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गुरुवार, 4 जुलाई 2019

1448...पाँच लिंकों का आनन्द :चौथी सालगिरह...

सादर अभिवादन। 
रथयात्रा की शुभकामनाएँ
             आपका हार्दिक स्वागत है हमारे आज के विशेषांक में जो प्रस्तुत किया जा रहा है इस ब्लॉग के चार वर्ष पूर्ण होने पर। चार वर्षों का लम्बा सफ़र तय करने में "पाँच लिंकों का आनन्द" ने ब्लॉग जगत् के अनेक रंग देखे हैं। ब्लॉगिंग की दुनिया से पाठकों का परिचय कराते हुए हम रचना संसार की विभिन्न झलकियाँ प्रस्तुत करते रहे हैं। 
           इस बीच चर्चाकार के रूप में कुछ साथी आये और कुछ बिछड़ गये। इस ब्लॉग को इस ऊँचाई तक स्थापित करने में इसके संस्थापक श्रीमती यशोदा अग्रवाल जी एवं श्री दिग्विजय अग्रवाल जी का अथक परिश्रम जुड़ा हुआ है। नवीनता और परिवर्तन के प्रति उनका सकारात्मक रुझान "पाँच लिंकों का आनन्द" को विशिष्ट रंगों से सजाता रहता है। इस ब्लॉग से जुड़े चर्चाकारों को ऊर्जावान बनाये रखना भी इनकी उपलब्धि है।
          अब तक 5 लाख से अधिक बार ब्लॉग को पाठकों / रचनाकारों द्वारा देखा गया है जो हमारी लोकप्रियता का सुखद पड़ाव है। 
बीच में ब्लॉग जगत् में चर्चा छिड़ी थी कि सामूहिक ब्लॉग पर कुछ चुनिंदा या परिचित रचनाकारों को स्थान मिल पाता है, नवोदित रचनाकारों को कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। इस बहस से प्रभावित होकर हमने 
"हम-क़दम" जैसा अभिनव प्रयोग किया जिसमें किसी विषय पर आधारित ज़्यादा से ज़्यादा स्तरीय रचनाओं को सोमवारीय प्रस्तुति में सम्मिलित करने का प्रावधान किया गया। आपके सहयोग एवं स्नेह से आज "हम-क़दम" पाठकों की अपेक्षाओं पर खरा उतर रहा है। 
इस सुअवसर पर हम सभी रचनाकारों एवं प्रबुद्ध पाठकों एवं वर्तमान व पूर्व चर्चाकारों से अपेक्षा करते हैं कि उनका स्नेह एवं सहयोग इसी तरह मिलता रहे। हमारे साथ जुड़े रहने के लिये आपका तहेदिल से शुक्रिया। 

इस अवसर को यादगार बनाने के लिये हमें शुभकामनाओं के रूप में ब्लॉग जगत् के चंद प्रतिष्ठित एवं स्थापित रचनाकारों का स्नेह एवं आशीर्वाद जिन शब्दों में प्राप्त हुआ है वह आपके समक्ष प्रस्तुत है -



आदरणीय ज्योति खरे जी

"पाँच लिंकों आनन्द"  के चार बरस 
********************
आपके आंगन में फूलों की बहार हो तो, इसके लिए अपने आंगन में फूलों के पौधे रोपने ही होंगे और अपने व्यस्ततम जीवन के बीच से इन पौधों में लगी रंग-बिरंगी कलियों की सुरक्षा के लिए कुछ समय तो निकालना ही पड़ेगा. जो फूलों की सुगंध से आनंदित होते हैं, वे सामान्य जन हैं और जो फूलों की सुगंध को अपने चिंतन में, अपने जीवन में स्थान देते हैं, वे अद्वितीय हैं, और जो फूलों की सुगंध को सुरक्षित रख रहे हैं, जन-जन तक अबाध रुप से पहुंचा रहे हैं, इस कार्य में जो जीवन होम कर रहैं हैं, वे धन्य हैं, युगसाधक हैं, विशुद्ध सृजनधर्मी हैं, निश्चय ही वे इतनी सुगंध छोड़ जाते हैं कि, कई युगों तक आने वाली 
पीढ़ियाँ उस सुगंध को महसूस करती रहें.
ब्लॉग की दुनिया का सबसे सृजनशील, सक्रिय परिवार विगत वर्षो से 
रचनात्मक सुगंध समूचे 
ब्लॉगरों के बीच फैला रहा है, नये ब्लॉगरों की खोज कर उन तक पहुंच रहा है.
अपनी पांच लिंक पर उन्हें सम्मिलित कर नयी पहचान देने में अपनी भूमिका का सार्थक निर्वाह कर रहा है.
पांच लिंक के चौथे स्थापना दिवस पर यशोदा दिग्विजय अग्रवाल, श्वेता सिन्हा और समूचे परिवार को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं🙏💐
-ज्योति खरे 

