सादर अभिवादन
दुर्गाष्टमी के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाऐं।
"हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न रह पायेंगे"
- डॉक्टर शिवमंगल सिंह "सुमन"
आज प्रस्तुत हैं छह लिंक आपकी सेवा में -
पढ़िए आदरणीय पंकज "प्रखर" जी का नारी शक्ति के सम्मान में विशेष लेख -
क्योंकि नारी सनातन
शक्ति है और
ये सामान्य जीवन
में देखने में
भी आता है
की स्त्री अपने
जीवन में इतने
सामाजिक दायित्वों को उठाकर
पुरुष के साथ
कंधे से कन्धा
मिलाकर चलती है
| यदि उन दायित्वों
का भार केवल
पुरुष के कंधे
पर ही डाल
दिया जाए तो
पुरुष मझदार में
ही असंतुलित होकर
गिर पढ़े |
आदरणीया निवेदिता श्रीवास्तव जी की जीवन के प्रवाह को
अभिव्यक्त करती उत्कृष्ट रचना -
छोटे छोटे पल ,पलक से झरते रहे
छोटी छोटी बातें ,बड़ी बनती गयीं
निगाहें
व्यतीत सी ,छलकती रहीं
यादें अतीत सी ,कसकती ही रहीं
पेश है जखीरा डॉट कॉम की नायाब पेशकश -
सोच रहा है इतना क्यूँ ऐ दस्त-ए-बे-ताख़ीर निकाल
तू ने अपने तरकश में जो रक्खा है वो तीर निकाल
जिस का कुछ अंजाम नहीं वो जंग है दो नक़्क़ादों की
लफ़्ज़ों की सफ़्फ़ाक सिनानें लहजों की शमशीर निकाल
पाबंदियों का दंश झेलती बेटियों की आवाज़ को
सशक्त अभिव्यक्ति दे रही हैं आदरणीया अपर्णा बाजपेयी जी -

बेआवाज़ लड़कियों !
उठों न, देखो तुम्हारे रुदन में........
कितनी किलकारियां खामोश हैं.
कितनी परियां गुमनाम हैं
तुम्हारे वज़ूद में.
तुम्हारी साँसे
लाशों को भी
ज़िंदगी बख़्श देती हैं....
नारी जीवन में सामाजिक वर्जनाओं ने कितनी गहरी जमा ली हैं अपनी जड़ें , महसूस कीजिये आदरणीया पूजा शर्मा राव जी की प्रहारक रचना में-
बाल कवियत्री ऋतु पंचाल की ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति पेश की है "मेरी धरोहर" ब्लॉग पर आदरणीया यशोदा अग्रवाल जी ने जोकि
अनेक सवालों को लेकर उपस्थित है -
हो गई हूँ, मैं जागरुक आज,
जान गई हूँ, स्वार्थी है ये समाज,
दोगले तर्कों से पूर्णतया संतप्त -
घर में दुख हो तो मेरी बदकिस्मती होती है!
अगर घर में आयें खुशियां,
तो क्यों नहीं मेरी खुश-किस्मती होती?
आज बस इतना ही।
आपके अनमोल सुझावों की प्रतीक्षा में।
फिर मिलेंगे।
शुभ प्रभात रवींद्र जी,
जवाब देंहटाएंनारी के सम्मान में प्रस्तुत की गयी आज के लिंकों का संयोजन अत्यंत ही सराहनीय है।बहुत ही उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन है। आदरणीय शिवपूजन सहाय जी की सार गर्भित पंक्तियों में ही सब कुछ कह दिया है आपने।
बधाई सभी रचनाकारों को और मेरी शुभकामनाएँ भी।
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंआभार...
सादर..
संतुलित सूत्र चयन .......
जवाब देंहटाएंझरोखा को मंच पर स्थान देने के लिये आभार आपका .....
सुन्दर पठनीय लिंक संकलन एवं बेहतरीन प्रस्तुतिकरण....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउषा स्वस्ति..
जवाब देंहटाएंनारी के प्रति सम्मान प्रस्तुत करती पठनीय सुंदर लिकों का चयन ..
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई
बेहतरीन प्रस्तुति..
आभार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर बभाई जी....दुर्गा अष्टमी की शुभकामनाएं....
जवाब देंहटाएंनायाब प्रस्तुति है आज की हलचल।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को साधुवाद।
नवरात्री अष्टमी के दिन नारी शक्ति को प्रणाम
जवाब देंहटाएंसभी रचनाये बहुत सुन्दर
निवेदिता जी की कविता बहुत पसंद आई | आज की वास्तविकता पंक्तियों में बहुत सुन्दर तरीके से पिरोया है |
शानदार अंक और शानदार प्रस्तुतियां। वाह
जवाब देंहटाएंआदरणीय रविंद्र जी प्रणाम एक तार्किक संकलन है आज का
जवाब देंहटाएंप्रत्येक रचना कुछ कहती है
अन्तः मानस में घुलती है
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति बधाई आपको इस अथक प्रयास हेतु
आभार ,"एकलव्य"