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शुक्रवार, 4 जुलाई 2025

4439...दरारों में बसती ज़िंदगी

शुक्रवारीय अंक में 
आप सभी का हार्दिक अभिनंदन।
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क्यों चीजों का यथावत स्वीकार करना जरूरी है?
व्यवस्थाओं के प्रति असंतोष और प्रश्न सुरूरी है?
कुछ बदलाव के बीज माटी में छिड़ककर तो देखो
उगेंगी नयी परिभाषाएँ काटेंगी बंधन मानो छुरी हैंं 
प्रथाओं के मिथक टूटेगें और तय होगा एक दिन
धरती की वसीयत में किसके लिए क्या जरूरी है।
#श्वेता
आज की रचनाएँ-

कोई बीज 
जीवन की जददोजहद के बीच
कुलबुलाहट में जी रहा होता है।
बारिश, हवा, धूप 
के बावजूद
दरारों में बसती जिंदगी
खुले आकाश में जीना चाहती है।



शुक्र है आँखों कि भाषा सीख कर हम आये थे,
वरना मुश्किल था पकड़ना बेईमानी आपकी.

फैंकना हर चीज़ को आसान होता है सनम,
दिल से पर तस्वीर पहले है मिटानी आपकी.

जोश में कह तो दिया पर जा कहाँ सकते थे हम,
गाँव, घर, बस्ती, शहर है राजधानी आपकी
.



भूलना उसको तिरे बस में नहीं ।
ढूँढ ऐसा भी हुनर होता है क्या ।।

अश्क भी तो ज़हर है, बहता हुआ।
देखिए इसका असर होता है क्या।।

लब जले, साँसें जलीं, दिल भी जला ।
खाक होने से मगर होता है क्या ।।





माताजी की उठावनी में जाना है ना ! वहाँ शादी ब्याह में पहनने वाली तड़क भड़क की साड़ी पहन कर थोड़े ही जाउँगी ! कितने बड़े-बड़े लोग आएँगे उनके यहाँ ! सुना है दिल्ली से भी पार्टी के उच्चाधिकारी आने वाले हैं 



तिहाई का शिखर छू कर बनना तो था

शतकवीर ..,

मगर  वक़्त का भरोसा कहाँ था ?

कठिन रहा यह सफ़र …,

“निन्यानवें के फेर में आकर चूक जाने की”

बातें बहुत सुनी थीं ।


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आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
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6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही शानदार चयन के लिए बधाई आपको श्वेता जी। आभार आपका मेरी रचना का चयन करने के लिए। शेष सभी साथियों को भी खूब बधाई जिनकी रचनाएं इस अंक में शामिल की गई हैं।

    जवाब देंहटाएं
  2. चिंतन परक भूमिका के साथ सुन्दर सूत्र संयोजन श्वेता जी ! मंच प्रस्तुति में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार सहित धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की हलचल ! मेरी लघुकथा को भी आज की हलचल में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  4. कुछ बदलाव के बीज माटी में छिड़ककर तो देखो
    उगेंगी नयी परिभाषाएँ काटेंगी बंधन मानो छुरी हैंं
    सुंदर अंक
    आभार
    सादर वंदन

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन हलचल
    आभार मारी ग़ज़ल को जगह देने के लिए

    जवाब देंहटाएं

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