भावों की मधुरिम परिभाषा है हिन्दी।
विश्वपटल पर गूँजें ऋचाएँ ससम्मान,
राष्ट्र की अंतस अभिलाषा है हिन्दी।
कहीं शब्द, कहीं भाव के कहार है हिन्दी,
संस्कृतियों के वाहक,सरल,सहज,सुबोध
सदियों से एकता का सूत्रधार है हिन्दी,
अभिव्यक्ति अपनी खोने से बचाना है
अलख हिन्दी की हर दिल में जगाना है,
प्राणवायु देश की राजभाषा है हिन्दी।
भावों की मधुरिम परिभाषा है हिन्दी।।
सतत प्रवाह महासागर सा,
आँचल विस्तार गगन जैसा।
आगन्तुक का स्वागत करती,
आतिथेय कहाँ होगा ऐसा ॥
धर्म संस्कृति आचार-विचार,
कोटिशः कण्ठ चिर संगिनी है।
भारत भू की भाषा महान,
हिन्दी मेरी अभिव्यक्ति है॥
कितने ग्रंथ रचे भारी
राम कृष्ण आदर्श बने थे
जन मन की हर दुश्वारी
मंदिर का दीपक यह हिन्दी
विरुदावली भाट गाये ।।
ये रहीम, दादू और रसखान की विरासत है
कबीर सूर और तुलसी का प्यार है हिन्दी
फिजी, गुयाना, मॉरीशस में इसकी खुश्बू है
हजारों मील समन्दर के पार है हिन्दी
हिंदी क्षेत्र का शहरी पाठक अंग्रेजी अखबार लेता है रुतबे के लिए। बाकी वह कुछ नहीं पढ़ता। अंग्रेजी का अखबार भी नहीं पढ़ता। रुतबे के लिए ड्रॉइंग रूम में रखता है। वह खुद को अपवार्ड मोबाइल मानता है। मनोरंजन के बाद हिंदी राष्ट्र का एक और शगल है, राजनीति। लोकसभा में जब भी किसी अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होती है सबसे अच्छे भाषण हिंदी में होते हैं। इसकी एक वजह है कि राजनेता ज्यादा बड़े इलाके तक अपनी बात पहुँचाना चाहते हैं। बौद्धिकता के लिहाज से अच्छे नहीं, भावनाओं और आवेशों में। लफ्फाज़ी में।
कल का विशेष अंक लेकर आ रही हैं
प्रिय विभा दी।
शानदार स्तरीय रचनाओं को समेटे यह अंक
जवाब देंहटाएंवाकई ला जवाब है
आभार...
सादर
श्वेता जी, इस अद्भुत कविता और संकलन के लिए बधाई ! अभिनंदन हिंदी बोलने वालों का !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंहिन्दी दिवस के सम्मान में निर्मित अत्यंत सुन्दर संकलन में सृजन को सम्मिलित करने के लिए हृदयतल से आपका बहुत बहुत आभार । सस्नेह वन्दे!
जवाब देंहटाएंआपका हृदय आभार. खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहिंदी की राह में घटिया राजनीति तथा ओछी मानसिकता के तहत सदा रोड़े अटकाए जाते रहे हैं ! हमें हर हाल में उसके साथ खड़े रहना है
जवाब देंहटाएंहिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंहिन्दी दिवस को सार्थक करती बहुत शानदार प्रस्तुति प्रिय श्वेता बहुत महीनों बाद सक्रिय हुई है बहुत अच्छा लगा स्वयं को पाँच लिंकों पर देखना, आप सब से मिलना सभी मंचों पर जाकर पढ़ना।
सस्नेह सादर।
बहुत दिनों बाद आज इतनी सुन्दर रचनाएं पढ़ी, मन को बहुत शांति की अनुभूति हो रहीं है, सभी रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई
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