।। भोर वंदन।।
"लहू-लुहान नज़ारों का ज़िक्र आया तो,
शरीफ़ लोग उठे, दूर जा के बैठ गए।"
~ दुष्यंत कुमार
लाखों लोगों येन- केन- प्रकारेण अपने ज़र ,जमीन देश को छोड़ जाने को आतुर लोगों को देख ये सवाल क्या सचमुच ही 21सदी में रह रहे हैं.. भू राजनीति व्यवस्था रूख देख सब हैरान...✍️
सृष्टि, तुम्हारी हथेली में
ब्रह्मा का वास है
तुम्हारी कलाई में
मुट्ठी में शिव
और उँगलियों में चतुरानन
चारों दिशाओं में..
❄️❄️
❄️❄️
ये देश रहना चाहिए
❄️❄️
कितनी यादें दे जाते हैं !
लोग पुराने जब जाते हैं,
कितनी यादें दे जाते हैं !
कसमें भी कुछ काम ना आतीं,
वादे भी सब रह जाते हैं !
है अपने अंदर के एकांतवास से,
ये और बात है कि ओठों
पर मुहुर्मुहु हंसी
छुपा जाती
है दिल
की
बात अपने आसपास से, दरअसल..
"लहू-लुहान नज़ारों का ज़िक्र आया तो,
जवाब देंहटाएंशरीफ़ लोग उठे, दूर जा के बैठ गए।"
~ दुष्यंत कुमार
बेहतरीन..
सादर..
उम्दा संकलन
जवाब देंहटाएंये लाल परिस्थिति का मारा
जवाब देंहटाएंकिसकी आँखों का तारा है ।
न साथ में मातु पिता इसके
न दिखता कोई सहारा है ।
कुछ एक घड़ी पहले मैंने
देखा था दौड़ लगाते इसे
मेरी गाड़ी उसकी गाड़ी
𝐇𝐞𝐚𝐫𝐭 𝗧𝐨𝐮𝐜𝐡𝐢𝐧𝐠 𝗟𝐢𝐧𝗲 💔💔💔
𝗩𝗲𝗿𝘆 𝗘𝗺𝗼𝘁𝗶𝗼𝗻𝗮𝗹 𝗣𝗿𝗲𝘀𝗲𝗻𝘁𝗮𝘁𝗶𝗼𝗻.😥
बेहतरीन संकलन । एक पोस्ट पर लिंक नहीं दिख रहा ।
जवाब देंहटाएंजी, ठीक कर दी।धन्यवाद
हटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति,सभी लिंक बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
समाजिक विषमता को दर्शता " ये लाल परिस्थिति का मारा" उत्तम रचना ।
जवाब देंहटाएंआज अत्यंत व्यस्त दिन रहा। क्षमा करें, इतनी देर से आ रही हूँ। बहुत बहुत धन्यवाद, हृदय से आभार आदरणीया पम्मीजी। आप लोग मेरी रचनाओं को बड़ा प्यार देते हैं, मन अभिभूत हो उठता है।
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