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मंगलवार, 14 अक्टूबर 2025

4540.... गिरकर उठते वीर...

 मंगलवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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घर-घर में दीपावली की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही है। अपने घरों की साफ-सफाई करने में,सभी अपना घर आँगन सबसे सुंदर बनाने में लगे हैं।तो चलिए हम सब
मन के उलझे जाले साफ करें
हृदय भर स्वच्छ विचारों से,
अंतर्मन.का पुनः आकलन करें
भरा है जो मन तम अँधियारा,
उम्मीद के तेल का दीपक जला
मन के आँगन मे उजियारा भरें।
आओ इस दीवाली कुछ नया करें।
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दीपों का त्योहार आप सभी के जीवन में 
शुभता की उजास फैलाये-
शुभ्र,सत्य और मानवता की विजय हो
स्वार्थ,असत्य,कलुषिता क्रमशः क्षय हो
इक देहरी भी मुस्कान दीप जला पाऊँ
कर्म यह सार्थक दीपावली मंगलमय हो।
आज की रचनाऍं-


और मैं…
खिड़की के पास बैठा
कॉफ़ी की भाप में सुकून ढूँढता हूँ,
सोचता हूँ,
कितना अजीब होता है ये मौसम —
कुछ लौटाता नहीं,
पर सारे लम्हें
संजोये बैठा रहता है ... 




एक गर्भनाल से

 बाँध कर रखती रही है 

 हमें..,

जब से तुम्हारे समय की गठरी की

 गाँठ खुली है 

हम एक-दूसरे के लिए अजनबी

 से हो गए हैं





ठोकर से डरना नहीं, गिरकर उठते वीर ।
  करते रहो प्रयास नित, रखना मन मे धीर ।।

4. पथबाधा को देखकर, होना नहीं उदास ।
   सच्ची निष्ठा से सदा, करते रहो प्रयास ।



आत्मज्योति में भी सात गुण छिपे हैं 

कभी प्रेम का लाल रंग 

मुखर हो उठता है चिदाकाश में 

जब भावनाओं के श्वेत निर्मल मेघ 

उमड़ते घुमड़ते हैं 

कभी शांति का नीलवर्ण 

शक्ति का केसरिया भी है यहाँ 

और ज्ञान का पीतवर्ण भी



शायद इंद्र का व्यवहार पहले भी ऐसा ही रहता होगा तभी ऋषि मुनियों के साथ देवताओं से भी उनकी खटपट चलती रहती थी। इसलिए इस साल कांस के फूलों को बारिश की फुहारों के बीच लहराते रहना पड़ा। वो तो अपने समय से फूले पर इस बार बारिश की विदाई के लिए नहीं पर उनके द्वारा लाई हरितिमा के साथ कदम ताल करने के लिए।




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आज के लिए इतना ही 
मिलते हैं अगले अंक में।

8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    बेहतरीन अंक
    आभार
    सादर वंदन

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ्र,सत्य और मानवता की विजय हो
    स्वार्थ,असत्य,कलुषिता क्रमशः क्षय हो
    सुन्दर शुभेच्छाओं से सम्पन्न सुन्दर सूत्रों से सजे अंक में सम्मिलित करने हेतु हार्दिक धन्यवाद श्वेता जी !

    जवाब देंहटाएं
  3. उम्मीद के तेल का दीपक जला
    मन के आँगन मे उजियारा भरें।
    आओ इस दीवाली कुछ नया करें।

    वाह, कितने सकारात्मक भावों से आपने दीपों के इस पर्व का स्वागत किया है, पठनीय रचनाओं से सजी सुंदर प्रस्तुति, आभार श्वेता जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब प्रस्तुति
    मेरी रचना साझा करने के लिए सस्नेह आभार एवं धन्यवाद प्रिय श्वेता !
    चलिए हम सब
    मन के उलझे जाले साफ करें
    हृदय भर स्वच्छ विचारों से,
    अंतर्मन.का पुनः आकलन करें
    भरा है जो मन तम अँधियारा,
    उम्मीद के तेल का दीपक जला
    मन के आँगन मे उजियारा भरें।
    आओ इस दीवाली कुछ नया करें।
    सही कहा इस दीवाली मन का अंधियारा मिटायें।

    जवाब देंहटाएं
  5. धन्यवाद मेरे कांस के फूलों से जुड़े आलेख को यहां स्थान देने के लिए🙏

    जवाब देंहटाएं

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