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बुधवार, 13 अगस्त 2025

4479..गीत रचने लगे ..

।।प्रातःवंदन।।

 कितना स्पष्ट होता आगे बढ़ते जाने का मतलब

अगर दसों दिशाएँ हमारे सामने होतीं,

हमारे चारों ओर नहीं।

कितना आसान होता चलते चले जाना

यदि केवल हम चलते होते

बाक़ी सब रुका होता।

कुँवर नारायण 

इसी वैचारिक पंक्तियों के साथ आज बुधवारिय प्रस्तुतिकरण को आगे बढाते हुए..✍️

यह धरती केवल मनुष्यों का नहीं है..

यह धरती केवल मनुष्यों की नहीं, बल्कि जानवरों, पेड़-पौधों और सभी जीवों की साझा संपत्ति है। हाल ही में दिल्ली की गलियों से कुत्तों को हटाकर उन्हें कैद करने का निर्णय सामने आया।

✨️

जुगलबंदी

 लय में बंधी रहोगी धुन में बंधी रहोगी

संगीत जीवन का दिया तुम्हारा सानिध्य

गीत रचने लगे भाव रंग-रंग के खिलें 

होता है ऐसा ही मन का मन से आतिथ्य..

✨️

ज़िंदगी एक ग़ज़ल होती है ...

 जन्मदिन पर दोस्तों की दुआएं हों,

और अपनों का साथ हो,

तो ज़िंदगी एक ग़ज़ल होती है।..

✨️

नौकरी करने वाली महिलाओं की समस्याएँ

आज की सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था में यह एक बहुत ही ज्वलंत समस्या है ! यह एक निर्मम यथार्थ है कि नौकरी करने वाली कामकाजी महिलाओं पर दोहरी ज़िम्मेदारी होती है और उन्हें घर की जिम्मेदारियों के साथ..

✨️

बिम्ब के उस पार - -


अबूझ मन खोजता है जाने किसे प्रतिबिम्ब के उस पार, गिरते संभलते रात को खोलना

है सुबह का सिंह द्वार, परछाइयों

का नृत्य चलता रहता है उम्र

भर, दरख़्तों से चाँदनी

उतरती है लिए संग

अपने हरसिंगार,

।।इति शम।।

धन्यवाद 

पम्मी सिंह ' तृप्ति '..✍️


2 टिप्‍पणियां:

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