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शनिवार, 15 जून 2019

1429...जलन


ना किसी से जलन,
ना किसी से कोई होड़,
मेरी अपनी राहें,
मेरी अपनी दौड़

एक दिन तपिश से जी अकुला गया था 
शाम में बहुत निहोरा-पाती से
बाग़ में सैर के लिए संग चले
घर से निकल कर थोड़ी दूर ही बढ़े कि
तेज आँधी शुरू हो गयी
धूल की वजह से वापसी
वापसी होते सब ठीक
अनुभव वक्त का जलन

सफलता से जलन पर 21 सर्वश्रेष्ठ विचार
सफलता मिलते ही सारे रिश्ते - नाते
जो अभी तक साथ थे जलन के शिकार हो जाते हैं |
 सफलता के पथ पर आगे बढ़ते हुए 
इस जलन को समझना जरूरी है |


नहीं हो रहा था 
उसे कोई दर्द 
गर्म वैक्स की पट्टियों का 
घर था उसका 
सब की सब 
चिपकी थीं उसके जिस्म पर !

मेरी फ़ोटो
फिर भी .. कर व्यक्त नहीं पाए 
निज नेह,.. मौन के मौन रहे. 
कब तलक रहे जीवित आशा 
मेरी, .. इतनी चुप कौन सहे?

ईर्ष्या ,तू न गयी ....

कभी मोटापें से झूलते पेट पर जबरन जीन्स चढ़वाती है
तो कभी नृत्य कला के लिए वजन को भूल कमरे की दीवारों पर भूकम्प ... 
क्या किसी से जलन होना एक नकारात्मक भावना है 
जिसका अनुभव हर व्यक्ति अपनी जिंदगी में एक बार तो करता ही है।


जब तुम्हीं अनजान बन कर रह गए – शांति सिंहल
दूं तुम्हें कैसे जलन अपनी दिखा‚
दूं तुम्हें कैसे लगन अपनी दिखा।
जो स्वरित हो कर न कुछ भी कह सकें‚
मैं भला वे गान लेकर क्या करूं?

><
फिर मिलेंगे...

अब बारी विषय की
पचहत्तरवें अंक का
विषय
इंसानियत
उदाहरण

या ये लिखूं की
पैसा पैसा और बस पैसा
कमाने की होड़ में
जीना भूल रहें है लोग

पर इन सब के बावजूद
आज भी इंसानियत कायम है
प्यार कायम है
और इसी वजह से चल रही है
ये दुनिया
तो बस मैं यही लिखना चाहती हूं
आदरणीय रेवा बहन की रचना
प्रेषण तिथि - 15 जून 2019
प्रकाशन तिथि - 17 जून 2019
प्रविष्ठियाँ ब्लॉग सम्पर्क फार्म द्वारा ही मान्य


8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी..
    हमेशा की तरह सदाबहार प्रस्तुति
    सादर नमन...

    जवाब देंहटाएं
  2. सराहनीय संकलन दी हमेशा की तरह अलहदा रचनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय दीदी, सादर प्रणाम। मंच के रचना कारों और पाठकों को सप्रेम अभिवादन। आज के सार्थक और अपनी पहचान आप लिए अंक के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और आभार। जलन मौसम जनित हो समझ आता है पर अकारण किसी से ईर्ष्या करना या जलन रखना बहुत ही अनैतिक कृत्य है। सच कहें तो इस कारण हम किसी निस्वार्थ रिश्ते को गंवा बैठते हैं। हम साहित्य साधक हैं, हमारे लिए ये बिल्कुल नहीं हैं। जलन भीतर व्याप्त होकर किसी और को नहीं खुद को दीमक की भाँति खा जाती है। सभी रचनायें पढ़वाने के लिए आपका पुनः आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन और लाजवाब प्रस्तुति दी !!

    जवाब देंहटाएं
  5. शानदार प्रस्तुति। सभी रचनाएँ बेहतरीन।

    जवाब देंहटाएं

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