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शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025

4529... यात्रीगण कृपया ध्यान दें...

शुक्रवारीय अंक में 
आप सभी का हार्दिक अभिनंदन।
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आइये पढ़ते हैं आज की रचनाएँ-


सोचते दिन-रैन हैं
पसरते पूँजी के पाँवों तले 
दब गई है चीत्कार भूखों की 
अब नहीं टोकती 
प्रबुद्ध मानवता 






सपने, जो तुम बुनती हो मुझको लेकर,
रंग नए नित भरती हो, इस मन की चौखट पर,
हृदय, उस धड़कन की बन जाऊं,
कहीं दूर भला, कैसे रह पाऊं!

मन चाहे, अनुरूप तेरे ढ़ल जाऊं...

बहती, छल-छल, तेरे नैनों की, सरिता,
गढ़ती, पल-पल, छलकी सी अनबुझ कविता,
यूं कल-कल, सरिता में बह जाऊं,
कविता, नित वो ही दोहराऊं!



अति गर्वित कोदंड है,  सज काँधे श्रीराम ।
हुआ अलौकिक बाँस भी, करता शत्रु तमाम ।।
करता शत्रु तमाम, साथ प्रभुजी का पाया ।
कर भीषण टंकार, सिंधु का दर्प घटाया ।।
धन्य धन्य कोदंड, धारते जिसे अवधपति ।
धन्य दण्डकारण्य, सदा से हो गर्वित अति ।



अभी तक लोग रेल चलने पर उछल-उछलकर खुशी मना रहे थे। चेतावनी है—ज्यादा मत उछलिए! ज्यादा इतराने से सबको जलन होती है, और मुझे भी वही हुआ है।

पहली बार जब चालक दल गाड़ी लेकर आया तो ऐसा स्वागत हुआ मानो बारात चढ़ आई हो। अब सोचिए, इतनी खुशी किसी को बर्दाश्त होती है क्या?



आशा करते हैं आप इस अद्यतन को अपेक्षा के अनुरूप पायेंगे. जिन जिन के लिए सम्भव होयदि पोस्ट्स पर कमेंट्स भी लिखे जा सकें तो आनन्द और भी बढ़ेगा. यदि आप भी अपनी स्वयं की या आपकी रुचिकर कृतियों को यहाँ प्रकाशित करवाना चाहते हैं तो उक्त कृतियों को फोटो (सन्दर्भजहाँ आवश्यक हो) के साथ ईमेल करने की कृपा करें. आपके हितकर सुझावों का सदैव सहर्ष स्वागत है. 





साहित्य केवल भावनाओं या कल्पनाओं का खेल नहीं है। वह लेखक के जीवनानुभव, संवेदनशीलता, ज्ञान और दृष्टि की उपज है। एक उत्कृष्ट रचना के पीछे वर्षों का अध्ययन, आत्ममंथन और लेखकीय साधना निहित होती है। समय की तो बात ही अलग है। फिर भी हिंदी में प्रायः लेखन को ‘त्याग’ और ‘सेवा’ के चश्मे से देखा गया। परिणाम यह कि लेखक को उसके हिस्से का उचित आर्थिक मान-सम्मान नहीं मिला। ऐसे प्रतिकूल वातावरण में विनोद कुमार शुक्ल जैसे मितभाषी, अंतर्मुखी और गहन साहित्यकार के लेखन का आर्थिक मूल्यांकन होना सुखद अनुभव कराता है। यह हमें स्मरण दिलाता है कि लेखक का श्रम उतना ही महत्वपूर्ण है जितना किसी वैज्ञानिक, शिक्षक या कलाकार का।






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आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
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5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर अंक के लिए बधाई आदरणीय।।।। मुझे भी इस अंक का हिस्सा बनाने के लिए शुक्रिया अभिवादन।।।।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात, अनुपम प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं
  3. उत्कृष्ट रचनाओं से सजी लाजवाब प्रस्तुति
    मेरी रचना को भी स्थान देने हेतु सस्नेह आभार प्रिय श्वेता ! सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं

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