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मंगलवार, 17 अगस्त 2021

3124..सृष्टि तुम्हारी हथेली में...

 ।। भोर वंदन।।

"लहू-लुहान नज़ारों का ज़िक्र आया तो, 

शरीफ़ लोग उठे, दूर जा के बैठ गए।"

~ दुष्यंत कुमार

लाखों लोगों येन- केन-  प्रकारेण अपने ज़र ,जमीन देश को छोड़ जाने को आतुर लोगों को देख ये सवाल क्या सचमुच ही 21सदी में रह रहे हैं.. भू राजनीति व्यवस्था रूख देख सब हैरान...✍️


सृष्टि, तुम्हारी हथेली में

 ब्रह्मा का वास है

तुम्हारी कलाई में

मुट्ठी में शिव

और उँगलियों में चतुरानन

चारों दिशाओं में..

❄️❄️


किसकी आँखों का तारा है ।
न साथ में मातु पिता इसके
न दिखता कोई सहारा है ।।

कुछ एक घड़ी पहले मैंने
देखा था दौड़ लगाते इसे
मेरी गाड़ी उसकी गाड़ी

❄️❄️



ये देश रहना चाहिए

जब तक गंगा यमुना मे जल है
जब तक हवा मे शीतल है
जब तक चिडियों की कलकल है
हर नस मे देशप्रेम बहना चाहिए
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए

जब तक बाजुओं मे बल है
जब तक सांसो मे हलचल है
जब तक अंतर्मन मे दंगल है..

❄️❄️

कितनी यादें दे जाते हैं !

लोग पुराने जब जाते हैं,

कितनी यादें दे जाते हैं !

कसमें भी कुछ काम ना आतीं,

वादे भी सब रह जाते हैं !

❄️❄️


हर एक व्यक्ति कहीं न कहीं लड़ता
है अपने अंदर के एकांतवास से,
ये और बात है कि ओठों
पर मुहुर्मुहु हंसी
छुपा जाती
है दिल
की
बात अपने आसपास से, दरअसल..
❄️❄️
।। इति शम ।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️




8 टिप्‍पणियां:

  1. "लहू-लुहान नज़ारों का ज़िक्र आया तो,
    शरीफ़ लोग उठे, दूर जा के बैठ गए।"
    ~ दुष्यंत कुमार
    बेहतरीन..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. ये लाल परिस्थिति का मारा
    किसकी आँखों का तारा है ।
    न साथ में मातु पिता इसके
    न दिखता कोई सहारा है ।
    कुछ एक घड़ी पहले मैंने
    देखा था दौड़ लगाते इसे
    मेरी गाड़ी उसकी गाड़ी
    𝐇𝐞𝐚𝐫𝐭 𝗧𝐨𝐮𝐜𝐡𝐢𝐧𝐠 𝗟𝐢𝐧𝗲 💔💔💔
    𝗩𝗲𝗿𝘆 𝗘𝗺𝗼𝘁𝗶𝗼𝗻𝗮𝗹 𝗣𝗿𝗲𝘀𝗲𝗻𝘁𝗮𝘁𝗶𝗼𝗻.😥

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन संकलन । एक पोस्ट पर लिंक नहीं दिख रहा ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत शानदार प्रस्तुति,सभी लिंक बेहतरीन।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. समाजिक विषमता को दर्शता " ये लाल परिस्थिति का मारा" उत्तम रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  6. आज अत्यंत व्यस्त दिन रहा। क्षमा करें, इतनी देर से आ रही हूँ। बहुत बहुत धन्यवाद, हृदय से आभार आदरणीया पम्मीजी। आप लोग मेरी रचनाओं को बड़ा प्यार देते हैं, मन अभिभूत हो उठता है।

    जवाब देंहटाएं

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