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सृष्टि कर्ता के समकक्ष खड़ी नारी जब एक व्याभिचारी पशु का
शिकार होकर पीड़िता बन जाती है तो निर्दोष होने के बावजूद
समाज में एक अछूत का जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाती है।
हम बुद्धिजीवी जितना भी क़लम घिस ले उनकी पीड़ा को शब्द
देने का प्रयास करते रहें पर सच तो यही है कि उक्त
भुक्तभोगी के प्रति सभ्य समाज का नज़रिया
बेहद उपेक्षित अपराधी की तरह होता है,उसके चरित्र और
व्यक्तित्व को दोषपूर्ण बताकर आजीवन उस पाप की सजा
दी जाती है जो उसने किया ही नहीं होता है।
हम जितना भी मुँह पुरौवल कर लें पर तथाकथित सभ्य
लोगों की फुसफुसाहट पीड़िता की आत्मा को उतना ही
घायल करती है जितना कि उसके तन को कोई व्याभिचारी पशु।
काश कि हम पढ़े-लिखे बुद्धिमान मान लोग कागज़ पर जितने
संवेदनशील हैं उतने आम जीवन में भी जागृत होते।
★★★★★★
चलिए आज की रचनाएँ पढ़ते है
रचनाकार हैं :-
आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल जी
आदरणीय दिगंबर नासवा जी
★★★★★
एकशाकीय परजीवी
क्वाथ कराये गर्भपात
जर्द पड़े शजर क्यों नहीं
मोहभंग कर विरोध करता
दो ही रास्ते मिलते हैं
क्षणिकायें
कपसता है
कई बार ...
ब्याहता तन के
आवरण में
अनछुआ-सा
एक कुँवारा मन ..
★★★★★★
मुहब्बत की है बस इतनी कहानी
मिटा सकते नहीं पन्नों से लेकिन
★ ★★★★
निकासी मार्ग के बिल्कुल पास है जो नहर मार्ग तक हमेशा
नमीयुक्त होती है। जिससे इन बीजों में कोई न कोई बीज
हर गड्ढे में अंकुरित होकर बढ़ ही जाएगा। और हर गड्ढे में
अलग प्रजाति का बीज है तो विविध प्रकार के वृक्ष पल्लवित
होंगे जिन्हें विशेष देखभाल की जरूरत भी नहीं होगी। महोदय
चुपचाप सुनते रहे। सभी साथियों को योगदान के लिए
सम्मानित किया। महोदय का विशेष सम्मान हुआ।
★★★★★
आज का यह अंक आप सभी को
कैसा लगा?
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया
उत्साहित और प्रेरित करती है।
हमक़दम का विषय
यहाँ देखिये
कल आ रहीं हैं विभा दी अपनी
विशिष्ट प्रस्तुति के साथ पढ़ना न भूलियेगा।
#श्वेता सिन्हा
अपने आप में..
जवाब देंहटाएंअप्रतिम प्रस्तुति..
सादर..
छूटकी छूटकी छूटकी
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
उम्दा प्रस्तुतीकरण
पाँच लिंकों का आनन्द के 1428वें अंक में मेरी रचना को जगह दे कर रचना का मान बढ़ाने के लिए मन से आभार .... साथ ही अन्य बेहतरीन और सोचनीय रचनाओं से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद .... आपका ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन व सार्थक प्रस्तुति हेतु आदरणीया श्वेता जी बधाई की पात्र हैं । ढेरों शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंकाश कि हम पढ़े-लिखे बुद्धिमान मान लोग कागज़ पर जितने
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील हैं उतने आम जीवन में भी जागृत होते।
सटीक।
सुन्दर प्रस्तुति।
सार्थक भूमिका से सजा संजीदा संकलन।
जवाब देंहटाएंलाजवाब लिंक्स और प्रभावशाली भूमिका के साथ उम्दा संकलन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, शानदार भुमिका। कभी कभी लगता है ऐसी घटनाएं होकर जितना संताप देती है भुक्तभोगियों को उसके समानान्तर पीड़ा बुद्धिजीवियों कलमकारों मिडिया और सामाजिक संस्थाओं के प्रतिदिन के आत्म प्रशंसा वाले कृत्य जख्मों को कुदेरने का मुहीम जारी रखते हैं जब तक की कोई दुसरी संघातिक घटना ना हो जाय।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक चयन सभी रचनाकारों को बधाई।
बेहतरीन लिंक्स एवम प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसार्थक संकलन ... अच्छी रचनाएँ ...
जवाब देंहटाएंआभार मुझे भी शामिल करने के लिए ...
अति सुंदर कविता Computer Sikho
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