हाज़िर हूँ...! उपस्थिति दर्ज हो...
मैकोले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी बहुत मशहूर चिट्ठी है वो, उसमे वो लिखता है कि "इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी... "
चाणक्य, ज्योतिबा, भामाशाह
राष्ट्र उन्नति थी जिनकी चाह
विश्व उतारे जिसकी आरती
नमामि देवभूमि भारती
यह वो देश है जहाँ से, दुनिया ने शून्य को जाना।
खेल, पर्यटन और फिल्मों से, है जिसको पहचाना।
अंतरिक्ष पहुँच, तकनीकी प्रतिभाओं से विश्व भी माना।
बिना रक्त क्रांति के जिसने, पहना स्वाधीनी बाना।।
भाषा का सिरमौर, सभ्यता, संस्कार सम्मान।
न्याय और आतिथ्य हैं, मेरे भारत के परिधान।
परन्तु अप्राप्त सीमाहीन प्रेम
मैं अपने भारत देश के लिए रखता हूं
इसे दुनिया में फैलाना है
धर्मों की माँ, कमल, पवित्र सुंदरता और मनीषी
उनके विशाल द्वार खुले हैं
इसके सम्मान को कभी कोई न कम कर पाया है,
बढ़ते हुए दुश्मनों के दल को, वीरों ने मार भगाया है,
हमको अपनी मातृभूमि से बेहद प्यार है।
आजाद, भगत, बोस जैसे युवा, इस देश की पहचान है,
इनके जीवन से प्रेरित, हर भारतवासी महान है,
हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस पूछे मुझसे एक सवाल,
क्या सचमुच आजाद हुआ था हमारा स्वतंत्र भारत गणराज्य?
अंग्रेजों की संस्कृति के अंधेरे में समाया सारा देश हैं,
और लगता नहीं आजादी के उजाले में अपना प्यारा देश हैं।
माना हमने आज कि आजादी अभी अधूरी हैं,
आजादी के बाद पाश्चात्य सभ्यता को अपनाना क्या हमारी मजबूरी हैं?
सादर नमन
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता की पूर्वसंध्या के दिन
आप सभी को शुभकामनाएँ..
कांटे की शुद्ध भारतीय प्रस्तुति
रही आंतरिक कलह की बात
वो तो देवी-देवताओं के समय से चल रहा है
दैत्य-दानव हर युग में थे..
इस कलिकाल में भी हैं..
आभार..
सादर..
सत्य कथन
हटाएंदेशभक्ति से ओत-प्रोत बेहद सुंदर काव्य संकलन दी।
जवाब देंहटाएंमहान साहित्यिक विभूतियों की अनमोल रचनाएँ एक साथ पढ़कर मन प्रसन्न हुआ।
लेख भी विचारणीय है।
सस्नेह
सादर।
सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंऔर सभी स्वतंत्रता सेनानियों को नमन जिनकी कुर्बानियों के बदले हमें ये आजादी मिली और आज जश्न मनाने का अवसर मिला!हम अपने शहीदों को आभार शब्दों में व्यक्त करना नामुमकिन है!
बहुत ही उम्दा प्रस्तुति!और सबसे ऊपर लिखे गए कथन आज का कड़वा सत्य है अंग्रेज तो चले गए पर अंग्रेजियत छोड़ गए!
मुझे शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह की एक बात याद आ रही है उन्होंने कहा था कि
गोरे चले जायेंगे तो काले भूरे(राजनेता और पूंजीपति) या कोई और राज करगा हम पर!और सच में आज वही हो रहा है!
स्वतंत्रता दिवस की सभी को अग्रिम शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसभी को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें। सादर।
जवाब देंहटाएंविभा रानी श्रीवास्तव जी, आप ने अपने अमूल्य ब्लॉग पर हिन्दी यात्रा को स्थान दिया इसके लिए हमारी पूरी टीम आपकी आभारी है। आपको और आपके पाठकों को स्वतंत्रता दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद