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सोमवार, 25 नवंबर 2019

1592 हम-क़दम का छियानबेवाँ अंक.... बेटियाँ

स्नेहिल अभिवादन
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सोमवारीय विशेषांक में आपसभी का हार्दिक अभिनंदन करती हूँ।

 "बिटिया"
 शब्द आते ही आँखों के सुसुप्त-जागृत परदों के पार मन को भावों की लहर धीरे से छू जाती है। एकदम निर्मल कल-कल,छल-छल,धाराओं सी पावन,चाँदनी-सी स्निग्ध,पुष्पों-सी कोमल अगाध स्नेह के
 ज्वार का प्रतिबिंब होती हैं बेटियाँ।
 बेशक बेटियों के लिए हमारे परिवार और समाज में हो रहे मंथर गति के परिवर्तन को महसूस किया जा सकता है।
  चंद पढ़े-लिखे,समझदार तबके में बेटियों की स्थिति में सुधार सामाजिक दृष्टिकोण से बेहद सुखद है। 

  पर दुःख होता है जब अपने शहर की बस्तियों में देखती हूँ एक बेटा की आस लिए तीन-चार-पाँच बेटियों की कतार लगाते हुये विपन्न और सुविधाओं से वंचित समाज के परिवारों को। बेटियों को दहेज के नाम पर प्रताड़ित होते हुये,कम पढ़ी लिखी लड़कियों को निरीह जानवरों से भी बदतर अपना जीवन व्यतीत करने पर मजबूर होते हुये। माँ-पिता की विविशता में अपनी बलि चढ़ाते हुये। 
  आज भी ऐसे परिवारों की संख्या ही ज्यादा है जो बेटों और बेटियों में स्पष्ट अंतर उंगलियों पर गिना देंगे।

मुझे लगता आज हम अभिवावकों को जागरूक होने की आवश्यकता है,बेटों और बेटियों में फर्क़ करने की बजाय एकसमान रुप से पालन करना और उन्हें आत्मसम्मान भरा जीवन देना हमारी ज़िम्मेदारी है।



बेटियों की प्रेरक उपलब्धियों से ज्यादा
उपेक्षित बेटियों का दर्द ,अनकही दास्तान नित आत्मा झकझोरती है।
नभ,अंतरिक्ष,धरा,नीर के कण-कण में पाँव छपछपाती कहानियोंं से ज्यादा अस्तित्वहीनता बेटी की कुहक हृदय मरोड़ती है।

★★★

बेटियों के संदर्भ में कविताएँ अनगिनत लिखी गयी हैं।

आज पढ़िये हमारे चिट्ठाजगत से चिरपरिचित रचनाकारों की अनमोल कृतियाँ-

★★★★★

आदरणीय साधना वैद
दिन भर तेरी धमाचौकड़ी, दीदी से झगड़ा करना,
बात-बात पर रोना धोना, बिना बात रूठे रहना,
मेरा माथा बहुत घुमाते, गुस्सा मुझको आता है,
लेकिन तेरा रोना सुन कर मन मेरा अकुलाता है !


आदरणीय आशा सक्सेना
जब पहला कदम रखा दुनिया में
ख़ुशी चारो ओर फैली
पहला शब्द माँ कहा मौसी हुई निहाल
क्यूँ न चूम लूं तुम्हें
तुमसी बिटिया  पा कर
दी बधाई तुम्हारी जननी को


आदरणीय उर्मिला सिंह
आज वही नन्ही गुड़िया
रिस्तों के प्यारे बंधन में 
पत्नि  माँ बहू बन, 
रिश्तों पर अपना प्यार लुटाती
जिसे हम सभी प्यार से कहते 
मेरी  बिटिया रानी!! 


आदरणीय सुजाता प्रिय
पेट में पलती बिटिया बोली-
मुझे न मारो माँ- पिताजी।

जनम लेते ही बिटिया बोली-
मुझे न फेको माँ-पिताजी।

दूध पीती बिटिया बोली-
गले लगा लो माँ-पिताजी।


आदरणीय कुसुम कोठारी
अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजे ।
प्रभु मुझ में ज्वाला भर दीजे,
बस  ऐसी  शक्ति  प्रभु  दीजे,
अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजे।
आंख उठे जो लिए बेशर्मी
उन आंखों से ज्योति छीन लूं ,



आदरणीय अनीता सैनी
खिलखिलाती हँसी से तुम्हारी, 
सुख हृदय में उभर आया,  
न्यौछावरकर जीवन अपना,  
यही पाठ है पढ़ाया,   
बिठूर की बिटिया-सा साहस सीने में,  
स्वाभिमान की चिंगारी है जलायी |


आदरणीय सुबोध सिन्हा
क ख ग घ ... ए बी सी डी ..
सब तो आपने मुझ बिटिया को
बहुत पढ़वाया ना पापा ?
अब "एक्स-वाई" भी तो
समझा दो ना पापा !
अगर भईया बना "वाई" से
वंश-बेल माना आपका
पर मुझ बिटिया में भी तो
है ही ना "एक्स" आपका
फिर मुझ से तथाकथित
मोक्ष क्यों नहीं पापा !???
पूछ रही है बिटिया ...

★★★★★


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उत्साह बढ़ाती हैं।

हमक़दम का अगला विषय
जानने के लिए कल का अंक अवश्य पढ़िये।

आज्ञा दीजिये।

#श्वेता


17 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति.... सुन्दर संकलन|

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर और बेहतरीन प्रस्तुति। सभी रचनाएँ काफी प्रभावशाली एवं सराहनीय।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। मेरी रचना को सोमवारीय विशेषांक में स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यबाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति, बेहतरीन रचनाएं। मैंने भी भेजी थी रचना,पर शायद मिली नहीं।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी अनुराधा जी आपकी रचना की प्रतीक्षा थी।

      हटाएं
  4. व्वाहहहह..
    शानदार संदर्भ अंक..
    सबको शुभकामनाएँ..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  5. दिल की पास होती हैं बेटियाँ

    अति सुंदर संकलन

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर रचनाएं बिटिया पर |
    बिटिया पर भिन्न विचार बहुत अच्छे लगे |
    आपकी पसंद बहुत अच्छी लगी |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर विचार और संवेदनशील,प्रगतिशील, दृष्टिकोण !

    जवाब देंहटाएं
  8. श्वेता आपकी भुमिका में लिखी पुरी प्रस्तुति की जितनी तारीफ करूं कम होगी, बहुत शसक्त ,सटीक और हृदयग्राही अभिव्यक्ति है ।
    बिटिया जैसे विषय पर इतनी कम रचनाएं देख मन हतोत्साहित हुवा, खैर जो आई हैं बहुत सुंदर, सटीक विषय को स्थापित करती अच्छी रचनाएं हैं सभी रचनाकारों को बधाई, मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह!!श्वेता ,सुंदर भूमिका ,शानदार रचनाएँ । सभी रचनाकारों को हार्दिक अभिनंदन ।

    जवाब देंहटाएं
  10. सुन्दर संकलन तथा आपकी प्रस्तुति भावों की अभिव्यक्ति
    सुन्दर है!

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही सुन्दर और सार्थक भूमिका लिखी है आपने प्रिय श्वेता दी
    सुन्दर संकलन में मुझे स्थान देने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया आप का
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत ही सुन्दर भूमिका, सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई
    मैंने भी रचना भेजी थी सखी पर यशोदा दीदी के मेल पर ।शायद आपको मिली नहीं।


    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुन्दर संकलन ! घर में विवाह समारोह था कल २५ तारीख को ! व्यस्तता के कारण देख नहीं पाई इसीलिये विलम्ब हुआ आने में ! क्षमाप्रार्थी हूँ ! मेरी रचना को इस संकलन में स्थान देने के लिये आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं

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