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सोमवार, 30 दिसंबर 2019

1627..हम-क़दम का 101 वाँ अँक... औकात

इस वर्ष के अंतिम सोमवारीय विशेषांक 
हमक़दम के अंक में
आप सभी प्रबुद्ध रचनाकारों एवं 
प्रिय पाठकवृंद का
स्नेहिल अभिवादन
----
'औकात' शब्द एक नुकीले तीर की तरह मन को बेध जाता है। शब्द में निहित भाव किसी भी व्यक्ति को व्यथित करने में सक्षम है।'औकात' शब्द प्रायः किसी को अपमानित करने के लिए ही प्रयुक्त करते सुना है हमने।
  लोग अपनी-अपनी बौद्धिक,मानसिक क्षमता के अनुरूप
 यों कह लें कि अपनी औकात के अनुसार समाज में लोगोंं की  औकात मापते हैं
कोई धन,रहन-सहन के स्तर को मापदंड बनाता है

कोई प्रसिद्धि और पहचान के दायरे से औकात का निर्धारण करता है
और कोई ज्ञान के तराजू को औकात के पलड़े पर 
तौलता है।
परंतु इस शब्द का सकारात्मक पक्ष हम देखे तो 
हमें अपनी औकात अर्थात्  क्षमता पहचानना आवश्यक है।
हम सभी में कुछ न कुछ विशेष होता है।
इसी क्षमता की ऊर्जात्मकता पहचानकर अपने जीवन,अपने व्यक्तित्व की  दिशा प्रदान कर सकते हैं।


ऐ,ज़िंदगी! तुमको तुम्हारी औकात बतानी है
सबसे छुपाकर धीरे से एक बात बतानी है
सितम करो चाहे कितने हम नहीं टूटने वाले
दर्द में होता है क्या शह और मात बतानी है
उम्र की रेत पर औंधी लेटी इंतजार में साँसें
ऐ मौत!मिलो हमसे तुमको ज़ज़्बात बतानी है

★★★★★★

कालजयी रचनाओं के क्रम में

अशोक चक्रधर
जब पाँच का सिक्का
दनदना गया
तो रुपया झनझना गया
पिद्दी न पिद्दी की दुम
अपने आपको
क्या समझते हो तुम!
मुझसे लड़ते हो,
औक़ात देखी है
जो अकड़ते हो!



रचनाकार:अज्ञात
औकात

एक माचिस की तिल्ली, 
एक घी का लोटा,
लकड़ियों के ढेर पे, 
कुछ घण्टे में राख.....
बस इतनी-सी है 
आदमी की औकात !!!!
★★★

रविकान्त


मुझे
हर जगह
मेरी औकात का पता चलता है
मैं हर समय उदास रहता हूँ

जीवन की नैतिकता
एक स्वच्छ चेहरा रखने की सलाह देती है
मैं लोगों से मिलता हूँ मुस्करा के


नरेश सक्सेना
देवी-देवताओं को
पहनाते हैं आभूषण
और फिर उनके मन्दिरों का
उद्धार करके
उन्हें वातानुकूलित करवाते हैं

इस तरह वे
ईश्वर को
उसकी औकात बताते हैं ।

★★★

आइये आज के विषय पर खास रचनाएँ पढ़ते हैं-
औकात शब्द पर लिखना आसान नहीं था फिर भी हमारे प्रतिभाशाली विलक्षण प्रतिभा के धनी रचनाकारों ने एक से बढ़कर एक अचंभित करती रचनाओं का सृजन किया है।
आप सभी को बहुत-बहुत बधाई एवं
लेखनी को सादर प्रणाम।

★★★★

आदरणीया साधना वैद जी
अपनी-अपनी औकात

“अरे ! तो उसे कोई परेशानी होगी ! ससुराल वाले तंग करते होंगे तभी तो वापिस आई होगी ना ! क्या बताया उसने ? मारते पीटते थे ? ऐसे लोगों से दूर रहे तभी ठीक है ! हमारी बेटी वैशाली भी तो आ गयी है ना अपनी ससुराल से वापिस ! जैसे हमने उसे सम्हाला है तू भी आसरा दे अपनी बेटी को ! ससुराल वालों का अत्याचार सहना गलत बात है !” अपनी बेटी वैशाली का दृष्टांत देकर सरला ने उसका मनोबल बढ़ाने की कोशिश की !

★★★★★

 आदरणीय सुबोध सिन्हा जी
ब्रह्मांड की बिसात में

हाथों को उठाए किसी मिथक आस में
बजाय ताकने के ऊपर आकाश में
बस एक बार गणित में मानने जैसा मान के
झांका जो नीचे पृथ्वी पर उस ब्रह्माण्ड से
दिखा दृश्य अंतरिक्ष में असंख्य ग्रह-उपग्रहों के
मानो हो महासागर में लुढ़कते कई सारे कंचे
तुलनात्मक इनमें नन्हीं-सी पृथ्वी पर
लगा मैं अदृश्य-सी एक रेंगती कीड़ी भर ...पर..
पूछते हैं सभी फिर भी कि मेरी क्या जात है ?
सोचता हूँ अक़्सर इस ब्रह्माण्ड की बिसात में
भला मेरी भी क्या कोई औकात है ?

