आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
तज दे सारे दुख, भय, विभ्रम
मुक्त गगन में विहरे खग सा,
मन को यह निर्णय करना है
जंजीरों से बंधा रहे या !
जहाँ न कोई दूजा, केवल
धारा इक विश्वास की बहे,
सुरति निरंतर वहीं हृदय की
कल-कल स्वर में सहज ही कहे !
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
तज दे सारे दुख, भय, विभ्रम
मुक्त गगन में विहरे खग सा,
मन को यह निर्णय करना है
जंजीरों से बंधा रहे या !
जहाँ न कोई दूजा, केवल
धारा इक विश्वास की बहे,
सुरति निरंतर वहीं हृदय की
कल-कल स्वर में सहज ही कहे !
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आभार,
जवाब देंहटाएंअच्छा अंक दिया
सादर
बेहद खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक प्रिय श्वेता
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक, आदरणीया 🙏🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर भूमिका और सराहनीय रचनाओं का चयन, आभार श्वेता जी!
जवाब देंहटाएंअसंख्य आभार, सभी रचनाएं अमूल्य हैं ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मेरी रचना प्रेषित करने के लिए।आभार आदरणीय
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