आदरणीय विश्वमोहन जी

"ज़बान पर सभी की बात है फ़क़त सवार की
कभी तो बात भी हो पालकी लिए कहार की "(पहले अंक की अंतिम कविता)
जी हां, मैं उस कहार की बात कर रहा हूँ जिसने रथ-यात्रा के शुभ दिवस पर हिंदी वांग्मय के पंचभूत प्रतिमा-रूप  'पांच लिंक'  की पालकी अपने वृषभ कंधों पर उठायी और पथिकों को ईद-मुबारक के गलबहिया अंदाज़ में सहेजते-समेटते आज ब्लॉग-साहित्य के हाथों  ऐसी खूबसूरत 'हलचल' थमा गयी। सच कहूं तो मेरी रचना ' भोर-भोरैया' पर पहली बार किसी की टिप्पणी पढ़ी। वो बहुमूल्य थाती दुर्भाग्य से मेरे पास नहीं रही अब! फिर उसी टिप्पणीकार का संदेश मेरी कविता 'बापू' का पांच लिंक में लिए जाने का!  सरस्वती की इस यशस्विनी और यशदात्री पुत्री 'यशोदा' ने जो 'पांच लिंको की पालकी' उठायी, वह आनेवाले पल-पल की ब्लॉग-हलचल को समेटती अद्यतन गतिमान है और अनंत को साधने की दिशा में सतत प्रयासरत है। चर्चाकारों ने जिस सुरुचिपूर्ण शैली में रचनाकारों को चुना है और उन्हें अपने 'पांच लिंकों' में बुना है, श्लाघ्य है। नये रचनाकारों को इस लिंक पर मिलता प्रोत्साहन साहित्य को नई ऊर्जा देता है। इस पालकी के सात कहार सप्ताह के सातों दिन साहित्य -सिंधु की सप्तधार में साहित्य के सातों रस की सप्तवर्णी आभा बिखेरते रहते हैं। इनका 'हमकदम' हर कदम साहित्य रसिको का हर दम सहेजता है। हर 'कल'  'आज' में प्रवाहित हो रहा है और  यहीं 'आज' अब 'कल' में प्रवाहित हो जाना है। 'चरैवेति-चरैवेति' का यहीं दर्शन जीवन का सत्य है। और,  इस महान दर्शन के अरुण केतन को थामे इन सात कहारों के कंधे पर सजी 'पांच लिंकों' की साहित्य पालकी के  इस शाश्वत 'सरस्वती-साधक-संधान' की सफलता और इनके अक्षय यश की हम चिरंतन कामना करते हैं।

                                                                     --------   विश्वमोहन




आदरणीया सीमा "सदा" जी 
शब्दों के वंदनवार सजे हैं, भावनाओं की रंगोली में हर रंग चहक रहा है … पल हैं उत्सव के ‘पाँच लिंकों का आनंद’ हर्षित है, इस सारी चहल-पहल से और सच कहूँ तो गर्व के क्षण हैं इससे जुड़े हर सदस्य के लिए, यशोदा जी ने इस अनवरत चलने वाली यात्रा को धरोहर के पन्नो के साथ संजोकर इस तरह सूत्रधार के रुप में दस्तक़ दी है कि मन हमेशा इसे अनंत ऊंचाइयों पर देखना चाहता है।
इस बार जगन्नाथ जी की रथयात्रा के दिन 4 वर्ष पूर्ण होने पर आनंद के क्षणों में मेरी तरफ से सभी चर्चाकारों को बहुत बहुत बधाई इन्ही शुभकामनाओं के साथ कि निष्ठा और समर्पण की भावना से आप सभी हमेशा ऊर्जावान रहें।
-सीमा "सदा"
★★★★★★★ 

