हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...
पठन सस्वर और मौन वाचन कौशल की योग्यता का विकास है जिसके माध्यम से अधिक से अधिक ज्ञानार्जन करता है। इससे अध्ययन में गंभीरता आती है तथा उचित भावों, भाषा शैली तथा सृजनात्मक सौन्दर्य की व्याख्या करता है। गहन अध्ययन में पाठक संपूर्ण अनुच्छेद या संपूर्ण पुस्तक को पढ़कर उसका भाव, उद्देश्य तथा संदेश ग्रहण कर उसे आत्मसात करता है।
पठन समस्त नियमों के प्रचार के लिए ‘स्कूल चले हम’ जैसे विभिन्न विज्ञापनों का प्रसारण भी किया जाता रहा है तथा समय-समय पर इसकी निगरानी तथा निरीक्षण करने के लिए अलग से समिति का भी प्रावधान है। इन समस्त प्रावधानों का उद्देश्य यह है कि एक बार छात्र यदि विद्यालय में आए तो कुछ-न-कुछ सीखेगा अवश्य और फिर जब उसे विद्यालय में ही भोजन, पोशाक मिलना प्रारंभ हो जाएगा तो उसे पढ़ाई करने में कोई बाधा नहीं दिखाई देगी।
वाचन की शुद्धता एवं उसकी सहायता से वार्तालाप संभाषण आदि का धन आता है जिसके परिणाम स्वरुप व्यक्ति समाज देश और जाति के अच्छे योग्य नागरिक हो सकते हैं तथा अशिक्षित भाइयों को विला पहुंचा सकते हैं।
वाचन सस्वर वाचन एवं मौन वाचन । पुनः इन दोनों प्रकार के वाचन के भी भेद किये जाते हैं, जिन्हें तालिका के माध्यम से स्पष्ट किया गया।
रचनाएँ वर्ण-व्यवस्था, ब्राह्मणवादी, सामंती–व्यवस्था पर तीखेपन के साथ हमला करती है, साथ ही उन तमाम मिथकों, बिम्बों और प्रतीकों को भी चेतावनी देती है जो साहित्य में जड़ जमाए बैठे हैं..
सदा की तरह
जवाब देंहटाएंसदा बहार प्रस्तुति
सादर वंदे
बहुत बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुतियां...
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