२२ नवम्बर २०१७
।।उषा स्वस्ति।।
कभी-कभी ऐसी भी बातें होती है..
जब केवल
देखें, समझे, मुस्कराएं थोड़ा नज़र अंदाज करें
और आगे बढ़ जाए..
इसलिए सीधे
आज की रोचक लिंकों की चर्चा में आप सभी सुधीजनों के समक्ष
ब्लॉग पर बिखरे गए मोतियों को पिरोने की कोशिश..
ब्लॉग के नाम क्रमानुसार इस प्रकार से पढे
एक दिन बंद दरवाज़ों से निकलेगी ज़िन्दगी
सुबह की किरणों का आवाभगत करेगी
रात की चाँदनी में नहाएगी
चल निगोड़े
मेरी उम्र चालीस के पास पहुंच रही थी उस वक्त। आपको ख्याल नहीं था। चंदा भाभी को भी ख्याल नहीं रहा होगा। मुझे याद नहीं भाभी ने न जाने क्या मजाक किया था, आपकी मुस्कराहट याद है बस, और याद है वह जवाब जो मैंने उस वक्त दिया था। चंदा भाभी नहीं जानती थी कि
निनानवे
शरीफ
होते हैं
उनको
होना ही
होता है
होता वही है
जो वो चाहते हैं
“साहब, यह काम हो ही नहीं पाएगा।” एक सप्ताह की प्रतीक्षा के बाद
पधारे ठेकेदार ने कार्यालय में घुसते ही अपनी असमर्थता जाहिर कर दी।
अरे, आप जैसा होशियार और सक्षम ठेकेदार ऐसी बात कैसे कह सकता है?
मैंने तो सुना है आप बहुत बड़े-बड़े ठेके लेकर सरकारी काम कराते रहते हैं।
तमाम सरकारी बिल्डिंग्स और दूसरे निर्माण और साज-सज्जा के काम आपकी
विशेषज्ञता मानी जाती है।
मैं प्यास हूं, तुम तृप्ति हो
मैं दीप हूं, तुम दीप्ति हो।
मैं दिवस और भोर तुम
हो मेरे चित की चोर तुम।
हम सब एक सीधी ट्रेन पकड़ कर
अपने अपने घर पहुँचना चाहते
हम सब ट्रेनें बदलने की
झंझटों से बचना चाहते
हम सब चाहते एक चरम यात्रा
लफ्ज़ों को शक्लों में जरूर ढाले
सफर की मंजिल खुशनुमा होगी..
।।इति शम।।
धन्यवाद
सुंदर संकलन हमेशा की तरह, विशेष रूप से
जवाब देंहटाएं"मैं प्यास हूं, तुम तृप्ति हो
मैं दीप हूं, तुम दीप्ति हो।
मैं दिवस और भोर तुम
हो मेरे चित की चोर तुम।"
चित्त की चोरी कर गया प्यासा और तन्हा छोड़ गया...
इस सराहना के लिए आपका बहुत-बहुत आभार...
हटाएंशुभ प्रभात सखि
जवाब देंहटाएंसांसारिक ताम झाम से दूर
शुद्ध साहित्यिक मंथन
साधुवाद
सादर
सुंदर प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनायें
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
सुप्रभात पम्मी जी,
जवाब देंहटाएंसारगर्भित भूमिका के साथ सुंदर लिंकों का शानदार गुलदस्ता तैयार किया है आपने।सराहनीय प्रस्तुति।
सभी रचनाएँ बहुत अच्छी है,चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
हलचल में हर नये दिन एक इंद्रधनुष के सात रंगों में जैसे एक नया रंग और मिलता है। आज की निखरी हुई प्रस्तुति में 'उलूक' को भी जगह देने के लिये आभार पम्मी जी।
जवाब देंहटाएंसुप्रभातम। वाह! शानदार प्रस्तुतीकरण आदरणीया पम्मी जी। सुंदर रचनाओं का बेहतरीन संकलन। सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं। आभार सादर।...
जवाब देंहटाएंवाह!मोहक।प्रस्तुति! आभार एवं बधाई विशेषकर कुंवर नारायण को याद करने के लिए।
जवाब देंहटाएंजी अच्छी प्रस्तुति....सभी रचनाएं खास है खास कर "चल निगोड़े"..मन को ह्रर्सित कर ग ई..!
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ बहुत अच्छी है सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन अच्छी रचनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन । अच्छी पठनीय रचनाओं के चुनाव के लिए पम्मीजी का धन्यवाद । सभी रचनाकारों को सादर बधाई ।
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा संकलन... इनके बीच जगह देने के लिए आपका हार्दिक आभार...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर उम्दा लिंक संकलन.....
जवाब देंहटाएंआदरणीय पम्मी जी -- आज के संकलन की सभी रचनाएँ पढ़ी | बहुत अच्छा चयन हैं | कुंवर नारायण जी की रचना के लिए विशेष आभार | आज के सभी साथी रचनाकारों को सादर सस्नेह शुभ कामनाएं |भूमिका का सन्देश बहुत ही प्रासंगिक है | सचमुच कुछ तथ्य अनदेखा करके चलें या फिर समय को सौप दे --तो जीवन में सुकून के मौके बढ़ जाते हैं |
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार हलचल अंक। सूंदर पठनीय रचनाओं का संकलन। waahhhh
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
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