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रविवार, 5 अक्टूबर 2025

4531 ...अगर मैं कुत्ता होता तो.. क्या वफादार होता ?

 सादर नमस्कार

रविवार को फिर
ज़िन्दगी है जब तक तू जीवित है फ़िज़ा
मरकर भी क्या कोई जी सका है यहाँ !!

चलिए चलें





मधुर तृप्ति का भाव जगा जो
अतृप्ति का भी घाव लगा जो,
चैन और बेचैनी उर की
तेरे चरणों पर रखते हैं !

शांति औ' आनंद की मूरत
देवी ! तू अज्ञान को हरे,
तू ही भरे रंग माया के
हर वर माथे पर धरते हैं !






निर्वस्त्र हुए वृक्षों पर
पक्षियों के रहस्य और
हैं धमनियों के जाल;


टूटे,झरे,निराशा के ठूंठ पर
नन्हीं,कोमल,आशाओं से भरी
पत्ती मुस्कुराती है;
नारंगी भोर कुलांचे भरकर
टहक सांझ में बदल जाती है।





पुलकों  में  समाविष्ट   मन  की   हलचल  का   तार
अंतर्मन  को   जो   संदेशा  भेजता  बार  - बार
परिधि  में  बंध   एक   फेनिल  सा  उजास
ज्यों - ज्यों  मथ ता  जाता  दूषित  अंधियारा
मिट  गह्वर  में  भी  प्रकाश  तब  नजर  आता
अभिमान  में  रत  भूला  फिर  वापस  अपने  घर  को  आता




कुत्ता होता मैं
धोबी का छोड़ कर किसी का भी होता
कहते हैं कुत्ता वफादार होता है
अगर मैं कुत्ता होता तो..
क्या वफादार होता ?
ये अलग प्रश्न है





कल रावण मेरे सपने में आया
परेशान था और झल्लाया
बोले में रावण हूं
दुनिया में नंबर वन हूं
मेरे पास अतुलित दौलत है
बाहुबली हूं ,मुझ में ताकत है
कोई मुझसे मेरे हथियारों के कारण डरता है 
कोई मुझसे मेरे स्वर्ण भंडारों के कारण डरता है






खेल ज़िंदगी के तुम खेलते रहो यारों
हार जीत कोई भी आखिरी नहीं होती

बस कल फिर

6 टिप्‍पणियां:

  1. खेल ज़िंदगी के तुम खेलते रहो यारों
    हार जीत कोई भी आखिरी नहीं होती

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन रचनाओ से सुसज्जित अंक 🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात!! पठनीय अंक, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. खेल ज़िंदगी के तुम खेलते रहो यारों
    हार जीत कोई भी आखिरी नहीं होती
    बहुत ही प्रेरक संदेश , सुंदर अंक ।

    जवाब देंहटाएं

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