निवेदन।


फ़ॉलोअर

गुरुवार, 14 अगस्त 2025

4480...सिद्ध होगी तब सच्ची स्वतंत्रता...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया नूपुरमं जी की रचना से।

सादर अभिवादन।

आइए पढ़ते हैं गुरुवारीय अंक की पाँच रचनाएँ-

झंडा ऊँचा रहे हमारा

सिद्ध होगी तब सच्ची स्वतंत्रता

जब हिंदुस्तान का हर एक बच्चा

सङकों पर बेचता ना भटकेगा

गर्व से स्कूल में फहराएगा तिरंगा!

*****

ईश्वर से

ईश्वर,

अपने विवेक का इस्तेमाल करना,

अपनी स्तुति पर मत रीझना,

प्रार्थना से मत पिघलना,

ज़रूरत से थोड़ा कम देना,

बस उतना ही

कि मैं छीन न सकूँ

किसी और का हक़,

बना रहूँ मनुष्य।

*****

प्रकृति के सान्निध्य में

हरियाली से भरे झुरमुट

और पंछियों के कलरव में

एक सुंदर कविता से आगाज़ हुआ

हर दिल में सुकून जागा

और कुदरत के साथ होने का अहसास हुआ!

*****

पहाड़ गीत

वन सघनों की हरियाली,

जितना मन बहलाती है,

गाड़ गदनों की कल-कल छल-छल,

जितना मन को भाती हैं,

मर्म इनके जानने हैं तो

उकाळ उंदार नापना होता।

*****

दरार- एक लघुकथा

दरवाज़े पर पहुँच कर असलम ने कॉल बेल का बटन दबा दिया! विशाल ने ही दरवाज़ा खोला! माथे पर तिलक और कलाई पर सुन्दर सी राखी जगमगा रही थी!
अरे, राखी बँध भी गई? मुझे आने में देर हो गई क्या?” असलम ने अपनी मायूसी को छिपाते हुए परिहास करते हुए कहा!
कहाँ है प्रतिभा? जल्दी से बुला लो उसे! मुझे भी बाँध दे राखी! आज अम्मी को नर्सिंग होम ले जाना है दिखाने के लिए!

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

 

6 टिप्‍पणियां:

  1. वन सघनों की हरियाली,
    जितना मन बहलाती है,
    गाड़ गदनों की कल-कल छल-छल,
    जितना मन को भाती हैं,
    सुंदर अंक
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय सर, सादर प्रणाम। इतनी सुन्दर और सामयिक प्रस्तुति पढ़ कर आनंदित हूं। "ईश्वर से" यही प्रार्थना है कि" झंडा ऊंचा रहे हमारा" और धर्म के नाम पर संबंधों में कभी "दरार" न आए। हम सब सदैव " प्रकृति के सानिध्य में" "पहाड़ गीत" का आनंद लेते रहें। इस भावपूर्ण और प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार एवं पुनः प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात! सुंदर रचनाओं का संयोजन, टिप्पणियाँ भी शानदार हैं, 'मन पाये विश्राम जहाँ' को स्थान देने हेतु हृदय से आभार रवींद्र जी!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर संकलन रवींद्र जी..कहीं प्रकृति की खुली हवा में बसने की बात...कहीं रिश्तों को पुख़्ता करने की कोशिश..स्वतंत्रता के विभिन्न पहलू, स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर ! रचना सम्मिलित करने के लिए और बेहतरीन पढ़ने का सामान जुटाने के लिए हार्दिक आभार। सभी को शुभकामनाएं..वंदे मातरम..

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...