सन् दो हजार अट्ठारह की ओर अग्रसर हैं हम
कड़कती हुई ठण़्डी रातें...हाँ..
इन दिनों पेट की अग्नि तीव्र होती है...
जो खाते हैं पच जाता है...मेरी सहेली ज्योति जी
इन दिनों बड़ी,पापड़ इत्यादि भी बनाया जाता है
डॉक्टर्स इन दिनों को हेल्दी सीजन कहते हैं
मन की नमी...श्वेता सिन्हा
दूब के कोरों पर,
जमी बूँदें शबनमी।
सुनहरी धूप ने,
चख ली सारी नमी।
कतरा-कतरा
पीकर मद भरी बूँदें,
संग किरणों के,
मचाये पुरवा सनसनी।
सरकारी रचनाकार...मन का उपज
माया..
सत्ता है
सरकार की
और यही..
माया....पगला
देती है रचनाकार को
और..पगला रचनाकार
रचता कब है !
माँ...शालिनी कौशिक
माता जी ..माता जी ....नरेंद्र बाबू को बहुत चोट आयी है ,उन्हें कुछ लोग लेकर अस्पताल जा रहे हैं ....मैं भी जा रहा हूँ ....तू रुक ...जनार्दन को रोकते हुए कौशल्या देवी बोली ,मैं भले ही उसे बोझ लगती हूँ पर मेरे लिए मेरा बेटा कभी बोझ नहीं हो सकता ,मैं आज भी उसे ठीक करने की ताकत रखती हूँ भले ही वह मेरी जिम्मेदारी से मुकर जाये ......आँख में आये आंसू पौंछती हुई कौशल्या देवी को जनार्दन ने सहारा दिया और कहा ..चलिए माता जी सच में आप सही कह रही हैं ,आप माँ हैं और माँ माँ ही होती है .
शाम नहीं बदलती कभी....रश्मि शर्मा
किसी और का नाम
कभी लिख नहीं पायी
वो वक़्त
अधूरा ही रहा जीवन में
कुछ के रास्ते बदल जाते हैं
कुछ की मंज़िले
मगर किसी-किसी की शाम
नहीं बदलती कभी ।
दिल.....पुरुषोत्तम सिन्हा
राख ही सही!
पश्चाताप की भट्ठी पर चढा,
बस इक बार ही जला,
अंतःकरण खिला......
स्वरूप बदल निखरा,
धुआँ सा गगन में उड़ा, पुनर्जन्म लेकर खिला।
मर्द हूँ, अभिशप्त हूँ...अपर्णा वाजपोई
मै चुप रहता हूँ;जब मेरी मां
ताना देती है मुझे
अपने ही बच्चे का डायपर बदलने पर....
रात भर बच्चे के साथ जगती पत्नी
कोसती है मुझे
और मै कुछ नहीं करता;
आज तक नहीं सीख पाया
नन्हे शिशु को गोद में लेना,
बोल, क्या नहीं तेरे पास ?....मीना शर्मा
यह मनु-तन पाया
हर अंग बहुमूल्य,
सद्गुणों से बन जाए
तू देवों के तुल्य !
वाणी मणिदीप है,
तो बुद्धि है प्रकाश !!!
उलूक टाईम्स की पुरानी कतरन
प्रतीक्षा में हूँ
उन गरम
फिजाओं की
जो मेरे
ठंडेपन को
कुछ गरम करें ।
सदियों से
मेरी गर्मी
मेरी सर्दी
से राजनीति
कर रही है ।
........
अब बस
आज्ञा दें
यशोदा
ढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाओं के संग शुभ प्रभात छोटी बहना
जवाब देंहटाएंबड़ी पापड़ आपके बनायें तो हमें भी खाने हैं
उम्दा लिंक्स चयन
शुभप्रभात आदरणीया दी,
जवाब देंहटाएंमौसम करवट ले रहा है।साल भी जैसे पंख लगाये उड़ गया मात्र महीनेभर बाद नया साल।
बहुत सुंदर प्रस्तुति दी और सारी रचनाएँ बहुत अच्छी है।
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार दी।
सभी साथी रचनाकारों को मेरी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सुप्रभात,
जवाब देंहटाएंदूब के कोरों पर,जमी बूँदें शबनमी।
सुनहरी धूप ने,चख ली सारी नमी।
कतरा-कतरा पीकर मद भरी बूँदें,
संग किरणों के,मचाये पुरवा सनसनी।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को भी सम्मानित मिल करने के लिए आभार।
सभी साथी रचनाकारों को मेरी भी हार्दिक शुभकामनाएँ।
आभार यशोदा दीदी
बहुत सुंदर संकलन ! सादर आभार मेरी रचना को पसंद करने हेतु...सभी रचनाकारों को सादर शुभेच्छा ।
जवाब देंहटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंरचनाओं का निरंतर प्रकाशन। समारोह सादर नमन
बहुत उम्दा संकलन
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनायें
सभी रचनाकारों को बहुत बधाई
बहुत ही सुन्दर संकलन.....
जवाब देंहटाएंआज की सुन्दर रविवारीय प्रस्तुति में 'उलूक' के पुराने पन्ने को जगह देने के लिये आभार यशोदा जी।
जवाब देंहटाएंरोचक सार्थक और दिलकश रचनाओं से सजा आज का हलचल अंक बहुत लुभाया। सभी रचनाकारों को बहुत बधाइयाँ। शुभेक्षायें
जवाब देंहटाएंsundar v sarthak links ,meri post ko sthan dene hetu hardik dhanyawad yashoda ji
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बहुत बधाइयाँ
आभार।
बढ़िया लिंक के लिए आभार आपका
जवाब देंहटाएंआदरणीया, दीदी आज 'सुशील' जी की रचना बेहद प्रभावी लगी। आज का संकलन उम्दा सभी को बधाई।
जवाब देंहटाएंआज का अंक अलग-अलग अंदाज़ की रचनाओं का बेहतरीन संकलन है। पढ़ते-पढ़ते कई तरह के भाव उत्पन्न हुए। सभी रचनाऐं प्रभावी और सरस हैं। बधाई आदरणीया यशोदा बहन जी को। सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं। आभा सादर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ढ़ेरों शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ढ़ेरों शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएं