कितनी आंखों को आज भी
है क्षितिज में उभरती
हुई हल्की रौशनी
की तलाश,
न जाने
कितने
ही
दिलों में हैं बाक़ी आज भी एक
ख़ूबसूरत दीवाली की आस,
मिलते हैं अगले अंक में।
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें
आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।
टिप्पणीकारों से निवेदन
1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंस्थिर चित्त संयोजन
वंदन
सुंदर संकलन !
जवाब देंहटाएंदीप पर्व शुभ हो मंगलमय हो सभी के लिए | आभार श्वेता |
जवाब देंहटाएंसूचना में 22 /10 /2025 दिया गया है |
हटाएंजी सर थोड़ी देर में कर देंगे भूल सुधार।
हटाएंआभारी हूॅं सर।
सुंदर अंक.आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं