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गुरुवार, 5 अगस्त 2021

3111...नया इतिहास लिखने चल पड़ीं हैं हमारी छोरियाँ...

 सादर अभिवादन। 

गुरुवारीय अंक में आपका स्वागत है। 

जलवे बिखेरतीं 

जा रहीं हैं 

भारत की बेटियाँ, 

बच्चों को 

सुनाई जाएँगीं 

अब इनकी लोरियाँ;

नाकामी पर 

बहाने ढूँढ़नेवालो सुनो!

नया इतिहास 

लिखने चल पड़ीं हैं 

हमारी छोरियाँ।

#रवीन्द्र_सिंह_यादव 

आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं से रू--रू कराते हैं-   

विचलन


कितनी बेचैनी में कटती रातें

मेरा कल्पना से बाहर थीं

प्रातःनयन खुलते ही वे स्वप्न

  अपना प्रभाव छोड़ कोसों दूर चले जाते|

 

दरबारों के शान शौक ...

दरबारों की शान शौक 

दरबारी लिखते हैं 

सौदे का सामान प्रीत 

व्यापारी लिखते हैं


५९३. शहर


हाँ, थोड़ा सा फ़र्क़ है,

बाज़ार वीरान हैं,

लोग घरों में बंद हैं,

वाहन चुपचाप खड़े हैं,

बाज़ार सूने हैं.

 

हम साक्षी नहीं होना चाहते


हम

और तुम

साक्षी हैं

धरा पर बीज के

बीज पर अंकुरण के

अंकुरण पर पौधा हो जाने के कठिन संघर्ष के 

पौधे के वृक्ष बनने के कठिन तप के


बिना_वर्दी_का_योद्धा


"सावन में जलाभिषेक करना हम हिन्दुओं का धर्म भी है और अधिकार भी।" पिता पुनः चिल्लाया।

"और इस वैश्विक युद्ध में समाज हित के लिए सरकार द्वारा बनाई गई नीति...? क्या सीमा पर लड़ रहे फौजी का ही दायित्व है...?" पुत्र ने कहा।

चलते-चलते आपकी नज़र एक ख़ूबसूरत अल्फ़ाज़ से सजा हुआ पोस्टर-

प्रतिपदा



आज बस यहीं तक 

फिर मिलेंगे अगले गुरुवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर आगाज़....
    जलवे बिखेरतीं
    जा रहीं हैं
    भारत की बेटियाँ,
    बच्चों को
    सुनाई जाएँगीं
    अब इनकी लोरियाँ;
    नाकामी पर
    बहाने ढूँढ़नेवालो सुनो!
    नया इतिहास
    लिखने चल पड़ीं हैं
    हमारी छोरियाँ।
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. असीम शुभकामनाओं के संग
    हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात
    आज के अंक में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार
    सहित धन्यवाद रवीन्द्र जी |

    जवाब देंहटाएं
  4. गर्व का अहसास दिलाती,सुंदर पंक्तियों से सज्जित आज के अंक की भूमिका तथा प्रस्तुति दोनो ही शानदार है,सभी को बहुत बहुत बधाई, सूत्रों पर जाकर रचनाएँ पढ़ूंगी, शुभकामना सहित जिज्ञासा सिंह।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत आभारी हूं आपका आदरणीय रवींद्र जी। मेरी रचना को सम्मान देने के लिए साधुवाद।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर प्रस्तुति.मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. जलवे बिखेरतीं
    जा रहीं हैंभारत की बेटियाँ,
    बच्चों को
    सुनाई जाएँगीं
    अब इनकी लोरियाँ;
    नाकामी पर
    बहाने ढूँढ़नेवालो सुनो!
    नया इतिहास
    लिखने चल पड़ीं हैं
    हमारी छोरियाँ।
      भूमिका में बेटियों की महिमा बढाती सुंदर पंक्तियों  के साथ
     बहुत बढिया प्रस्तुति रवींद्र जी |आज तो म्हारी छोरियां के गेल्याँ छोरे भी बजी मार गे !!!!!!!!!
     बहत- बहुत बधाई सभी को राष्ट्र के जुझारू खिलाड़ियों ने अपना दम- ख़म  वैश्विक मंच पर दिखाया -- ये गौरव की बात है | आज के  सरस ,सार्थक सूत्रों के रचनाकारों को नमन | आपको बधाई और आभार भावपूर्ण अंक के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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