★★★★★★

आदरणीया आशालता सक्सेना जी
औकात

यह भी तो जानो,ध्यान दो
है एक उंगली बाहर जब
बाक़ी तुम्हारीओर इंगित करती हैं
बंद मुट्ठी में अपना अंगूठा देखो
किधर? क्या दिखा रहा है ?
तुम्हारा सच दर्पण उगलेगा
तुम उससे मुंह मोड़ न पाओगे
वही तुम्हें असाली  औकात दिखाएगा
जब भी तुम दर्पण में देखोगे

★★★★★

आदरणीया अनीता सैनी जी
नाम औक़ात रख गया

ज्ञान के गुणग्राही बहुतेरे मिले बाज़ार में,  
 अज्ञानता की ज़िंदगी आँखों में सिमट गयी,   
श्रम-स्वेद सीकर से थे लथपथ चेहरे, 
पाँव थे जिनके कंकड़ कुश कंटक से क्षत-विक्षत,  
सुरुर समाज का उभरा नाम औक़ात रख गया | 


★★★★★

आदरणीया अभिलाषा चौहान जी
औकात


कठिन समय पर ही सदा,लगता है आघात।
मित्र,बंधुवर की सदा,दिख जाती औकात।
दिख जाती औकात,काट वे कन्नी जाते।
संकट में जब जान,फटी वे जेब दिखाते।
कहती अभि निज बात,पता चलता है पल-छिन।
अपनों की पहचान, करा देता समय कठिन।

★★★★★

आदरणीया शुभा मेहता जी
औकात

इक ब्रांडेड जूती बोली
यहाँ रहोगे तो ऐसे
ही रहना होगा दबकर
देखो ,हमारी चमक
और एक तुम
पुराने गंदे ...हा....हा....
फिर एक दिन
पुरानी जूतों की शेल्फ

★★★★★★

और चलते-चलते उलूक के पन्नों से 
आदरणीय सुशील सर
ऐसे में क्या कहा जाय

शब्द के अर्थ ढूँढने
निकल भी लिया जाये
तब भी कुछ भी हाथ
में नहीं आ पाता है
सब कुछ सामान्य सा
ही तो नजर आता है
कोई हैसियत कह जाता है
कोई स्थिति प्रतिष्ठा या
वस्तुस्थिति बताता है
पर जो बात औकात में है


★★★★★★

आज का हमक़दम आपको कैसा लगा?
आप सभी की प्रतिक्रिया उत्साह का 
संचार करती है।
 हमक़दम का अगला विषय
जानने के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूलें।

#श्वेता

14 टिप्‍पणियां:

  1. आने वाले नव वर्ष की शुभकामनाएँ....
    आखिर औकात ने
    अपनी औकात दिखा ही दी..
    कभी न पड़ने वाली ठंड..
    लहू जमा रही है..
    बेहतरीन रचनाएँ..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. औकात !!
    बहुत सटीक भूमिका अच्छा विश्लेषण ।
    बहुत सुंदर प्रस्तुति
    शानदार संकलन
    सभी रचनाकारों का सुंदर सृजन
    सभी को बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आनेवाले कल के लिए शुभ कामनाएं |उम्दा लिंक्स|
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद श्वेता जी |

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर सूत्रो के साथ सजा आज का लाजवाब अंक। आभार श्वेता जी।

    जवाब देंहटाएं
  5. हर बार की तरह , इस बार भी अपनी बेहतरीन पंक्तियों की Toppings के साथ सजे किसी गर्म केक की तरह जाते साल के ठन्डे दिनों में गर्मागर्म आज का संकलन ... साधुवाद ...

    "उम्र की रेत पर औंधी लेटी इंतजार में साँसें
    ऐ मौत!मिलो हमसे तुमको ज़ज़्बात बतानी है "

    इस अंक में मेरी रचना साझा करने के लिए आभार आपका ...

    जवाब देंहटाएं
  6. शानदार प्रस्तुति श्वेता ..। मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  7. संग्रहणीय संकलन आज का ! मेरी लघु कथा को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🙏 मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी सादर 🙏🌷

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर और सराहनीय प्रस्तुति.
    मेरी रचना को स्थान देने के लिये तहे दिल से आभार प्रिय श्वेता दी.
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति और सराहनीय रचनाएं
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  11. बेहद खूबसूरत प्रस्तुति।सभी रचनाएँ सुंदर।

    जवाब देंहटाएं
  12. वाह बहुत ही सुंदर संकलन और उत्कृष्ट रचनाओं के चयन के लिये बधाई सहित शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं

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