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शुक्रवार, 29 अगस्त 2025

4495....तकदीर में क्या है ख़ुदा जाने

शुक्रवारीय अंक में 
आप सभी का हार्दिक अभिनंदन।
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शब्द सम्हारे बोलिये, शब्द के हाथ न पाँव।
एक शब्द औषधि करे, एक शब्द करे घाव
कबीरदास जी कहते है-
बोले गए शब्द एक दवा की तरह काम करते हैं, जो सुनने वाले के मन को शांति और सुकून दे सकते है, और उसी समय, एक शब्द किसी घाव की तरह भी हो सकता है, 
जो किसी के मन को चोट पहुँचा सकता है।  हमें अपनी वाणी और शब्दों का प्रयोग सोच-समझकर करना
चाहिए।शब्दों में बहुत बड़ी शक्ति होती है। वे दिल से निकलकर कहीं भी पहुँच सकते हैं, और उनके असर से किसी का भला या बुरा हो सकता है। 

कागा का को धन हरे, कोयल का को देय।

मीठे वचन सुना के, जग अपना कर लेय ||

कबीरदास जी कहते हैं कि कौआ न किसी का धन हरता है और न कोयल किसी को धन देती है, फिर भी कोयल के मीठे वचन उसे प्रिय बना देते हैं, जबकि कौए की कर्कश आवाज उसे अप्रिय बनाती है। 



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आज की रचनाएँ-


उन फ़ाइलों के पासवर्ड हटाइए,
जिन्हें छिपाना ज़रूरी नहीं है
और जिन्हें छिपाना ज़रूरी है,
उनके पासवर्ड भी ऐसे हों
कि कम-से-कम आप खोल सकें
उन फ़ाइलों को आसानी से।


हर
चीज़ की है मुकर्रर ख़त्म होने की तारीख़,
मैंने तो अदा की है ज़िन्दगी को इक
अदद महसूल, तक़दीर में क्या
है ख़ुदा जाने, उम्र भर का
हिसाब मांगते हैं मेरे
चाहने वाले, तर्क
ए ताल्लुक़
के हैं
हज़ार बहाने


खोज करने पर पता चला कि यूट्यूब पर अपलोड हुआ दूसरा वीडियो 'माई स्नोबोर्डिंग स्किल्ज़' नाम का है ! इसमें एक व्यक्ति रैंप पर स्नोबोर्डिंग करने की कोशिश करता है पर असफल हो जाता है। असफलता इस मायने में भी क्योंकि यह करीम के 'मी एट द ज़ू' वीडियो के कुछ घंटों बाद ही अपलोड किया गया था, समय ने इसे प्रथम अपलोड वीडियो होने से रोक, ख्याति से दूर कर, नंबर दो के अभिशाप के साथ अज्ञातवास में धकेल दिया ! 



वे रो रहे थे। सुबक सुबक। उनको ठीक से रोना भी नहीं आता। शायद, कभी सीखे नहीं होंगे, वरना तो लोग आजकल वगैर संवेदना के भी दहाड़ मार कर रोते है। महिला तो खैर इसमें परांगत होती है।

वहीं बैठे एक बुजुर्ग पंडित जी ने बड़े ही तल्ख अंदाज में गूढ़ ज्ञान दिए।
"चुप रहो पंत जी। ई मोह माया में आत्मा नै फंसाहो! नै तो ऊ माया में पड़के यहां से नै जाय ले चाहथुन! उनखा माया मोह त्याग के जाय दहो।"



कई वर्षों तक बरसात न होने की वजह से अनाज पैदा नहीं हुआ था। जिसके पास बचत में अनाज था, उससे काम चलाया, लेकिन बचत वाला अनाज कितने दिन काम आता। लोगों के घरों में अनाज ही नहीं रह गया। भूखे मरने की नौबत आ गई, तो नारायण सिंह ने उस इलाके के अमीर व्यापारी माखन से गरीबों को अनाज देने को कहा, लेकिन उसने मना कर दिया। उन्होंने व्यापारी का अनाज गोदाम लुटवा दिया। 

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आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
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