।। भोर वंदन।।
"व्यंग्य जीवन से साक्षात्कार करता है,
जीवन की आलोचना करता है,
विसंगतियों, अत्याचारों, मिथ्याचारों और पाखंडों का पर्दाफाश करता है।"
हिंदी साहित्य में व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाने वाले
व्यंगकार हरिशंकर परसाई जी की पुण्यतिथि पर सादर नमन के साथ..(22अगस्त ,1922 - 10अगस्त, 1995)
तर्कसम्मत लेखन
"इस देश के बुद्धिजीवी शेर हैं, पर वे सियारों की बरात में बैंड बजाते हैं।"
इसी के साथ आज बढ़ते हैं नई रचनाओं संग...✍️
तो दूर न कर देना ख़ुद से
तो पहले ही जता देना मुझसे
मैं चूम ललाट मना लूँगी
रख अधरों पर तुम्हारे तर्जनी अपनी
अंगुष्ठ से ठोढ़ी सहला दूँगी..
⚜️⚜️
जब खुशियों की बारिश होगी, नृत्य करेंगे सारे, लेकिन
शब्द मिलेंगे तब गाऊँगा, मुझमें, मौन समाहित है।
अंतस् की आवाज़ एक है
एक गगन, धरती का आँगन।
एक ईश निर्दिष्ट सभी में
एक आत्मबल का अंशांकन..
⚜️⚜️
सावण आय भड़काव जी
पात-पात पर नेह लुढ़काव
विरहण पीर उठावे जी।।
छेकड़ माही मेह झाँकतो
⚜️⚜️
कि उसने चुराया है सुकून तुम्हारा
कभी उसे देखा नहीं
जाना पहचाना नहीं
फिर भी धुन है कि वह तुम्हारी
बहुत कुछ लगती है |
⚜️⚜️
जिसने थोड़ा थोड़ा करके..
जिसने थोड़ा थोड़ा करके मुझको इतना किया खराबकहता रहा उसे ही अबतक दुनिया में सबसे नायाब
जिसनें देखा नहीं पलटकर मेरी दुनिया कैसी हैउसके ही दर रहे पहुँचते अक़्सर मेरे पगले ख़्वाब
याद किया जब पिछली बातें, दोनों ही झूठे निकलेउसने मुझको कहा ज़िंदगी मैंने उसको कहा शराब
⚜️⚜️
।। इति शम ।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️
लाज़वाब प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंव्वाहहहहह...
जवाब देंहटाएंशानदार..
सादर..
वाह वाह
जवाब देंहटाएंशानदार अंक आज का |
धन्यवाद पम्मी जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |
बेहतरीन रचनाओं से सज्जित आज का अंक बहुत ही सुंदर और सराहनीय है,सभी को हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ बेहतरीन।
मुझे स्थान देने हेतु दिल से आभार।
सादर
सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएं5 links ka anand me apni rachnayen kaise submit karen ?
जवाब देंहटाएंKya koi email id hai ? Please help me.