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शुक्रवार, 14 जून 2019

1428....भुक्तभोगी के प्रति सभ्य समाज का नज़रिया

स्नेहिल नमस्कार
--------
सृष्टि कर्ता के समकक्ष खड़ी नारी जब एक व्याभिचारी पशु का 
शिकार होकर पीड़िता बन जाती है तो निर्दोष होने के बावजूद 
समाज में एक अछूत का जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाती है।

हम बुद्धिजीवी जितना भी क़लम घिस ले उनकी पीड़ा को शब्द 
देने का प्रयास करते रहें पर सच तो यही है कि उक्त 
भुक्तभोगी के प्रति सभ्य समाज का नज़रिया

बेहद उपेक्षित अपराधी की तरह होता है,उसके चरित्र और 
व्यक्तित्व को दोषपूर्ण बताकर आजीवन उस पाप की सजा 
दी जाती है जो उसने किया ही नहीं होता है।

हम जितना भी मुँह पुरौवल कर लें पर तथाकथित सभ्य 
लोगों की फुसफुसाहट पीड़िता की आत्मा को उतना ही 
घायल करती है जितना कि उसके तन को कोई व्याभिचारी पशु।


काश कि हम पढ़े-लिखे बुद्धिमान मान लोग कागज़ पर जितने 
संवेदनशील हैं उतने आम जीवन में भी जागृत होते।


★★★★★★
चलिए आज की रचनाएँ पढ़ते है
रचनाकार हैं :-
आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल जी
आदरणीया विभारानी श्रीवास्तव जी
आदरणीय सुबोध सिन्हा जी
आदरणीय दिगंबर नासवा जी
आदरणीया प्रीति सुराना जी
★★★★★
बच्चियां हिन्दू की हों,
मुसलमान की हों
या
किसी अन्य धर्मावलम्बी की !
किसी से बदला लेने के लिए -
या
किसी को सबक सिखाने के लिए -
★★★★★


गर्भनाशक अमरबेल
एकशाकीय परजीवी
क्वाथ कराये गर्भपात
जर्द पड़े शजर क्यों नहीं
मोहभंग कर विरोध करता
दो ही रास्ते मिलते हैं

★★★★★

क्षणिकायें

कपसता है
कई बार ...
ब्याहता तन के
आवरण में
अनछुआ-सा
एक कुँवारा मन ..


★★★★★★

मुहब्बत की है बस इतनी कहानी
मिटा सकते नहीं पन्नों से लेकिन  
दिलों से कुछ खरोंचे हैं मिटानी

लड़ाई, दोस्ती फिर प्रेम पल पल
हमारी रोज़ की है जिंदगानी

★ ★★★★
संस्था के पदाधिकारियों ने कहा- महोदय ये जगह घरों के जल 
निकासी मार्ग के बिल्कुल पास है जो नहर मार्ग तक हमेशा 
नमीयुक्त होती है। जिससे इन बीजों में कोई न कोई बीज 
हर गड्ढे में अंकुरित होकर बढ़ ही जाएगा। और हर गड्ढे में 
अलग प्रजाति का बीज है तो विविध प्रकार के वृक्ष पल्लवित 
होंगे जिन्हें विशेष देखभाल की जरूरत भी नहीं होगी। महोदय 
चुपचाप सुनते रहे। सभी साथियों को योगदान के लिए 
सम्मानित किया। महोदय का विशेष सम्मान हुआ।

★★★★★
आज का यह अंक आप सभी को
कैसा लगा?
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया
उत्साहित और प्रेरित करती है।

हमक़दम का विषय 


यहाँ देखिये


कल आ रहीं हैं विभा दी अपनी 

विशिष्ट प्रस्तुति के साथ पढ़ना न भूलियेगा।

#श्वेता सिन्हा

11 टिप्‍पणियां:

  1. अपने आप में..
    अप्रतिम प्रस्तुति..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. छूटकी छूटकी छूटकी
    सस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
    उम्दा प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  3. पाँच लिंकों का आनन्द के 1428वें अंक में मेरी रचना को जगह दे कर रचना का मान बढ़ाने के लिए मन से आभार .... साथ ही अन्य बेहतरीन और सोचनीय रचनाओं से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद .... आपका ...

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन व सार्थक प्रस्तुति हेतु आदरणीया श्वेता जी बधाई की पात्र हैं । ढेरों शुभकामनायें ।

    जवाब देंहटाएं
  5. काश कि हम पढ़े-लिखे बुद्धिमान मान लोग कागज़ पर जितने
    संवेदनशील हैं उतने आम जीवन में भी जागृत होते।

    सटीक।

    सुन्दर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  6. सार्थक भूमिका से सजा संजीदा संकलन।

    जवाब देंहटाएं
  7. लाजवाब लिंक्स और प्रभावशाली भूमिका के साथ उम्दा संकलन ।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति, शानदार भुमिका। कभी कभी लगता है ऐसी घटनाएं होकर जितना संताप देती है भुक्तभोगियों को उसके समानान्तर पीड़ा बुद्धिजीवियों कलमकारों मिडिया और सामाजिक संस्थाओं के प्रतिदिन के आत्म प्रशंसा वाले कृत्य जख्मों को कुदेरने का मुहीम जारी रखते हैं जब तक की कोई दुसरी संघातिक घटना ना हो जाय।
    सुंदर लिंक चयन सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन लिंक्स एवम प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  10. सार्थक संकलन ... अच्छी रचनाएँ ...
    आभार मुझे भी शामिल करने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं

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