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बुधवार, 15 अक्टूबर 2025

4541 ..ग़ज़ब की अप्सरा जब आई क़रीब करंट सा मुझ को सहसा लगा

 सादर नमस्कार

सभी के पास है काम
कोई भी बेकार नहीं है
आज पम्मी बहल भूल गई
साफ-सफाई की थकावट
का भी अपना वजूद होता है
चलिए चलें
आनन फानन प्रस्तुति का
आस्वादन करें...



मैं जिससे निकला हूँ,
असहज हूँ उससे,
कहाँ मैं कमल,
कहाँ वह कीचड़,
मैं ख़ुशबू से सराबोर,
वह बदबूदार।
कोई मेल नहीं
मेरा और उसका,





घर-घर के द्वार पर
मंदिर के निकट
अल्पना में अंकित
शुभ श्री चरण ..
माँ लक्ष्मी के माथे पर
दमकता पूर्ण चंद्र




रजनी के लघु-लघु तम कन में
जगती की ऊष्मा के वन में
उसपर परते तुहिन सघन में
छिप, मुझसे डरने वाले को?




ग़ज़ब की अप्सरा जब आई क़रीब
करंट सा मुझ को सहसा लगा

कहीं एच वन का चक्कर या हनीट्रैप तो नहीं
शक़-ओ-शुबह का ताँता लगा

आज बस
फिर मिलते हैं न

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर रचनाएं चुनी गई मेरे द्वारा
    बधाइ पम्मी बहन को
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर संयोजन। मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. आज की प्रस्तुतिकरण और भी खास बन गई।
    चयनित रचनाकारो को बधाई।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात!! अभिनव रचनाओं का सुंदर प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  5. आनन-फानन अंक में स्थान देने के लिए हार्दिक आभार, दिग्विजय जी । अलहदा अंदाज़ और जयशंकर प्रसाद जी की रचना ईनाम !

    जवाब देंहटाएं

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