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गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025

4528...एक दिन… यह धीरे-धीरे यूँ ही मर जाएगा...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया मीना भारद्वाज जी की रचना से।

सादर अभिवादन।

चित्र साभार: गूगल 

चित्र साभार: गूगल 

चित्र साभार: गूगल 

*****
           आज दशहरा पर्व और गांधी-शास्त्री जी जयंती है। असत्य पर सत्य की विजय का दिवस विजयदशमी देशभर में हर्षोलास के साथ मनाया जाता है। भारत में त्योहार सांस्कृतिक समृद्धि के प्रतीक हैं,इनकी गरिमा बनाए रखना समाज का दायित्व है।    

         सत्य, सादगी और शालीनता के लिए विख्यात दो महान हस्तियाँ मोहनदास करमचंद गांधी जी व लाल बहादुर शास्त्री जी को उनकी जयंती पर देश कृतज्ञ भाव से स्मरण कर रहा है। हमारी ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित हैं। 

दशहरा पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ।   

गुरुवारीय अंक में पढ़िए ब्लॉगर डॉट कॉम पर प्रकाशित ताज़ा रचनाएँ-

 मनःस्थिति

और..,

बहुत सारी बातें किसी शेल्फ़ में रखे

सामान की तरह

गर्द की परतों तले दब कर

समय के साथ

अर्थहीन होती चली जाएँगी।

*****

देवी माँ

न निर्णय ले

न संदेह से भरे

बस थम जाये

और पहुँच जाये उस अनंत में

जो आधार है सृष्टि का!

*****

प्रभु श्री राम का कोदंड धनुष

कांधे सज कोदंड दंड दे, दुष्टों का संहार करे

धर्मयुद्ध में सत्य जिताकर, अभिमानी पर वार करे

तीरों ने जिस तन को बेधा, उसको अमर बनाए थे

मर्यादा ने मर्यादा रख, अद्भुत अस्त्र उठाए थे

*****

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवनी - लेख

गांधीजी के विचार और सिद्धांत

महात्मा गांधी ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण सिद्धांत अपनाए, जिनसे उन्होंने पूरे विश्व को प्रेरित किया।

1. सत्य (Truth) – उनके लिए सत्य ही ईश्वर था।

2. अहिंसा (Non-violence) – उनका मानना था कि हिंसा से स्थायी समाधान संभव नहीं है।

3. सत्याग्रह (Satyagraha) – अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रतिरोध।

4. सादा जीवन, उच्च विचार विलासिता से दूर रहकर आत्मसंयम।

5. स्वदेशी विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार और देशी वस्तुओं का प्रयोग।

6. सर्व धर्म समभाव सभी धर्मों को समान मानना और उनके मूल्यों का सम्मान करना।

*****

बिगड़ती विश्व-व्यवस्था और संयुक्त राष्ट्र

यह सब उनके निजी विचार हैं या अमेरिकी जन-मानस भी ऐसा ही सोचता है, यह जानने का कोई तरीका नहीं है, पर इसके गहरे निहितार्थ हैं. उन्होंने साझा मानवता के विचार को नकार दिया है और संप्रभु राज्यों के दायरे से परे अंतर्राष्ट्रीय समाज की अवधारणा को खारिज कर दिया है.

इस प्रकारउन्होंने मानवाधिकारों या पर्यावरण की रक्षा के कर्तव्य जैसी अवधारणाओं की नींव को कमजोर किया हैजिस पर पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणी निर्भर हैं. ये अवधारणाएँ संप्रभु राज्य की संकीर्ण प्राथमिकताओं से परे संबंधों पर आधारित हैं.

*****

फिर मिलेंगे।

रवीन्द्र सिंह यादव

 

4 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात! विजयदशमी के अवसर पर सभी को शुभकामनाएँ, सार्थक भूमिका और सराहनीय रचनाओं का संकलन! आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. गांधी जयंती एवं लाल बहादुर शास्त्री जयंती की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐♥️🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन सूत्रों और सार्थक भूमिका के साथ सजी सुंदर प्रस्तुति में सम्मिलित करने हेतु सादर आभार सहित बहुत-बहुत धन्यवाद ।सभी को विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रतीक्षा कर रहे हैं
    कब मरे और बड़ै खाने को मिले
    वंदन

    जवाब देंहटाएं

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