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शुक्रवार, 22 सितंबर 2023

3888....इंसान परेशान बहुत है

शुक्रवार अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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आज के दिन की शुरुआत करते हैं एक छोटी सी
कहानी से जो मैंने अपने पापा से सुनी थी-
एक बार की बात है सर्दियों के दिन थे, ठंड बहुत ज्यादा थी। एक नन्हीं चिड़िया खाने की तलाश में उड़ती हुई दूसरे प्रदेश जा रही थी परंतु अत्यधिक ठंड के कारण उसका खून जमने लगा और वह एक मैदान में गिर पड़ी। वहाँ घास खाती एक गाय ने उस चिड़िया पर गोबर कर दिया। गोबर की गर्मी ने चिड़िया को सुकून से भर दिया और वह खुश होकर जोर-ज़ोर से गाने लगी। तभी  वहाँ से एक बिल्ली गुज़र रही थी चिड़िया की गाने की आवाज़ सुनकर वह ठिठक गयी और ध्यान से सुनने लगी चिड़िया की आवाज़ कहाँ से आ रही है, उसने गोबर के ढ़ेर को हटाया और चिड़िया को बाहर निकाला और खा गयी।
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि
आपके ऊपर गंदगी फेंकने वाला हर कोई आपका दुश्मन नहीं होता और 
आपको.गंदगी से निकालने वाला हर व्यक्ति आपका दोस्त नहीं होता।
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आइये अब आज की रचनाओं का आस्वादन करें-



उसके हिस्से में
पांव के नीचे की ज़मीन
ही तो मिली थी
इस ज़मीन पर
सदाबहार के पेड़ उगाने लगा
सफेद,बैगनी और हल्के लाल रंगों में
अपने प्यार को महसूसता 
और फुरसत के क्षणों में
कच्ची परछी में बैठकर
प्यार से बतियाते हुए
मुस्कराने लगा

शुचि रजत बिछा हुआ यहाँ वहाँ सभी दिशा।
चाँदनी लगे टहल-टहल रही  समंग से।।

वो किरण लुभा रही चढ़ी गुबंद पर वहाँ।
दौड़ती समीर है सवार हो पमंग से।।

रूप है अनूप चारु रम्य है निसर्ग भी ।
दृश्य ज्यों अतुल दिखा रही नटी तमंग से।।



बंद हो गई चिट्ठी, पत्री।

फोनों पर पैगाम बहुत है।।


आदी हैं ए.सी. के इतने।

कहते बाहर तापमान बहुत है।।


झुके-झुके स्कूली बच्चे।

बस्तों में सामान बहुत है।।


हां, यहीं बसी रहती हैं ये चीजें, 
और सबसे पहले इसी हृदय को तोड़ती हैं,
फिर पैरासाइट की तरह खाती रहती हैं देह
तुम्हारे रक्त-चाप को बढ़ाती-घटाती, 
कभी सांसों की गति तेज करतीं, कभी रोक देतीं
कभी लगता प्राण देतीं, कभी लगता घात
इन्हें हृदय में रखने से मिलता सिर्फ अवसाद. 

और चलते-चलते
प्रतिभा,दृढ संकल्प, निरंतर लगन और ईमानदारी से किया कर्म अपना यथोचित सम्मान प्राप्त कर ही लेते हैं



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आज के लिए इतना ही
कल का विशेष अंक लेकर आ रही हैं
प्रिय विभा दी।

5 टिप्‍पणियां:

  1. जी ! .. सुप्रभातम् सह नमन संग आभार आपका .. मेरी बतकही को इस मंच पर अपनी आज की प्रस्तुति में मेरी बतकही को स्थान प्रदान करने हेतु .. हर बार की तरह आपकी भूमिका में कोई ना कोई संदेशपरक वक्तव्य होने की तरह आज भी एक अनूठा संदेश है .. शायद ...

    जवाब देंहटाएं
  2. शानदार प्रस्तुति प्रिय श्वेता कहानी बहुत बार सुनी थी पर आज वाला अहसास कभी नहीं हुआ बस बाल मन की सहज प्रतिक्रिया होती थी, बहुत सुंदर अंक सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई, सभी रचनाएं पठनीय सार्थक।
    मेरी रचना को प्रस्तुत करने के लिए हृदय से आभार।
    सादर सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं

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