निवेदन।


फ़ॉलोअर

बुधवार, 29 अक्टूबर 2025

4555..कलियां खिल उठें ..

 प्रातःवंदन..

यह क्षण केवल पूजन का नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और आस्था के उदय का भी होता है।

क्षितिज पर जब लालिमा बिखरती है तब उदगमयी अर्घ्य का जल सूर्य की किरणों से आलोकित हो उठता है। चलिए छठ पर्व के समापन के साथ गोपाष्टमी की शुभ दिन के साथ लिंकों  पर नजर डाले..


मन पहले भी था पार प्रिये 

मन आज भी है चीत्कार प्रिये 

तुम कह दो तो संसार तजूं 

तुम कह दो तो मझधार चुनूं ..
✨️

न कहना सच है तुम्हें, इन्तज़ार क्या करते।

न सुननी बात हमारी, न दर्द ही सुनना ,

गुहार आप से हम बार बार क्या करते।..
✨️
 हड़बां 


पंजाबी भाषा दा इक पुट्ठा लफ़्ज़ हड़ब, 

पुट्ठा ही तो हुआ अगर यह किसी को परेशान कर दे, 

जबड़े की कहें या गाल की हड़्डी उसे कहते हैं हड़ब…

दोनों तरफ़ की जब हो बात तो हड़ब से बन गया हड़बां…
✨️
जब हृदय वाटिका में गूंजे पदचाप तुम्हारे
टहनियां पुष्प की लचक अदाएं दिखलाती
कलियां खिल उठें मंद पवन सुगंधित चले
धमनियों में दौड़ पड़ो अलमस्त सी इठलाती..
✨️
पम्मी सिंह ' तृप्‍ति '..✍️

4 टिप्‍पणियां:

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...