हाज़िर हूँ...! उपस्थिति दर्ज हो...
हमारे विचार हमारे अनुभव पर बनते हैं .... अनुभव होते-होते वक्त निकलता जाता है.... मीठे अनुभव हैं तब तो बहुत अच्छा ... तीखा-खट्टा अनुभव है तो गुजरे पल पर काश लौट पाते ... अजीब हो जाता है...
चिंताओं का घनघोर धुंध आज,
छाया उम्मीदों के अम्बर में,
जो चाहते है जनहित करना,
समर्थन, संसाधन नहीं, उनके संग में,
कौन साथ देगा उनका जो,
प्रयासरत जग सुंदर करने में
अपने परिवार में 2 बच्चे मेरे,
भूखे-प्यासे बिस्तर पे पड़े।
खिलाने को, मेरे पास रोटी नही,
इसके सिवा, कोई दूजा रोजी नही।
उन्होंने 2 दिन से कुछ खाया नही,
मेरे सिवा उनका कोई साया नही।
काम लगन से करने वालों,
मीठे फल है लाती करनी।
रिमझिम बारिश के आने का,
द्वारचार कर जाती गरमी।
उजियारा होने से पहले,
होती है अंधियारी रात।
दुख के पीछे सुख आयेगा,
लगती कितनी प्यारी बात।
पीएस दाधीच स्प्लिट पर्सनैलिटी का शिकार है. उसके अनेक महिलाओं से संबंध हैं. उसकी पत्नी सबीना पाल उसे छोड़कर चली जाती है क्योंकि वह पति का उदासीनता और अपने अकेलेपन को बर्दाश्त नहीं कर पाती. महिला चरित्रों को बहुत मनोवैज्ञानिक ढंग से विकसित किया गया है. पति के सेक्स स्कैंडल से हताश मिसेज लाल की चुप्पी और अंतत: आत्महत्या कर लेना, पृशिला पांडे का लोगों को अपने लिए इस्तेमाल करना, सबीना लाल का झटके से पति को छोड़ जाना, अजरा जहांगीर का जोश और सफलता की कामना और उत्प्रेक्षा जोशी की प्रेम के प्रति उदासीनता उन्हें यादगार बना जाता है.
मेरी मंज़िल आदमी के मन तक पहुँचने की है. मैं जानता हूँ यह बहुत कठिन काम है लेकिन आसानियों में मुझे भी कोई आनंद नहीं आता. मैं अपने लिये सिर्फ़ चुनौतियाँ चुनता हूँ और उनका सामना करने में अपने आप को खपा देता हूँ. सारे खतरे उठाकर सिर्फ़ सामना करता हूँ. जानता हूँ आदमी की ज़िंदगी में न कोई विजय अंतिम है न कोई पराजय.
बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर नमन..
बेहतरीन भूमिका,
जवाब देंहटाएंसुंदर कविताएं,गजल और कहानियों का विश्लेषण।
हमेशा की तरह बेहतरीन अंक दी।
प्रणाम
सादर।
5links.blogspotme apni rachna kaise submit karein?
जवाब देंहटाएंकोई चर्चाकार आपकी रचना शामिल कर सकते हैं
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