज भी बंधवाए थे लेकिन इसके बावजूद कोई फरक नहीं पड़ा था। लेकिन उन्हें ये पता नहीं था कि सतनामी साधों के पास आध्यात्मिक शक्ति के कारण यह स्थिति थी। चूंकि सतनामी साधों का तप का समय पूरा हो गया था उनमे अद्भुत ताकत और वे गुरू के समक्ष अपना समर्पण कर वीरगति को प्राप्त हुए। बचे हुए सतनामी सैनिक पंजाब,मध्य प्रदेश कि ओर चले गये । मध्यप्रदेश वर्तमान छत्तीसगढ़ मे संत घासीदास जी का जन्म हुआ औऱ वहाँ पर उन्होंने सतनाम पंथ का प्रचार तथा प्रसार किया। गुरू घासीदास का जन्म 1756 में बलौदा बाजार जिले के गिरौदपुरी में एक गरीब और साधारण परिवार में पैदा हुए थे। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों पर कुठाराघात किया। जिसका असर आज तक दिखाई पड रहा है। उनकी जयंती हर साल पूरे छत्तीसगढ़ में 18 दिसम्बर को मनाया जाता है।
(विकीपीडिया से)

और अब कुछ इधर-उधर से ...



भोजपाल महोत्सव मेले का आयोजन भेल दशहरा मैदान गोविन्दपुरा, भोपाल में हर वर्ष नवंबर से दिसंबर माह में विगत 7 वर्ष से भेल जनसेवा समिति, भोपाल द्वारा किया जा रहा है, जो कि 35 दिन चलता है। इस मेले का मुख्य उद्देश्य जनमानस में सामाजिक समरसता को प्रगाढ़ बनाना, उभरती प्रतिभाओं को मंच देना, महापुरुषों के जीवन वृतांत की प्रदर्शनी लगाकर जन जागरण करना है। इस आयोजन स्थल पर प्राॅपर्टी एक्सपो, ऑटोमोबाइल जोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्नीचर महासेल, फ़ूड जोन, सेल्फी जोन, बम्पर सेल, आर्ट गैलरी, हैण्डलूम जोन, केंद्र शासन एवं मध्य प्रदेश शासन के विभिन्न जनहितैषी योजनाओ की प्रदर्शनी आदि के स्टॉल्स भी लगाए जाते हैं।




दर्पण में देख चेहरा निखारते,
बालों को बार बार कंघी से संवारते ,
किसी शख्सियत की ले शक्ल उधार,
मिलाते उससे अपनी बार बार ।




नए नवेले पँख खरीदे रंगबिरंगे,
फ़ेविक्विक से फ़िक्स करे ।
हैट लगाई सैंडिल पहनी,
सेल्फ़ी खींची और फ़ोन में पिक्स भरे ॥
मिडी पहनकर फुदकी,
संग कबूतर झूमें,
पल भर बाद नज़र आई वो साड़ी में ॥





जब इक आग सी लगी हो सीने में आठ पहर
उसके दामन के  सिवा कोई पनाह नहीं होती,

वो जो मुस्कुराते हैं, लब ऐ- राज़ छुपाये हुए
रुसवा हो ज़माना हमें कोई परवाह नहीं होती,

प्रेम न होगा तो …
आप चीख कर कहें या कान में आहिस्ता से
प्रेम न होगा तो आपका कहा सुनाई न पड़ेगा।
आज्ञा दीजिए

सादर नमन 

12 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात आदरणीया
    बहुत ही सुन्दर रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुभ प्रभात,
      हम सब आपको फिर देखना चाहते हैं इस पटल पर
      आभार
      सादर

      हटाएं
  2. आदरणीय यशोदा मेम, मेरी लिखी रचना ब्लॉग इस मंच में साझा करने के लिए बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
    सभी संकलित रचनाएं उम्दा है , सभी को बहुत शुभकामनाएं ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आपका असंख्य आभार मुझे शामिल करने हेतु, सभी रचनाएँ अप्रतिम हैं । नमन सह

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी ब्लॉगपोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अंक प्रिय दीदी।इतिहास का पन्ना खोल कर एक रोचक और प्रेरक प्रसंग से परिचित करवाने के लिए आभार आपका।सन्त गुरु घासी राम जी के बारे में बहुत कुछ जाना।हरियाणा से सतनामी विचार धारा की शुरुआत एक आध्यात्मिक उददेश्य के लिए हुई और उन्हें मानव के सम्मान और कल्यान हेतु युद्ध लड़ना पड़ा, ये बात जानकर बहुत अच्छा लगा।निरंकुश सत्ताओं ने निरीह जनता को बहुत सताया है पर स्वामिभानी लोगों को कुचलना इतना भी आसान नही।माला फेरने वाले हाथ इस दशा में हथियार भी थाम सकते हैं।रोचक जानकारी युक्त भूमिका के साथ सभी रचनाओं के लिये आभार।सभी रचनाकारों को सादर नमन।🙏♥️

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभार सखी
      पर खेद है आज इनके परिवार को एस सी (शेड्यूल्ड कास्ट) का दरजा मिला हुआ है
      आरक्षण का साया है दूसरे शब्दों में इन्हें सरकारी दामाद कहते है
      सादर

      हटाएं
  6. उत्कृष्ट लिंको से सजी लाजवाब प्रस्तुति ।
    गुरु संत घासीराम जी के बारे में जानकारी देने हेतु धन्यवाद आपका ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभार सखी
      इसी दिन की वजह से आपकी प्रस्तुति
      आज मंगल को आई है
      सादर

      हटाएं

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