हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...
मानव अधिकार दिवस प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को दुनिया भर में मनाया जाता है। मानवाधिकारों की पहली वैश्विक घोषणा और नए संयुक्त राष्ट्र की पहली प्रमुख उपलब्धियों में से एक, मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा की 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अंगीकरण और उद्घोषणा का सम्मान करने के लिए तिथि का चयन किया गया था।
मानव जीवन जो हमें यह मिला,
प्रकृति का यह सर्वोत्तम उपहार ।
हम जीवन को चार चाँद लगा दें,
चाहे जितना हम पाल लें विकार ।।
जीवन हमारा जितना सुंदर होगा,
उतना ही सुंदर होगा यह संसार ।
मर रही है मानवता
रिश्ते भी हैं खो रहे
संवेदनाएँ कुँभकर्णी
नींद के आग़ोश में हैं।
मानव जैसे मानव रहा ही नहीं
कदम दर कदम,
लगातार
अतीत के अनुभवों का ले सहारा,
अपने को सुधारा,
अपने रूप को सँवारा।
हम मानव जो कभी झूलते थे
पेड़ों की शाख से,
कभी रहते थे
कंदराओं, गुफाओं में।
आदि मानव मैं –
आदिम – सदियों से
सदियों तक।
अवसर ही ना मिला
सभ्य होने का ।
चढा मुखौटे सँवारता रहा
बस अपने आपको।
मानव तो है अब भी
जवाब देंहटाएंपर मानवता ने दानवता कि चोला ओढ़ लिया है
सादर नमन
अरे वाह! मानव और मानवता के सरंक्षक, मानवाधिकार आयोग हैं।यूँ सरल शब्दों में कहा जाए हर इन्सान को जीने का अधिकार है।सभी रचनाकारों को सादर नमन 🙏🙏
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग क्षितिज से कुछ पंक्तियाँ मेरी भी
जवाब देंहटाएं*---*----*
पावन , निर्मल प्रेम सदा ही
रहा शक्ति मानवता की ,
जग में ये नीड़ अनोखा है ,
जहाँ जगह नहीं मलिनता की ////
🙏🙏🙏🙏🙏🎉🌺🌹🌹
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जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
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