आइये अब आपको इस अंक में सम्मिलित रचनाओं की ओर ले चलें-   
आदरणीय प्रोफेसर सुशील कुमार जोशी सर ने अपने ब्लॉग "उलूक टाइम्स" पर हमारे लिये विशिष्ट रचना प्रकाशित की है -


"पाँच लिंको के आनन्द" के 
पाँचवे साल में 
कदम रखने के अवसर पर 
पता नहीं क्यों 
‘ठुमुक चलत राम चंद्र बाजत पैजनियाँ’ 
और 
धीरे धीरे कदम 
आगे बढ़ाता हुआ 
छोटा सा नन्हा सा
 ‘राम’ 
याद आता है 




बच्चों ने तस्वीर देखकर अपने हाथों से उसकी अनुकृति बनाई. आज माली ने गमलों में फूलों के पौधे लगाये. फ्लॉक्स और डायंथस अब खिलने लगे हैं. फरवरी के अंत तक बगीचा फूलों से भर जायेगा. आज सुबह मृणाल ज्योति गयी, बहुत लोग आये थे. पिछले वर्ष लगे एक कैम्प में सौ परिवारों का चयन किया गया था, जिन्हें सरकार की तरफ से दिव्यांग बच्चों एक लिए किट बांटे गये.


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अब तो नदिया के बहते पानी को
आँचल में बाँधना छोड़ो  
अब तो जागी आँखों 
झूठे सपने देखना छोड़ो
इस विशाल जन अरण्य में जब
अनेकों मर्मभेदी चीत्कारें
अनसुनी रह जाती हैं तो
तुम्हारे रुदन के मूक स्वरों को
कौन सुनेगा !



एक पीढ़ी से आने वाली पीढ़ी तक
किताबें है ऐसे दस्तावेज
जिन में लिखी इवारतें  है
 इतिहास अतीत का
जब भी पन्ने पलटो
 अतीत की घटनाओं में 
ऐसे खो जाते हैं
मन ही नहीं होता
 हाथों से पुस्तक छोड़ने का
कभी अपने से तुलना करते हैं 
और बीती यादों में खो जाते हैं |



जबकि मानव लूट रहा,
लुभावने प्रपंचों से,
क्षीणता के कगार पर बैठ,
खंडित कर रहा,
अंतरध्वनि, हृदयपटल पर,
सच कहने और सहने की,
क्षमता से दूर,
गढ़ रहा ढकोसले का मलिन आवरण। 



ये GPS क्या है? ये उपग्रह पर आधारित रेडियो नेविगेशन सिस्टम है जिसे Global Positioning System कहते हैं. यह सिस्टम अमरीकी सरकार का है और इसे अमरीकी वायु सेना चलाती है. हमें गूगल के माध्ययम से मिल रही है. यह सेवा मुफ्त है और धरती पर किसी भी स्मार्ट फोन या दूसरे रिसीवर पर इसे इस्तेमाल किया जा सकता है. यह सेवा अमरीकी सेना के लिए 1978 के लिए शुरू हुई पर बाद में आम जनता के लिए भी खोल दी गई. इसके लिए 31 सॅटॅलाइट धरती से 20,000 किमी ऊपर लगातार घूमते रहते हैं. 



मैं अनपढ़ गंवार तो कुछ कमा नहीं सकती ऐसे में तेरे पिता का इलाज का खर्चा। धीरे-धीरे करके सारे गहने बिक चुके हैं। जयंत सबकी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है।
माँ तुम जयंत से मेरी शादी इसलिए करना चाहती हो कि घर में कमाई का कोई जरिया नहीं है। चिंता मत करो मैं कोई नौकरी और ढूँढ लेती हूँ। तब तक मेरी ट्यूशन की कमाई से गुजर कर लो।सब ठीक हो जायेगा माँ।





''कबीर सिंह'' महिला विरोधी होने के बावजूद क्यों महिलाओं को कबीर के किरदार से दिक्कत नहीं हैं?

