ख़र्च तेरी रातों पर अपनी ज़िंदगी करते
हम चराग़ होते तो हम भी रौशनी करते
अक़्ल की अदालत में दिल की कौन सुनता है
हम तो हार बैठे हैं इस की पैरवी करते
और भी है... वो भी आएगा पर शैनेः शैनेः
रिश्तों के बंधन है
और ढेरों संस्कार
स्नेह बंधन है जुड़े
और मर्यादा के तार ।
ख्वाब है ढेरों
उम्मीदों की लंबी कतार
चल रही है जिंदगी
लेकर इनके भार ।
कुत्तों से नफरत करने वाले
ज्योतिष शास्त्र कहता है कि कुत्ता पालने से ये ग्रह शांत रहते हैं-
शनि और राहु, केतु ग्रहों को शांत रखने के लिए सबसे अच्छा उपाय घर में कुत्ता पालना बताया गया है. ज्योतिष शास्त्र में ये भी पढ़ने को मिलता है कि यदि आप काले रंग का कुत्ता घर में पालते हैं तो इससे सभी ग्रह शांत रहेंगे. काला कुत्ता घर की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने में और घर को बुरी नज़र से बचाने में भी बहुत फायदेमंद होता है. इसके अलावा कुत्ता पालने से शनि और केतु ग्रह शांत होते हैं और अच्छा फल देते हैं.
(कहानी के कुछ प्रसंग एडल्ट की श्रेणी के हैं । कृपया बच्चे या किशोर इसे न पढ़ें ।)
छि ... तुम इतने गिरे हुए हो सकते हो . मुझे पता ही नहीं था . मेरी अब्सेंस में तुम सुनीता के साथ ऐयाशी कर रहे हो ?
माधव कुसुम के पीछे पीछे सॉरी , प्लीज़ प्लीज़ कहता घूम रहा है . पर वो कुसुम को कुछ भी समझा नहीं पा रहा है . कुसुम दरवाज़ा खोल के बाहर आ जाती है . सुनीता के इनर वियर लाकर उसके मुंह पर फेंकती है. बदतमीज़ तुम्हे शर्म नहीं आई ये सब करते हुए ? खुद को मालकिन समझ बैठी मेरे न रहने पर . सुनीता रोये जा रही थी . उसके पास अपनी सफाई में कुछ भी कहने सुनने के लिए बचा नहीं था .
कुसुम बाबु का हाँथ पकड़ कर अपना सामान लेकर घर से बाहर निकल जाती है . माधव उसके पीछे पीछे बाहर तक आता है . पर कुसुम के सर पर गुस्सा सवार था . और वह चली जाती है . कुसुम के बाद सुनीता उन्ही कपड़ों में खाना बनाना बीच में छोड़ कर बाहर चली जाती है . माधव सर पकड़ के लिविंग एरिया में बैठ जाता है .
आदि कथा
लेकिन ऋषि ने लज्जावती की एक न सुनी। लज्जावती ने फिर से विनती कि आप अपना शाप वापस ले लीजिए। मान जाइये। लेकिन ऋषि टस से मस न हुए। लज्जावती को क्रोध आ गया। क्रोध भरी वाणी में उसने ऋषि से कहा कि अगर आप हठ नहीं छोड़ते तो मेरा भी प्रण है कि मैं सूरज ही नहीं निकलने दूँगी। ऐसा कहकर लज्जावती कंधे पर अपने पति को लटकाए एक पैर पर खड़ी हो गई। उस पतिव्रता की शक्ति के सामने भगवान भास्कर असहाय हो गए। सारे जगत में त्राहिमाम मच गया। अंत में स्वयं ब्रह्मा ने लज्जावती से निवेदन किया कि वो अपनी जिद छोड़ दे। लेकिन लज्जावती ने कहा कि अगर सूरज निकलने देती हूँ तो मेरे पति के प्राणों का क्या होगा? तब ब्रह्मा ने कहा कि

हे देवी मैं तुम्हें वचन देता हूँ कि सूरज निकलने से तेरे पति के प्राण निकलने पर मैं उसे जीवित भी करूंगा और उसे स्वस्थ भी कर दूँगा। अब तू अपनी जिद छोड़ दे। ब्रह्मा के आश्वासन पर लज्जावती ने अपनी शक्ति वापस ले ली और सूरज फिर से निकल आया। लज्जावती का पति मरने के बाद जीवित हो उठा। लेकिन पूरी तरह स्वस्थ और पहले से अधिक सुंदर और आकर्षक पुरुष के रूप में। लज्जावती के पति को भी अपनी भूल का ज्ञान हुआ इसलिए उसने अपनी पत्नी से क्षमा माँगी। अपने पति को पुनः पाकर लज्जावती की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी।
आज बस
सादर वंदन
अक़्ल की अदालत में
जवाब देंहटाएंदिल की कौन सुनता है
सुंदर,
आभार
बजे
जवाब देंहटाएंआदरणीय मेम, मेरी लिखी रचना को इस गरिमामय मंच में स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद ।
इस अंक में सम्मिलित सभी रचनाएं बहुत ही उम्दा है , सभी आदरणीय को बधाइयां ।
सादर ।
सभी रचनाएं बहुत सुन्दर हैं
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर
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