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शुक्रवार, 15 अगस्त 2025

4481...स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ

शुक्रवारीय अंक में 
आप सभी का हार्दिक अभिनंदन।
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नकारात्मकता के इस दौर में
आज के शुभ एवं पावन 
 दिवस पर विशेष 
अनुभूति करवाने
 और सकारात्मक संदेश देने का प्रयास। 
 

स्वतंत्रता दिवस की 79वें उत्सव पर्व पर
आइये कुछ बेशकीमती स्मृतियों का 
पुनरावलोकन करें।
 सदैव प्रथम नमन
क्या हस्ती थे वो,मिट कर मुस्कुराते रहे,
उम्र थी रंगीन, वतन से इश्क लड़ाते रहे।
कुर्बानी भुला न देना उन शहीदों की देखो,
वजह थे वो, हम आज़ादी के नग्मेंं गाते रहे।

अरुण यह मधुमय देश हमारा (जयशंकर प्रसाद)



अरुण यह मधुमय देश हमारा।
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।।
सरल तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरुशिखा मनोहर।
छिटका जीवन हरियाली पर, मंगल कुंकुम सारा।।
लघु सुरधनु से पंख पसारे, शीतल मलय समीर सहारे।
उड़ते खग जिस ओर मुँह किए, समझ नीड़ निज प्यारा।।
बरसाती आँखों के बादल, बनते जहाँ भरे करुणा जल।
लहरें टकरातीं अनन्त की, पाकर जहाँ किनारा।।
हेम कुम्भ ले उषा सवेरे, भरती ढुलकाती सुख मेरे।
मंदिर ऊँघते रहते जब, जगकर रजनी भर तारा।।


सैनिक (हरिवंश राय बच्चन)


कटी न थी गुलाम लौह श्रृंखला,
स्वतंत्र हो कदम न चार था चला,
कि एक आ खड़ी हुई नई बला,
परंतु वीर हार मानते कभी?

निहत्थ एक जंग तुम अभी लड़े,
कृपाण अब निकाल कर हुए खड़े,
फ़तह तिरंग आज क्यों न फिर गड़े,
जगत प्रसिद्ध, शूर सिद्ध तुम सभी।

जवान हिंद के अडिग रहो डटे,
न जब तलक निशान शत्रु का हटे,
हज़ार शीश एक ठौर पर कटे,
ज़मीन रक्त-रुंड-मुंड से पटे,
तजो न सूचिकाग्र भूमि-भाग भी।

हमने सुना था एक है भारत




आजादी (राम प्रसाद बिस्मिल)


इलाही ख़ैर! वो हरदम नई बेदाद करते हैं,
हमें तोहमत लगाते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं
कभी आज़ाद करते हैं, कभी बेदाद करते हैं
मगर इस पर भी हम सौ जी से उनको याद करते हैं
असीराने-क़फ़स से काश, यह सैयाद कह देता
रहो आज़ाद होकर, हम तुम्हें आज़ाद करते हैं
रहा करता है अहले-ग़म को क्या-क्या इंतज़ार इसका
कि देखें वो दिले-नाशाद को कब शाद करते हैं
यह कह-कहकर बसर की, उम्र हमने कै़दे-उल्फ़त में
वो अब आज़ाद करते हैं, वो अब आज़ाद करते हैं।

सितम ऐसा नहीं देखा, जफ़ा ऐसी नहीं देखी,
वो चुप रहने को कहते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं
यह बात अच्छी नहीं होती, यह बात अच्छी नहीं करते
हमें बेकस समझकर आप क्यों बरबाद करते हैं?
कोई बिस्मिल बनाता है, जो मक़तल में हमें ‘बिस्मिल’
तो हम डरकर दबी आवाज़ से फ़रियाद करते हैं।





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आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
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7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुतै सुंदर अंक
    सादर वंदना

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह लाजवाब प्रस्तुति
    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर और सार्थक अंक । सभी को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर और सार्थक अंक 🙏🇮🇳. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सभी रचनाकारों एवं पाठकों को 🙏

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. लाजवाब अंक | 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे सारे स्वतंत्र लोगों को स्वतंत्रता की मंगलकामनाएं |

      हटाएं
  6. देशभक्ति के रंग में रंगी, आज़ादी की वर्षगाँठ पर सुंदर प्रस्तुति !

    जवाब देंहटाएं

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