महिलाओं को लगता हैं कि उन्हें अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने का हक ही नहीं हैं...उनका अपना कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं हैं...ये दुनिया पुरुषों की हैं...जैसे उनके पिता, पति और बेटे कहेंगे (चाहे वह बात गलत ही हो!) उन्हें उस बात का समर्थन करना ही हैं! इस तरह हीन भावना से ग्रसित होने के कारण यदि पति उन्हें मारे तो भी वे इसे गलत नहीं मानती। उन्हें लगता हैं कि पुरुषों को अधिकार हैं महिलाओं को मारने का..! इसी मानसिकता के कारण कबीर सिंह महिला विरोधी होने के बावजूद महिलाओं को कबीर के किरदार से दिक्कत नहीं हैं!!!


हम-क़दम का नया विषय 
यहाँ देखिए

आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी। 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

21 टिप्‍पणियां:

  1. हार्दिक शुभकामनाएं,
    हमारे शुभचिंतक पाठकों को
    आपकी ही ताकत पर हम यहां तक हैं
    हमारे चर्चाकारों को भी आभार..
    सादर...



    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  3. "पाँच लिंकों का आनन्द" की चौथी वर्षगाँठ की हार्दिक बधाईयाँ💐💐 आने वाले समय में इसकी लोकप्रियता ब्लॉग जगत में नए आयाम स्थापित करे इन्हीं मंगल कामनाओं सहित सुप्रभात..जय जगन्नाथ🙏🙏

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  4. पाँच लिंकों की स्थापना को आज पूर्णतया चार बरस बीत गये |पिछले एक साल से मैं भी अपना क़दम आप के साथ बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रही हूँ |बहुत ही अच्छा लगा आप का साथ |और आज पांचवें वर्ष में क़दम मेरी रचना के साथ, तहे दिल से आभार आदरणीय रविंद्र जी सर आप का |साहित्य की दुनिया में आप का बहुत ही सराहनीय क़दम आदरणीया यशोदा दी जी |नये रचनाकारों की आप यूँ ही एक माँ की भांति अँगुली थामना और साहित्यिक दुनिया में उन का मार्गदर्शन करना |सभी चर्चा कारों ने अपनी अथक मेहनत और लगन से आज पाँच लिंकों को आसमां की बुलंदियों तक पहुंचाया है सभी को ढेरों शुभकामनायें, यह बेल यूँ ही फले फूले और हर दिन एक नये लेखक का फूल महके |आज की प्रस्तुति बहुत ही सुन्दर है सभी शानदार रचनाएँ
    हार्दिक बधाई और ढेरों शुभकामनायें आप को
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. अनेकानेक साहित्यकारों की शुभकामनाएं पाकर छोटी बहना का हौसला चौगुना बढ़ गया होगा...
    शानदार प्रस्तुतीकरण के लिए हार्दिक बधाई

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  6. जन्मदिन की हार्दिक बधाई 💐💐💐💐💐💐और आने वाले वर्षों के लिए ढेरों शुभकामनाएं । बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति ।

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  7. इसी उर्जा के साथ कारवाँ बढ़ता चले। जन्मदिन पर शुभकामनाएं पाँच लिंकों के आनन्द के लिये और नमन इस रथ को खींचते हुऐ सूर्य के सारथी जैसे चर्चाकारों को।

    जवाब देंहटाएं
  8. 'पांच लिंको के आनंद'के चौथी वर्षगाँठ की इसके संस्थापक यशोदा दी एवं दिग्विजय जी और पूरी टीम को हार्दिक शुभकामनाएं🎂💐🎂💐🎂💐
    ब्लॉगरों को प्रोत्साहन देने हेतु इतने अच्छे प्लेटफार्म को सुचारू रूप से चलाने के लिए अपना कीमती समय देने के लिए पूरी टीम बधाई की पात्र है।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, रविन्द्र जी।

    जवाब देंहटाएं
  9. पांच लिंको के आनंद की चौथी वर्षगांठ पर पूरी टीम को दिल से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं,पांच लिंको के आनंद ने हम जैसे नये ब्लॉगर को अपने साथ जोड़कर ब्लॉग जगत में एक नयी पहचान दी यह सफर यूँ चलता रहे। मेरी कहानी को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार रवीन्द्र जी

    जवाब देंहटाएं
  10. पाँच लिंकों का आनन्द" की चौथी वर्षगाँठ के अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनायें ! आज के अंक के मुझे शामिल करने के लिए आभार !

    जवाब देंहटाएं
  11. पांच लिंकों की चौथी वर्षगाँठ पर हार्दिक बधाई.
    'गूगल के नक़्शे और लोकल गाइड' शामिल करने के लिए धन्यवाद.

