कविता कोश से ली गई कालजयी रचनाएँ
आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी,
यही हुई है राय जवाहरलाल की
रफ़ू करेंगे फटे-पुराने जाल की
यही हुई है राय जवाहरलाल की
आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी!
★★★★★★★
पालकी में बैठ कर आया करो ऐ जिंदगी
हर किसी को हर घड़ी भाया करो ऐ जिंदगी
काला-काला टीका माथे पर तुम्हारे चाहिए
बन-संवर कर जब कभी आया करो ऐ जिदगी
सबसे है रिश्ता तुम्हारा सदियों से फिर पर्दा क्यों
अपना असली रूप दिखलाया करो ऐ जिंदगी
★★★★★★
गीत कविता की एक रचना
इस गाँव से उस गाँव तक
नंगे बदता फैंटा कसे
बारात किसकी ढो रहे
किसकी कहारी में फंसे?
यह कर्ज पुश्तैनी अभी किश्तें हज़ारो साल की
काँधे धरी यह पालकी, है किस कन्हैयालाल की?
★
नियमित रचनाएँ
आदरणीया साधना वैद
जब भी कभी मेरा मन
किसी उत्सव समारोह में सम्मिलित होने को
उतावला हो जाता है
मैं अपने हृदय की पालकी पर सवार हो
सुदूर आकाश में पहुँच जाती हूँ
जहाँ सितारों की रोशनी से
सारा उत्सव स्थल जगमगाता सा प्रतीत होता है,
जहाँ घटाओं की मृदंग
और बिजली की धार पर
दिव्य अप्सराओं का नृत्य हो रहा होता है
★★★★★★★
आदरणीया आशा सक्सेना
अच्छाई बुराई भलाई
के सारे कर्म
साथ ले चली अपने
हर जगह महत्व
देख पालकी का
मन ही मन किया नमन
उन सब भागीदारों को
पालकी उठाने वालों को |
★★★★★★★
आदरणीया अनीता सैनी
बंधुत्व से बँधी,
बरगद ने सुना बखान,
पीपल के पत्तों की पालकी,
मानव को मानवता का वरदान ,
समय के कंधों पर, हो सवार
करने चली , दुनिया का उद्धार |
★★★★★
आदरणीया अभिलाषा चौहान
है
सजी
पालकी
फूलों लदी
होगी विदाई
हुआ कन्यादान
बेटी बनी दुल्हन।
★★★★★★★
आदरणीया सुजाता प्रिय
पालकी सजा , सजा री बदरिया।
घनघोर घटा तू ओढ़ा दे ओहरिया।
आ रे पयोधर लट सुलझा दे।
मेघ तू मेंहदी,बिंदिया सजा दे।
काली मेघा लगा दे कजरिया।
आज बनूँगी मैं तो बहुरिया।
★★★★★
आदरणीया शुभा मेहता
आलकी रे पालकी
जय कन्हैया लाल की
बचपन का खेल
बहुत खेला ...
दो दोस्त अपने हाथों की
केंची सी बनाते
और तीसरे को उसमें चढाते
फिर अचानक घडाम से
नीचे गिराते ....
★★★★★★
आदरणीया अनुराधा चौहान
अरमानों की पालकी
दिल है कि मानता नहीं
अरमानों की पालकी में बैठ
प्रिय का इंतज़ार करता
सुनहरे स्वप्नों में खोकर
नवजीवन के सपने बुनता
उम्मीदों के पंख लगाकर
नीले अम्बर पर उड़ता
आशा की डोली में बैठकर
बीते लम्हों को याद में
★★★★★★
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#श्वेता सिन्हा
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंअच्छाई बुराई भलाई
के सारे कर्म
साथ ले चली अपने
हर जगह महत्व
देख पालकी का
मन ही मन किया नमन
उन सब भागीदारों को
पालकी उठाने वालों को |
बेहतरीन...
सादर...
बहुत ही सुन्दर रचना संकलन एवं प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं'पालकी'पर अति उत्तम रचनाएं पढ़ने को
मिली,सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं, मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार प्रिय श्वेता जी,
सादर
चलो रे डोली उठाओ कहार...
जवाब देंहटाएंपालकी में हो के सवार...
शानदार प्रस्तुतीकरण.. उम्दा लिंक्स
सुंदर संकलन बेहतरीन रचनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी
जवाब देंहटाएंवाह्ह्ह्ह्ह् उम्दा जी
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार प्रिय श्वेता दी जी हमारे कविवर नागार्जुन जी की पालकी रचना पढ़वाने के लिये |रानी का भारत आगमन कवि का विचलती मन नेहरू जी से ढेरों शिकायते,शिकायत में झलकता स्वाभिमान |सुबह सुबह वक़्त का एक दौर दिल में उतर गया |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति 👌|मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार आप का
प्रणाम
सुप्रभात !
जवाब देंहटाएं"पालकी" शीर्षक के साथ भावपूर्ण उत्कृष्ट रचनाएँ ।
अत्यन्त सुन्दर प्रस्तुति ।
उत्कृष्ट रचनाओं की प्रस्तुति। सभी रचनाकारों को बधाई धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात। बहुत सुंदर प्रस्तुति श्वेता।बेहद सुंदर तरीके से सुजाता है तूने सारे पालकियों को। धन्यबाद
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की हलचल ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक संयोजन शानदार रचनाकारों का शानदार प्रदर्शन।
जवाब देंहटाएंसभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
नागार्जुनजी,प्राण शर्मा जी और कुंवर नारायण जी की बेमिसाल पालकियां।
जवाब देंहटाएंशुभा जी की पालकी नही मिल रही देखें कृपा।
बेहतरीन एक से बढ़कर पालकी सजी थी ,लाजबाब प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह!!बेहतरीन प्रस्तुति श्वेता !मेरी रचना को स्थान देने के लिए दिल से आभार ।
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो आपको विशेष धन्यवाद दिग्गज रचनाकारों की रचनाओं से जोड़ने के लिए। आजकल के व्यस्त जीवन में अधिकतर लोग कहाँ ऐसी रचनाओं को खोजकर पढ़ने का समय निकाल पाते हैं ? आज की भाँति भाँति की पालकियों को जानते और समझते हुए यह संतोष हो रहा है कि हिंदी भाषा और साहित्य से हमारा प्रेम ज़िंदा है अभी,बल्कि बढ़ ही रहा है। यह सुखद अहसास है। कल्पना के नवांकुरों को उर्वरा भूमि प्रदान करने हेतु इस मंच को साधुवाद देना तो बनता है। पुनः पुनः धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंपालकी को इस तरह भी प्रस्तुत किया जा सकता है सभी कमाल खूबसूरत रचनाएं .
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