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  12. बहुत बहुत शुभकामनाएं आप सभी को 🌺🌺🙏🏼

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  13. चौथी सालगिरह है पाँच लिंकों की खुशी का मौका है संस्थापक चर्चाकार और सभी सदस्यों को भाव भरी बधाई ।
    गावो गावो बधाई गावो रे पाँच लिंकों के जन्म दिवस की।
    सभी को पुनः अशेष बधाईयां और पांच लिंक यूं ही परचम फहराता रहे, शुभकामनाएं ।
    आज की प्रस्तुति बहुत ही शानदार है ।
    सभी रचनाकारों को बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  14. आदरणीय रवींद्र जी, मुझे याद है जब आपने शब्दनगरी से मेरी रचना अलमस्त बचपन को अपनी प्रस्तुति का हिस्सा बनाया था तो मुझे ठीक ठाक इस मंच के विषय में कुछ भी पता नहीं था। पर धीरे धीरे इस मंच का महत्व पता चला। मेरे ब्लॉग की पहली ही रचना को पांच लिंक में स्थान मिला, जो एक यादगर अनुभव है। प्रिय श्वेता तो मेरी पुरानी रचना को भी कई बार ढूंढ कर लिंकों में लायी है जिसके लिए उनका विशेष आभार प्रकट करती हूँ। भाई कुलदीप एक रचना को तीन बार अपनी प्रस्तुति में लिया है जो मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है। सभी चर्चाकार निष्काम भाव से जो साहित्य सेवा कर रहे हैं जिसके लिए सभी प्रशंसा के पात्र है। नये और पुराने रचनाकारों को सादर, सस्नेह आभार। सभी पाठकों और रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। 🙏🙏🙏💐🌹🌹💐💐🌹🌹💐😊

    जवाब देंहटाएं
  15. जन्मदिन की हार्दिक बधाई और पांचवें साल की शुभकामनाएं
    सादर

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  16. वाह! खास दिन की रचनाएँ भी खासम खास! आनेवाली सुबहों की प्रस्तुति यूँ ही अपनी खासियत बनाये रखे और पांच लिंकों की आनंद-लहरी ब्लॉग-साहित्य के आंगन में तैरती रहे! बधाई और शुभकामनाएं!!!

    जवाब देंहटाएं
  17. आज के जन्मोत्सव में शामिल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सभी पाठक मित्रों का अभिनंदन और हृदयतल से आभार।
    आपसभी का साथ और सहयोग से कारवाँ बढ़ता रहे।
    रवींद्र जी बहुत ही सराहनीय संकवन बनाया है आपने।
    सुंदर प्रस्तुति और उत्तम रचनाएँ है। इतनी श्रमसाध्य प्रस्तुति प्रशंसनीय है।
    बधाई और शुभकामनाएँ।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  18. पाँच लिंकों की हलचल के स्थापना दिवस पर आप सभी को हार्दिक बधाई एवं अनंत अशेष शुभकामनाएं ! टीम के हर सदस्य का हृदय से शत शत बार अभिनन्दन ! उनकी लगन, उनके समर्पण और उनकी श्रम साध्य साधना ने इसे इन बुलंदियों पर पहुुँँचाया है ! सभीको एक बार पुन: बधाई ! मेरी रचना को आज के इस विशिष्ट संकलन में सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  19. 'पाँच लिंकों का आनंद'की सारी टीम की लगन,समर्पण और उनकी मेहनत का फल हम रचनाकारों को भी चखने मिल जाता है जब इस मंच के माध्यम से हमें पहचान मिलती है। सार्थक प्रयासों के लिए बहुत बहुत अभिनंदन। पाँचवें वर्ष में पदार्पण की हार्दिक बधाई। पाँच लिंकों में अपनी रचना चुने जाने पर आज भी उतना ही आनंद होता है जितना प्रथम बार हुआ था। सादर, सस्नेह शुभकामनाएँ आप सभी को।

    जवाब देंहटाएं
  20. जन्मोत्सव के दिन सम्मिलित न हो पाने का खेद है ढेर सारी शुभकामनाएं ....
    शानदार प्रस्तुति उम्दा लिंक संकलन

    जवाब देंहटाएं

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